आईआईटी कानपुर जल्द देश के लोगों को 'आर्टिफिशियल हर्टÓ बनाकर देगा. यह आईआईटी कानपुर के लिए भी बड़ी उपलब्धि होगी. अभी तक आर्टिफिशियल हर्ट को विदेशों से आयात किया जाता है. स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलाजी एसएमआरटी में हृदय यंत्र कार्यक्रम बनकर तैयार है. इसमें देश-दुनिया के चिकित्सा व प्रौद्योगिकी जगत के विशेषज्ञ तो जुड़ेंगे ही उनके साथ किसी भी वर्ग से पढऩे वाले स्नातक छात्रों को भी कुछ सीखने का मौका दिया जाएगा. उनसे इनोवेटिव आइडियाज भी मांगे गए हैं. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद आईसीएएमआर के विशेषज्ञ भी इस कार्यक्रम में आईआईटी कानपुर की मदद करेंगे.

कानपुर (ब्यूरो) आईआईटी के उप निदेशक प्रो.एस गणेश ने बताया कि इस आर्टिफिशियल हर्ट को तैयार करने के लिए लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) को विकसित करना होगा। देश के प्रमुख अस्पतालों की मदद से यह कार्यक्रम दुनिया के लिए मेड इन इंडिया के विजन को बढ़ावा देगा। उन्होंने बताया कि अभी जो आर्टिफिशियल हर्ट का उपयोग होता है वह बेहद खर्चीला होता है। उसे भारत में आयात किया जाता है। हालांकि, अगर आईआईटी कानपुर में यह तैयार हो जाता है तो इसे मील का पत्थर माना जाएगा।

एलवीएडी ऐसे करता है काम
लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) या आर्टिफिशियल हार्ट एक ऐसा पंप है, जिसका उपयोग हार्ट फेल्योर के मरीजों के लिए अंतिम चरण में किया जाता है। इसके अलावा हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा में ब्रिज के रूप में या ट्रांसप्लांट किए जाने में असमर्थ लोगों के लिए डेस्टिनेशन थेरेपी के रूप में इसका उपयोग होता है। यह एक इम्प्लांटेबल बैटरी से चलने वाला मैकेनिकल पंप है। जो बाएं वेंट्रिकल को शरीर के बाकी हिस्सों में खून भेजने में मदद करता है।

Posted By: Inextlive