ग्‍लोबल इकोनॉमी में मंदी के संकेतों के बीच मोदी सरकार महामंथन में जुट गई है। मंगलवार को पीएम मोदी ने देश के टॉप कारोबारियों बैंकर्स और अफसरों के साथ एक अहम मीटिंग की। बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में संभावित मंदी से निपटने पर मंथन किया गया। सिर्फ इतना ही नहीं क्‍या इस मंदी का भारत फायदा उठा सकता है। इस पर भी डिस्‍कस किया गया। इसमें रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी टाटा ग्रुप के प्रमुख साइरस मिस्त्री के अलावा रिजर्व बैंक के चेयरमैन रघुराम राजन नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढिया और वित्तमंत्री अरुण जेटली भी मौजूद रहे।

यह है मीटिंग का मकसद

सरकार ग्लोबल मंदी की आहट को देखते हुए उसमें एक प्रापर रणनीति बनाकर आगे बढ़ना चाहती है। दरअसल, चीन की इकोनॉमी कमजोर हुई है। जिसके चलते चीन ने करंसी युआन की वैल्यू कम की है। चीन के इस कदम का असर भारत और एशिया के दूसरे बाजारों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। एक्सपर्ट बताते हैं कि भारत इसको एक मौके के तौर पर देख रहा है। सरकार चाहती है कि यह भारत के लीडर के तौर पर सामने आने का अच्छा मौका है। मीटिंग में लैंड और जीएसटी बिल पर भी बातचीत की उम्मीद है। 

यह हुए मीटिंग में शामिल 

मीटिंग में एयरटेल सुनील भारती मित्तल, एस्सार के शशि रूईया, रिलायंस के अनिल अंबानी,  अडाणी ग्रुप के गौतम अडाणी, आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर, एसबीआई की चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य, महिंद्र ग्रुप के आनंद महिंद्रा, आदित्य बिरला ग्रुप के कुमार मंगलम बिरला, सीआईआई के सुमित मजुमदार, फिक्की की ज्योत्सना सूरी,  एसोचैम के राणा कपूर शामिल हुए। सरकारी अफसरों में फाइनेंस सेक्रेटरी रतन पी। वाटल, कॉमर्स सेक्रेटरी रीता तेवतिया, इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी शशिकांत दास और चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम भी मौजूद रहे हैं।

पहले सुनी सबकी बात 

सोर्सेज ने बताया कि मीटिंग में सबसे पहले सभी को तीन-तीन मिनट बोलने के लिए दिए गए। भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिग्गजों की राय जानने के बाद सरकार ने अपना पक्ष रखा। बता दें कि पिछले एक महीने से अर्थव्यवस्था में तेजी से उतार चढ़ाव आया है। सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले दो साल पुराने निचले स्तर (66.82) पर पहुंचा। ऐसे में अर्थव्यवथा में हो रही इस उठापटक को भारत किस तरह से फेस करे व इससे उपजने वाली संभावनाओं पर चर्चा की गई।

Posted By: Inextlive