यूपी पुलिस की प्रमोशन प्रक्रिया में सरकार ने बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है. जिसका ब्लू प्रिंट भी सरकार ने पास कर दिया है. 15 अगस्त के बाद से इस पर काम शुरू किया जाएगा. पूरी प्रक्रिया में सरकार ने आम आदमी का पूरा ध्यान रखा है. अगर सब कुछ सही रहा तो आम आदमी को केस दर्ज कराने के बाद थाने के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और पूरे मामले में रिपोर्ट भी न्याय संगत ही लगाई जाएगी. रिपोर्ट न्याय संगत लगने के साथ ही प्रमोशन के लिए लिखित परीक्षा से पहले एक इंटरव्यू देना होगा.

कानपुर(ब्यूरो)। यूपी पुलिस की प्रमोशन प्रक्रिया में सरकार ने बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है। जिसका ब्लू प्रिंट भी सरकार ने पास कर दिया है। 15 अगस्त के बाद से इस पर काम शुरू किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में सरकार ने आम आदमी का पूरा ध्यान रखा है। अगर सब कुछ सही रहा तो आम आदमी को केस दर्ज कराने के बाद थाने के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और पूरे मामले में रिपोर्ट भी न्याय संगत ही लगाई जाएगी। रिपोर्ट न्याय संगत लगने के साथ ही प्रमोशन के लिए लिखित परीक्षा से पहले एक इंटरव्यू देना होगा।

एलआईयू रिपोर्ट भी लगेगी
इंटरव्यू के दौरान पुलिस कर्मियों को ये सिद्ध करना होगा कि उन्होंने अपने पद पर रहते हुए जो काम किए हैैं, उनसे कितने लोगों को फायदा हुआ? ये भी बताना होगा कि कितनी शिकायत की गईं? आम आदमी से कैसा व्यवहार है? इसकी खुफिया जांच कराई जाएगी। तैनाती के दौरान साथियों से कैसा व्यवहार रहा? ये लॉग बुक देखकर पता किया जाएगा। कितने केस दर्ज हैैं और कितने का निस्तारण हो चुका है? कितने मामले गंभीर अपराध के हैैं? यदि कोई केस चरित्र से संबंधित होगा तो ऐसे पुलिस कर्मी का प्रमोशन तब तक रोका जाएगा, जब तक पीडि़त से बात नहीं कर ली जाएगी।

संपत्ति की भी होगी जांच
पारिवारिक डेटा के साथ संपत्ति की जांच भी की जाएगी। यानी आय व्यय का ब्यौरा और आय के दूसरे सोर्सेज की जानकारी भी ली जाएगी। अगर कोई गड़बड़ी मिली तो प्रमोशन तब तक के लिए रोक दिया जाएगा, जब तक वह पूरी तरह से सफाई न दे ले। पुलिस सूत्रों की मानें तो इस कवायद को लेकर शनिवार रात सीएम और संबंधित पुलिस अधिकारियों ने बैठक कर पूरी प्रक्रिया के बिंदु साझा किए हैैं। कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट होने की वजह से इन्हीं जिलों से इनका ट्रायल शुरू किया जाएगा।

कम होगी मामलों की पेंडेंसी
जिले के हर थाने में केस दर्ज करने के बाद हर महीने होने वाली क्राइम मीटिंग में सीनियर ऑफिसर्स अलग-अलग क्राइम की प्रोगे्रेस रिपोर्ट की जानकारी करते हैैं। चूंकि इस मीटिंग में पूरे जिले के थाने प्रभारी और सीनियर ऑफिसर्स मौजूद होते हैैं। इस बैठक के निष्कर्ष समाचार पत्रों की सुर्खियां बनती हैैं, जिससे जिले की पुलिस के साथ साथ सरकार की किरकिरी भी होती है। अब इस प्रोसेस के सफल होने के बाद जिलों की क्राइम मीटिंग में थानेदारों की क्लास न के बराबर लगा करेगी।

ये किया जा रहा बदलाव
- स्थानीय खुफिया इकाई के साथ सभी थानों की रिपोर्ट भी लगेगी।
- जिन थानों में तैनाती रह चुकी होगी, वहां के नागरिकों की राय ली जाएगी।
- तैनाती के दौरान कितने केसों की जांच की। कितने में एफआर और चार्जशीट लगाई।
- शिकायत करने वालों में कितने संतुष्ट रहे और कितने लोग असंतुष्ट रहे।
- ड्यूटी के दौरान कितने और किस तरह आरोप लगे, कितने आरोप सिद्ध हुए।

आम आदमी को मिलेंगे ये फायदे
- इस बदलाव से पुलिस कर्मियों के आचरण पर प्रभाव पड़ेगा, जिसका सीधा फायदा जनता को मिलेगा
- कम समय में गुणवत्तापूर्ण जांच होगी। पेंडेंसी कम होगी। कोई रिपोर्ट रिवर्ट नहीं होगी।
- आम आदमी के बयान के बिना कोई रिपोर्ट नहीं लग सकेगी। जिससे न्याय का पक्ष मजबूत होगा।
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प्रमोशन प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन लाने का प्रयास किया जा रहा है। शासन को पूरा बदलाव भेजा गया है, जल्द ही प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
जेएन। सिंह, एडीजी पुलिस अकादमी

Posted By: Inextlive