कानपुर कमिश्नरेट पुलिस शहर वालों के लिए एक अभियान चलाने जा रही है. जिसमें उनके सालों पहले बरामद हुए जेवर और दूसरे सामान कोर्ट के माध्यम से दिलाने की पहल होगी. एडिशनल सीपी हरीश चंदर ने बताया कि ये अभियान मजदूर दिवस यानी एक मई से शुरू होगा. जिसमें थानों में खड़े कबाड़ हो रहे वाहनों को भी उनके स्वामियों को सौंपा जाएगा.

कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस शहर वालों के लिए एक अभियान चलाने जा रही है। जिसमें उनके सालों पहले बरामद हुए जेवर और दूसरे सामान कोर्ट के माध्यम से दिलाने की पहल होगी। एडिशनल सीपी हरीश चंदर ने बताया कि ये अभियान मजदूर दिवस यानी एक मई से शुरू होगा। जिसमें थानों में खड़े कबाड़ हो रहे वाहनों को भी उनके स्वामियों को सौंपा जाएगा। पुुलिस अधिकारी के मुताबिक इससे शहर में रहने वाले उन लोगों को फायदा होगा जिनका सामान थाने या मालखाने में सालों से फंसा है और थाना परिसर भी साफ सुथरा होगा।

इन मालों का होगा निस्तारण
चोरी और टप्पेबाजी का खुलासा होने पर आरोपियों को पकडऩे के बाद पीडि़त पक्ष से बरामद माल की पहचान कराई जाती है और माल को मालखाने में रख दिया जाता है। इसे माल मुकदमाती कहते हैैं। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के मांगे जाने पर पुलिस को ये माल प्रस्तुत करना पड़ता है। जिसका सामान होता है वह मुकदमा खुलने का इंतजार करता है, जबकि नियम के मुताबिक कोर्ट के आदेश के बाद ये माल पीडि़त पक्ष को इस शर्त पर दिया जाता है कि कोर्ट के कहने पर पीडि़त पक्ष उसे प्रस्तुत करेगा।

इस तरह से मिलता है पीडि़त पक्ष को माल
पीडि़त पक्ष संबंधित कोर्ट में एडवोकेट के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र देता है। जिसके साथ पीडि़त को 2 फोटो और आधार कार्ड देना पड़ता है। एडवोकेट अपना वकालतनामा और दूसरे कागज तैयार कर कोर्ट में दाखिल करता है। 15 दिन के अंदर कोर्ट संबंधित थाने से रिपोर्ट मांगता है कि क्या इस केस नंबर में माल बरामद किया गया था, उसकी पोटली संख्या और मालखाने का लोकेशन क्या है? एक सप्ताह में ये रिपोर्ट कोर्ट में प्रोडयूस होती है और कुछ ही दिनों में कोर्ट पीडि़त पक्ष की सुपुर्दगी में माल इस शर्त पर देती है कि कोर्ट की सुनवाई के दौरान जरूरत पडऩे पर पेश किया जाएगा। यही प्रक्रिया थाने में पकड़े जाने के बाद वाहनों को भी रिलीज करने की होती है।

वर्तमान में थाने हैैं ओवरलोड
वर्तमान में शहर का कोई भी थाना ले लें, सारे ओवरलोड हैैं। हादसों से वारदात को लेकर सीज किए गए वाहन खड़े खड़े कबाड़ हो रहे हैं। हालांकि पुलिस ने अपना डंपयार्ड महाराजपुर में बना रखा है लेकिन कोर्ट की मांग होने पर वहां से वाहन लाना संभव नहीं होता है, लिहाजा इसे थानों मेें ही रखा जाता है। भविष्य में अलग-अलग जोन के अलग-अलग डंपिंग यार्ड बनाए जाने का प्लान है।

Posted By: Inextlive