38 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शहर में हुए सिख विरोधी दंगों की जांच कर रही एसआईटी ने मंगलवार को 43वें आरोपी को अरेस्ट कर लिया. मामले में एसआईटी गठन के बाद से शातिर कानपुर छोड़कर गाजियाबाद की एक कंपनी में छिपकर नौकरी कर रहा था. एसआईटी ने लोकल इनपुट और सर्विलांस की मदद से उसे अरेस्ट किया. अब उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा जाएगा.

कानपुर (ब्यूरो) एसआईटी चीफ आईपीएस बालेंदु भूषण ने बताया कि सिख दंगे के दौरान किदवई नगर थाना क्षेत्र के निराला नगर यू-ब्लॉक में नरसंहार हुआ था। दंगाइयों ने सिख रक्षपाल सिंह, भूपेंद्र सिंह, सतवीर उर्फ काले को जिंदा फूंक दिया था। इसके बाद घर में डाका डाला था। किदवई नगर थाने में वीरेंद्र सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी। दंगों की जांच कर रही एसआईटी ने छानबीन की तो घाटमपुर पूर्वी जवाहर नगर निवासी अनवार अहमद का भी नाम सामने आया था। तमाम गवाहों के बयान समेत अन्य साक्ष्यों को देखते हुए एसआईटी ने अनवार को हत्याकांड में आरोपी बनाया था।

संपर्क करने में फंस गया
केस दर्ज होने के बाद से शातिर अनवर घर छोड़कर गाजियाबाद भाग निकला था। वहां की एक कंपनी में नौकरी करने के साथ ही पहचान छिपाकर रहता था। लेकिन फोन के जरिए परिजनों के संपर्क में था। एसआईटी ने सर्विलांस की मदद से आरोपी को अरेस्ट कर लिया। एसआईटी चीफ ने बताया कि सिख दंगे में 43वां आरोपी अरेस्ट करके जेल भेजा गया है।

कार्यकाल बढ़ाने की अपील
एसआईटी चीफ बालेंदु भूषण के मुताबिक 30 नवंबर को एसआईटी का कार्यकाल समाप्त हो गया है। शासन से एक महीने का समय बढ़ाने की मांग की गई थी। सिख विरोधी दंगे में 43 आरोपियों को अरेस्ट करके चार्जशीट दाखिल कर दी है। बीमारी के कारण दादानगर हत्याकांड के 5 और अन्य स्थानों पर हुई हिंसा के 4 आरोपियों की बिना गिफ्तारी के चार्जशीट लगाई गई थी। इसके साथ ही पूर्व राज्यमंत्री शिवनाथ सिंह कुशवाहा के भतीजे राघवेंद्र कुशवाहा की गिरफ्तारी होनी बाकी है। वहीं निराला नगर हत्याकांड से 6, रतनलाल नगर और अर्मापुर से एक-एक आरोपी की गिरफ्तारी बाकी है।

Posted By: Inextlive