रोड एक्सीडेंट में बॉडी में होने वाली इंटरनल ब्लीडिंग को अब बिना चीरा लगाए रोका जा सकेगा. इससे घायल की जान बचाना और भी आसान हो जाएगा. इसके लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट जल्द शुरू किया जाएगा. डिपार्टमेंट में लिवर पित्त की थैली की रुकावट बॉडी के अंदरूनी हिस्से में गांठों का ट्रीटमेंट भी आसानी से हो सकेगा

कानपुर (ब्यूरो)। रोड एक्सीडेंट में बॉडी में होने वाली इंटरनल ब्लीडिंग को अब बिना चीरा लगाए रोका जा सकेगा। इससे घायल की जान बचाना और भी आसान हो जाएगा। इसके लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट जल्द शुरू किया जाएगा। डिपार्टमेंट में लिवर, पित्त की थैली की रुकावट, बॉडी के अंदरूनी हिस्से में गांठों का ट्रीटमेंट भी आसानी से हो सकेगा। इससे पेशेंट को हॉस्पिटल में कई दिनों तक रुकना नहीं पड़ेगा और ब्लड चढ़ाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

एक्सीडेंट केसेस में फायदा
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मैनेजमेंट ने दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर के मॉडल की स्टडी करने के बाद एक रिपोर्ट शासन को भेजी है। मिनिमल इनवेसिव सर्जरी के मद्देनजर यह नया डिपार्टमेंट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में खोला जा रहा है। हैलट के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में डेली लगभग 100 से अधिक पेशेंट आते हैं। इनमें हाईवे में हुए एक्सीडेंट में घायलों की स्थिति ज्यादा खराब होती है। पेशेंट के अंदरूनी हिस्सों में होने वाली ब्लीडिंग को बंद करना अधिक चैलेंजिंग होता है। इसके लिए सर्जरी करके लीकेज बंद किया जाता है।

स्क्रीन पर करेंगे मॉनीटरिंग
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने बताया कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के माध्यम से बॉडी के अंदर महज निडिल डालकर ब्लीडिंग को बंद किया जा सकेगा। वहीं सबसे अधिक दिक्कत नसों का ब्लॉकेज खोलने में आती है। अभी इसे चीरा लगाकर खोला जाता है। अब नई तकनीक से इसको निडिल डालकर आसानी से खोला जा सकेगा। इसके अलावा नसों को रिपेयर भी किया जा सकेगा। अल्ट्रासाउंड और सिटी गाइडेड होने की वजह से एक्सपर्ट इसे स्क्रीन पर देखकर फॉलो भी करते रहेंगे। इसके अलावा लिवर और शरीर के किसी अंदरूनी पार्ट में भरे मवाद को निकालने में भी चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

यूपी का पहला मेडिकल कॉलेज होगा
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने बताया कि अभी ट्रामा में सुपर स्पेशयलिटी की डिग्री एमसीएच सिर्फ दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर में ही दी जाती है। हैलट परिसर में डिपार्टमेंट खुलने वाले एपेक्स ट्रामा सेंटर में भी एमसीएच की डिग्री दी जाएगी। फिलहाल एमसीएच की दो सीटों का प्रावधान शासन को भेजा गया है। यह प्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज होगा। जहां ट्रामा में एमसीएच की डिग्री दी जाएगी।
ये फायदे होंगे नई टेक्नोलॉजी के
पेशेंट में ब्लड लॉस नहीं होगा, ब्लड चढ़ाना भी नहीं पड़ेगा
घाव जल्दी भरेगा, पेशेंट को उसी दिन किया जाएगा डिस्चार्ज
एक्सीडेंट के केसेस में घायलों की जान बचाना होगा आसान-नसों के ब्लॉकेज को आसानी से रिपेयर भी किया जा सकेगा।
अंदरूनी पार्ट में भरे मवाद को बिना चीरा निकाला जा सकेगा

Posted By: Inextlive