कोरोना वायरस की थर्ड वेव में जितनी तेजी से नए पेशेंट्स मिल रहे हैं उनके अस्पताल में भर्ती होने की रफ्तार उतनी ही स्लो है. सिटी में ढाई हजार के करीब कोरोना वायरस के एक्टिव केसेस होने के बाद भी सैटरडे तक महज 9 पेशेंट्स कोविड अस्पताल में भर्ती थे. अभी तक एक भी मरीज को कोरोना संक्रमण की वजह से वेंटीलेटर की जरूरत नहीं पड़ी है. ज्यादातर जो पेशेंट्स भर्ती हुए उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थी. इसके बाद भी उनमें कोरोना वायरस संक्रमण के जो लक्षण आए वह बेहद माइल्ड थे. इलाज करने वाले डॉक्टर्स के मुताबिक इन पेशेंट्स के लंग्स पर भी वायरस का कोई खास असर नहीं दिखा है. वहीं होम आइसोलेशन में भी जो पॉजिटिव पेशेंट्स हैं. उनमें वायरस के या तो कोई लक्षण नहीं है. और हैं भी तो हल्की खांसी गले में खराश तक ही संक्रमण सीमित है. डॉक्टर्स इसे अच्छा संकेत मान रहे हैंलेकिन अहतियात बरतने की अपील कर रहे हैं.

कानपुर (ब्यूरो) जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग के हेड प्रो.चंद्रशेखर बताते हैं कि कोविड विंग में भर्ती संक्रमितों में ज्यादातर की हालत स्थिर है। अभी तक एक पेशेंट जो सीरियस था उसे ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। इसके अलावा रेम्डेसिविर भी देना पड़ा। वहीं सैटरडे को मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने कोविड विंग में बने आईसीयू जाकर मरीजों का हाल चाल लिया। वह खुद पीपीई किट पहन कर गए और मरीजों से इलाज को लेकर फीडबैक लिया। इस दौरान बताया कि अभी तक एक भी कोरोना संक्रमित को वेंटीलेटर की जरूरत नहीं पड़ी है। सिर्फ 9 मरीज की कोविड विंग में भर्ती हैं।

वायरस के लक्षण बेहद हल्के
माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ.विकास मिश्र जानकारी देते हैं कि कोरोना के सैंपलों की जांच की जा रही है। उसमें वायरल लोड बेहद कम मिल रहा है। ऐसे में कम सीटी वैल्यू की वजह से सैंपल्स की जीनोम सिक्वेंसिंग जांच के लिए भेजने में भी प्रॉब्लम आती है। वह बताते हैं कि जो संक्रमित अभी मिल रहे हैं, उनमें वायरस के लक्षण बेहद कम हैं। ज्यादातर में अपर रेस्पेरेटरी ट्रैक इंफेक्शन, सीवियर एक्यूट रेस्पेरेटरी इंफेक्शन (सारी)जैसी प्रॉब्लम भी नहीं मिल रही है। मालूम हो कि सेकेंड वेव में पेशेंट्स की मौत की एक बड़ी वजह सारी भी था। जिसकी वजह से लंग्स में ब्लड के थक्के तेजी से बन रहे थे और लंग्स की फ्लैक्सिबिलिटी भी बेहद तेजी से खत्म हो रही थी, लेकिन इस बार पेशेंट्स में ऐसे लक्षण नहंी दिख रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह वैक्सीनेशन भी है।

Posted By: Inextlive