The God of cricket Sachin Tendulkar has a new address bungalow of the District Magistrate Kanpur. Regional Transport Office of Kanpur has issued a driving license in his name. A sting operation by inextlive.com exposes the corrupt system. Report by Manoj Khare


मामला क्रिकेट के ‘भगवान’ यानि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के ड्राइविंग लाइसेंस का है। लाइसेंस में सचिन का पता डीएम आवास सिविल लाइंस कानपुर लिखा हुआ है। काफी जांच पड़ताल के आई नेक्स्ट रिपोर्टर को ये तो मालूम चल गया है कि इस लाइसेंस में कुछ ‘फेर’ है। पर सवाल ये उठता है कि क्या आरटीओ का सिस्टम इतना लचर है कि यहां कुछ भी हो सकता है। दिन: ट्यूजडेजगह: आरटीओ ऑफिसटाइम: दोपहर 1.20 बजे


सीन 1: कत्थई पैंट, शर्ट और पीठ पर बैग टांगकर आई नेक्स्ट रिपोर्टर आरटीओ ऑफिस पहुंचता है। रिपोर्टर थोड़ी देर चुपचाप ऑफिस के कैंपस में खड़ा रहता है। फिर वो फॉर्म मिलने वाली विंडो में लाइन लगाता है। थोड़ी देर बाद उसको नंबर आता है। अंदर बैठा व्यक्ति बोलता है कि कौन सा फॉर्म चाहिए। रिपोर्टर कहता है कि लाइसेंस बनवाना है। वो चार रुपए लेकर फॉर्म देता है। फॉर्म भरने के बाद रिपोर्टर लाइसेंस की फीस जमा करने के लिए इधर-उधर भटकता रहता है पर कोई नहीं सुनता है।

खैर फिर एक व्यक्ति 10 रुपए लेने के बाद फीस जमा करवाने के लिए राजी होता है। बमुश्किल फीस जमा हो पाई। काफी लोगों से बातचीत करने के बाद एक व्यक्ति ने बताया कि अरे भैया डेढ़ सौ रुपए खर्च करो तुरंत काम हो जाएगा बिना मतलब परेशान हो रहे हो। वो बोला यहां पैसे का बल पर हर काम हो सकता है। सीन-2 तभी एक पेड़ के नीचे काला पैंट और सफेद शर्ट पहने एक व्यक्ति खड़ा था। रिपोर्टर ने उससे कहा कि भैया एक लाइसेंस बनवाना है। वो बोला किसका तुम्हारा। रिपोर्टर ने जवाब दिया नहीं सचिन का। इतना सुनते ही वो बोला कि भैया सचिन का लाइसेंस कैसे बन जाएगा। खैर से उससे जब पैसे की बात की तो वो रिपोर्टर को पास में खड़े एक व्यक्ति के पास ले गया। वो भी उसी की हम उम्र था। उसने रिपोर्टर को उस व्यक्ति से मिलवाया। वो व्यक्ति बोला क्या काम है। रिपोर्टर ने बताया कि सचिन का ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है। थोड़ी देर सोचने के बाद वो बोला बन जाएगा। पर आपको सचिन का लाइसेंस क्या करना है। रिपोर्टर ने बताया कि बस ऐसे ही। वो बोला आप क्या करते हैं। रिपोर्टर ने बताया कि दिल्ली में इंजीनियर हूं। बस फिर क्या था। वो बोला हो जाएगा। रिपोर्टर ने उससे पूछा कि लाइसेंस असली बनेगा या फिर नकली। वो बोला देखने में बिल्कुल ओरिजनल लगेगा। बस और तुमको क्या करना है। और दे दिए पैसे

उस व्यक्ति से इतना सुनते ही रिपोर्टर ने पूछा कि कितने पैसे लगेंगे वो बोला पांच हजार। रिपोर्टर ने उससे कहा, पांच सौ रुपए ले लो बाकी पैसे काम होने के बाद ले लेना। वो व्यक्ति बोला कि पैसे पूरे दो काम तभी होगा। बहुत समझाने के बाद वो व्यक्ति एक हजार रुपए में राजी हुआ। रिपोर्टर ने उसको पांच-पांच सौ रुपए के दो नोट दिए। पैसे लेने के बाद वो बोला कि चार हजार रुपए लाइसेंस देते वक्त दे देना। वरना लाइसेंस नहीं मिलेगा।टाइम : शाम के पांच बजकर 20 मिनटजगह: आरटीओ ऑफिस का मेन गेट
सीन-3: शाम को आई नेक्स्ट रिपोर्टर आरटीओ ऑफिस के मेन गेट पर पहुंचता। करीब दस मिनट वहां खड़े रहने के बाद रिपोर्टर को लगा कि वो व्यक्ति नहीं आएगा। पर जैसे ही रिपोर्टर वहां से चलने लगा। वो व्यक्ति दौड़ा-दौड़ा आया और बोला कि अरे भाई कहां जा रहे हो। सचिन का लाइसेंस नहीं लोगे। रिपोर्टर बोला कि अरे यार तुमने तो कहा था कि शाम को पांच बजे मिलेंगे। अब तो करीब साढ़े पांच बज रहा है। मैंने सोचा अब तुम नहीं आओगे इसलिए जा रहा था। खैर लाओ लाइसेंस कहां है। वो बोला, पहले पैसे लाओ। रिपोर्टर ने चार हजार रुपए जेब से निकाले तब उसने लाइसेंस निकाला। उसने लाइसेंस के साथ वो फॉर्म भी निकाला, जिसको भरने के बाद लाइसेंस की बनाने की कार्रवाई पूरी होती है। फॉर्म पूरा अपडेट भरा हुआ था। उसमें सचिन तेंदुलकर की फोटो लगी थी और पता की जगह डीएम आवास सिविल लाइंस कानपुर लिखा था। इतना सबकुछ देखते ही रिपोर्टर के होश उड़ गए। बस फिर क्या था उसने लाइसेंस भी निकाल दिया। लाइसेंस देखते ही रिपोर्टर हैरान हो गया। --------------------------लाइसेंस का पूरा ‘खेल’ तो समझिएहमारे सिस्टम में कितनी खामियां हैं। इसका अंदाजा कानपुर के संभागीय परिवहन अधिकारी ऑफिस में बने मास्टर ब्लास्टर के लाइसेंस को देखकर लगाया जा सकता है। इस लाइसेंस को बनवाने के लिए बाकायदा फॉर्म लिया गया, जिसमें नंबर भी पढ़ा हुआ था। इतना ही नहीं उसमें सचिन का पता डीएम आवास सिविल लाइंस लिखा हुआ है। अब आप भी सोचिए ये कि ये आरटीओ का खेल नहीं तो और क्या है। जहां पैसे के दम पर सबकुछ संभव है।

Posted By: Inextlive