बर्रा नहर की दुर्दशा और उसे कूड़े का समंदर बनाने की खबर को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसमें बताया था कि इस नहर को शहर की खूबसूरती बढ़ाने और टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवलप किया जा सकता है. लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी और एक दूसरे पर ठीकरा फोडऩे की आदत ने इसे कूड़े का समंदर बना दिया है. खबर प्रकाशित होने के बाद भी विभागों का रवैया तो वैसा ही है लेकिन स्थानीय जनता ने इसे साफ करने का बीड़ा उठा लिया है. शनिवार को ये लोग हाथ में फावड़ा और बेलचा लेकर नहर साफ करने के लिए पहुंचे जिन्हें देखकर अन्य लोगों का भी हौसला बढ़ा और वो भी इस अभियान से जुड़ गए. सवाल ये है कि जनता ने तो अपना रुख स्पष्ट कर दिया और अपने इरादे भी बता दिए लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि जिम्मेदार विभागों के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी कब निभाएंगे. हमें पूरी उम्मीद है वो भी जल्द इस अभियान का हिस्स बनेंगे.

कानपुर (ब्यूरो) शनिवार सुबह दो दर्जन से अधिक स्थानीय लोग नहर पर पहुंच गए। लोगों के हाथ मे फावड़ा, बेलचा समेत आिद सामान था। लोगों ने नहर से पॉलीथीन, कचरा समेत सिल्ट निकालना शुरू कर दिया। लोगों के इस हौसले को देख आसपास के लोग भी आगे आ गए और उन्होंने भी नहर साफ करने का प्रयास किया, लोग सुबह से सफाई में जुटे रहे। ताकि यह नहर स्वच्छ के अलावा खूबसूरत हो सके।

24 घंटे में साफ हो सकती
स्थानीय लोगों का कहना है कि सीटीआई से लेकर सचान तक तक नहर के किनारे रहने वाली लगभग पचास हजार से ज्यादा जनता गंदगी से प्रभावित हो रही है। इनमें खासकर वार्ड-51, वार्ड-2, वार्ड-18 और वार्ड-7 शामिल है। हालांकि कई घरों की गंदगी भी इसमें जा रही है, अगर अफसर चाहें तो कड़े नियम बनाने के अलावा इसकी सफाई 24 घंटे के अंदर करवा सकते हैं, लेकिन न जाने इस नहर से अफसरों को किस बात की बेरुखी है।

विभागों की खींचतान में जनता परेशान
अधिकारियों के मुताबिक, शहर में सफाई की जिम्मेदारी तो नगर निगम की होती हैं, लेकिन नहरों की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग के पास होती है। ऐसे में हर साल इस नहर पर होने वाली छठ पूजा के दौरान साफ सफाई की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग और नगर निगम पर आ जाती है। सिंचाई विभाग का काम नहर से गंदगी निकालना और नगर निगम का काम सिल्ट को वहां से हटाना होता है। ऐसे में अक्सर दोनों विभागों के बीच सफाई को लेकर खींचतान बनी रहती है। जिसका खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है।

सिंचाई विभाग: लोग खुद ही जिम्मेदार
सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता यासीन खान ने बताया कि हर साल एक बार नहर साफ होती है। पनकी मे नहर बिलकुल साफ है, सीटीआई के बाद से नहर में कूड़े का अंबार है। जनता खुद ही कचरा डालती है। हालांकि इसके समाधान के लिए पक्की नहर बनाने की परियोजना लाई गई है, जिसे शासन भेज दिया गया है। मंजूरी मिलते ही काम शुरू होगा।

नगर निगम बोला- सिंचाई विभाग की जिम्मेदार
नगर निगम जोन-3 अधिकारी राधेश्याम पटेल ने बताया कि नहर की सफाई की जिम्मेदार सिंचाई विभाग की है और अक्सर वही करवाता है। वहीं, अधिशाषी अभियंता पुनीत ओझा का कहना है कि नगर निगम नहर को साफ नहीं करवाता है, इसकी जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है। ऐसे में दोनों विभागों के टालने से खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

विधायक का वादा- लखनऊ की तर्ज पर रिवर फ्रंट
गोविंद नगर विधायक सुरेन्द्र मैथानी ने कहा कि इस नहर से अलग-अलग जिलों में खेती के लिए पानी जाता है, लेकिन लोग इसमें मरे जानवर तक फेंक देते हैं, जिससे फसल भी खराब होती है। कई बार सफाई हुई, गंदगी को रोकने के लिए जाल बिछवाया गया तो चोरी हो गया। जिससे परेशान होकर हाल में इस नहर को पक्का करने के लिए सदन में मुद्दा भी उठाया है। वादा है कि जल्द ही लोगों को राहत मिलेगी।

ये होंगे मुख्य कार्य
- सीटीआई से नवरैया खेड़ा तक दोनों ओर मार्ग
- नहर होगी पक्की
- लखनऊ की तर्ज पर रिवर फ्रंट
- खेतों में सिंचाई के लिए दिया जाएगा शुद्ध पानी
- नहर के दोनों ओर लगेंगे जाल
- सीसीटवी कैमरा भी लगेगा
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आईनेक्स्ट की अच्छी पहल
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने नहर में गंदगी को लेकर काफी अहम मुद्दा उठाया है। जिसे पढ़कर स्वयं ही कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों के साथ पहुंच गया और सभी ने मिलकर नहर साफ करने कोशिश की, लेकिन यह सिर्फ पब्लिक से नहीं होगा। इस कार्य के लिए प्रशासन को भी आगे आना होगा, तभी इस कार्य को पूरा किया जा सकेगा।
विकास अवस्थी, प्रदेश सचिव
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क्या बोले स्थानीय पार्षद
वार्ड-51 पार्षद संजीव मिश्रा का कहना है कि नहर सफाई के लिए नगर आयुक्त समेत अन्य अधिकारियों को कई बार कहा गया है, लेकिन यह कहकर टाल दिया जाता है, कि इसकी जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है।

कई महीनों से देख रहा हूं, नहर की हालत ऐसी है, कोई सफाई के लिए आगे नहीं नहीं आता है। ऐसे में यहां रहना दुश्वार है। जिसकी वजह से यहां पर सफाई शुरू की गई है।
हिमांशु अग्रवाल

स्थानीय लोगों की गंदगी को लेकर अक्सर शिकायत आया करती है। अधिकारी तो कुछ करते नहीं है। ऐसे में सेवादल अध्यक्ष होने के नाते खुद ही सफाई अभियान में शामिल हो गया हूं।
मोहित दीक्षित

सचान गेस्ट हाउस से लेकर सीटाई चौराहे तक नहर में ऐसी गंदगी भरी हुई है। सफाई के नाम पर कोई आगे नहीं नहीं आता है। ऐसा ही हाल रहा तो यहां रहना दूभर हो जाएगा।
राहुल सचान

कानपुर में स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। लेकिन जहां जहां ज्यादा गंदगी है, वहां अधिकारी क्यों नहीं ध्यान दे रहे हंै। नहर साफ होगी तभी खूबसूरती बढ़ेगी।
नरेन्द्र पाल

छठ पूजा आने पर ही अफसर और जनप्रतिनिधि जागते हैं। चंद दिनों में ही पूरी नहर को चमाचम कर देते हैं, लेकिन सवाल है कि बाकी पूरा साल इसके बारे में क्यों नहीं सोचा जाता है।
रामजी शुक्ला

Posted By: Inextlive