A new Kronos Global study showed that Chinese and Indian employees are taking more leave to skip off work under the false pretence of illness.


एक सर्वे के अकार्डिंग इन देशों में वकर्स कई बार बीमार न होने के बावजूद जमकर 'सिक लीव' लेते हैं। इन केसेज में चीन के बाद सेकेंड प्लेस पर अपना इंडिया आता है.आस्ट्रेलिया की फर्म क्रोनोस ने इस सब्जेक्ट पर एक ऑनलाईन सर्वे करवाया था जिसमें ये फैक्टर डिसक्लोज हुआ। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया,  चीन,  फ्रांस,  ब्रिटेन,  मैक्सिको और अमरीका में भी जुलाई मंथ में यह सर्वे करवाया गया था। सर्वे में कहा गया है कि 'सिक लीव' लेने की वज़ह लोग सबसे ज़्यादा टेंशन या प्रेशर को बताते हैं। क्रोनोस ने सजेस्ट किया है कि कंपनियों के मैनेजमेंट इस केस में कुछ फंडामेंटल बातों में वर्क करे तो कंडीशन इंप्रूव हो सकती है। जैसे वह इस बात का पता करने की कोशिश करें कि आखिर टेंशन या प्रेशर का रीजन क्या  है और उसमें पॉजिटिव चेंज लाने की कोशिश करें।
चीन में 71 परसेंट इंप्ला इज का कहना था कि उन्होंने विदाउट रीजन सिक लीव ली है वहीं भारत में 62 परसेंट और ऑस्ट्रेलिया में 58 परसेंट लोगों ने ऐसा किया। फ्रांस में 16 परसेंट तो मैक्सिको में 38 परसेंट लोगों ने 'सिक लीव' ली। ब्रिटेन में ऐसे लोगों का परसेंटेज 43 है.


सर्वे के डिटेल यह शो करते हैं कि जिन कंट्रीज में वकर्स को पेड लीव ज़्यादा मिलती हैं वह सिक लीव के एप्लीकेशन पर कम या जेन्युइन वजह से ही लीव के लिए अप्लाई करते हैं। यह उन कंट्रीज के वकर्स के मुकाबले में ज्याजदा बैटर सिचुएशन है जहां पेड लीव के आप्शान नहीं हैं या कम हैं। वैसे तो सभी के पास लीव लेने के अपने डिफरेंट रीजन होते हैं पर मैक्सिमम लोग अपने बच्चों या फेमिली मेंबर्स की इलनेस में उनकी केयर करने के लिए सिक लीव का बहाना काम में लाते हैं। दूसरा सिक लीव लेने वालों का हाईएस्ट  परसेंटेज उन लोगों का है जो अपने वर्क प्लेस पर स्ट्रेस, प्रेशर या टेंशन फील करते हैं।

Posted By: Inextlive