चाहे सांसद हों या फिर रेलवे के आला अधिकारी. किसी भी सूरत में अब आरपीएफ के ट्रांसफर और पोस्टिंग में न तो मनमानी चलेगी और न ही किसी प्रकार की आपत्तियां दर्ज कराई जा सकेंगी. यहां तक की व्यवस्था से नाखुश लोग भी कोर्ट का सहारा नहीं ले सकेंगे. इन सभी आरोपों से बचने के लिए रेलवे डीजी की तरफ से आरपीएफ ने एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया गया है. जिसका नाम है ई-सुविधा. इसमें जहां सभी आरपीएफ कर्मचारियों के सर्विस रिकॉर्ड दर्ज किए गए हैैं. वहीं एक थाने से दूसरे थाने पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए एनुअल टेन्योर पूरा होते ही उनका टीएमएम ट्रांसफर मैनेजमेंट मॉड्यूल के तहत आटोमैटिक ही ट्रांसर्फर-पोस्टिंग कर दिए जाएंगे. इसमें पदाधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी. साफ्टवेयर खुद ही पदाधिकारी और जवानों का तबादला कर देगा.


गोरखपुर (ब्यूरो).एनई रेलवे हेडक्वार्टर में तैनात एक सीनियर आफिसर ने बताया कि ट्रांसफर मैनेजमेंट माडयूल में सभी कर्मियों का नाम दर्ज है। प्रत्येक आरपीएफ कर्मी इंप्लाई आईडी पासवर्ड है। वह आईडी पासवर्ड के जरिए अपने सर्विस रिकॉर्ड को भी देख सकेंगे। साथ ही टेन्योर पूरा होने पर वह अपने तीन से पांच जगहों पर पोस्टिंग के लिए स्थान चयन के लिए ऑप्शन सेलेक्ट कर सकते हैैं, जिसके बाद खुद ही सॉफ्टवेयर कर्मियों की पोस्टिंग कर देगा। ऐसी परिस्थिति में कोई भी कर्मी द्वारा यह सवाल नहीं उठाया जा सकेगा कि उनके साथ गलत डिसीजन लिया गया है या फिर उनकी पोस्टिंग गलत ढंग से कर दी गई है। यही नहीं सॉफ्टवेयर यह भी बताएगा कि किस कर्मी का टेन्योर कब पूरा हो रहा है और उसका तबादला हो जाना चाहिए। इस व्यवस्था को एनई रेलवे के तीनों डिवीजन में लागू भी कर दिया गया है। बताना होगा कारण


स्टाफ को ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर एक विकल्प दिया गया है, जिसमें जरूरतमंद या जिस कर्मी को स्वास्थ्य संबंधित समस्या है या कार्यालय में काम को लेकर जरूरत है, तो उनका पदस्थापन जरूरतमंद जगह पर किया जा सकता है। इसके लिए आरपीएफ को कारण बताना होगा। बिना इसके कर्मियों का ट्रांसफर नहीं हो सकेगा।

आईजी या कमांडेंट नहीं साफ्टवेयर करेगा वर्क एनई रेलवे हेड क्वार्टर से मिली जानकारी के मुताबिक, आरपीएफ के कर्मियों ने इस नई व्यवस्था को बेहतर बताया है। कोई भी पदाधिकारी चेहरा देखकर ट्रांसफर नहीं कर सकेगा। साफ्टवेयर को इसी खास मकसद से तैयार किया गया है। कब किसका होगा ट्रांसफर सिपाही - 4 साल पूरे होने पर हेड कांस्टेबल - चार साल पूरे होने पर सब इंस्पेक्टर - चार साल पूरे होने पर इंस्पेक्टर - तीन साल पूरे होने पर टीएमएम के तहत ऑनलाइन हुए आरपीएफ स्टाफ लखनऊ डिवीजन में - 1300 वाराणसी डिवीजन में - 800इज्जतनगर डिवीजन में - 600

Posted By: Inextlive