पूर्वांचल में फंगस से होने वाली बीमारियों पर रिसर्च और उनके इलाज के लिए केजीएमयू के माइक्रोबायोलाजी डिपार्टमेंट में दो दिवसीय ट्रेनिंग शुरू की गई है. गोरखपुर बस्ती वाराणसी प्रयागराज समेत अन्य जिले से माइक्रोबायोलॉजिस्ट व लैब टेक्नीशियन को ट्रेनिंग में शामिल किया गया है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।आईसीएमआर-एडवांस माइकोलॉजी डायग्नोस्टिक रिसर्च सेंटर डिपार्टेमेंट ऑफ माइक्रोबॉयोलॉजी, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की तरफ से आयोजित दो दिवसीय हैैंड्स ऑन वर्कशॉप में थिरैपटिक ड्रग मॉनीटरिंग ऑफ एंटीफंगल्स ड्रग्स विषय पर ट्रेनिंग दी जा रही है। पूर्वांचल में होने वाली फंगस बीमारियों को लेकर उसके इलाज और उसके जांच के लिए सैैंपलिंग लेने का तरीका बताया गया। इसके साथ ही इस बात की भी जानकारी दी गई कि पूर्वांचल में तेजी के साथ फैल रहे फंगस से होने वाली बीमारियों में दवा कितने डोज की देनी है, यह भी बताया गया। बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी डिपार्टमेंट से केजीएमयू पहुंचे डॉ। अमरेश कुमार सिंह ने ट्रेनिंग ली है। उनके साथ लैब टेक्नीशियन भी शामिल हैैं। बरसात में बढ़ जाता है फंगल इंफेक्शन का खतरा
डॉ। अमरेश ने बताया कि मौसम बदला तो बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। बुखार ने लोगों को पहले से ही जकड़ रखा है, लेकिन बारिश होने से फंगल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60-70 मरीज फंगल इंफेक्शन के रोजाना आते हैैं। इनमें कई तरह के इंफेक्शन होते हैैं। जिन पर रिसर्च भी किया जाना है। उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के पहले दिन फंगस के विधि व उनके नमूने कैसे लिए जाएंगे। इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस तरह के आते हैैं बीआरडी में केसेज -स्किन पर जलन या खुजली होना -स्किन पर लाल चकत्ते दिखाई देना -स्किन में सूजन आना -स्किन पर दाने निकलना -जख्म जैसे दाद होना -स्किन का लाल होना

Posted By: Inextlive