Wage-war brings trouble
चौंकिए मत, यह बिल्कुल सच है। ट्यूजडे को अगर यूनिवर्सिटी ने डिग्री कॉलेज इम्प्लॉइज एसोसिएशन की मांगें नहीं मानी तो इस आशंका को हकीकत में बदलने में देर नहीं लगेगी। सारा मामला प्रैक्टिकल्स करवाने के एवज में मिलने वाले एलाउंस के पेमेंट से जुड़ा हुआ है। फाइनल एग्जाम से पहले कॉलेजों में प्रैक्टिकल कंडक्ट करवाने में ग्रेड-3 इम्प्लॉइज को सिर्फ 20 रुपए मिलते हैं। पिछले 20 सालों से यही सिलसिला चल रहा है। इसकी तुलना में टीचिंग स्टाफ को 90 रुपए और 105 रुपए के हिसाब से पेमेंट किया जाता है। नॉन टीचिंग स्टाफ की मांग है कि उनका पेमेंट भी बढ़ाया जाए। कौन करवाएगा practical?
180 दिनों की पढ़ाई को लेकर डिग्री शिक्षकों और यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट के बीच डिस्प्यूट्स के चलते पहले ही एग्जाम शिड्यूल लेट हो चुका है। अब प्रैक्टिकल एलाउंस बढ़ाने की मांग को लेकर ग्रेड-3 इम्प्लॉइज ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सीएसजेएमयू एफिलिएटेड डिग्री कॉलेज इम्प्लॉइज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी हरगोविंद शुक्ला ने बताया कि मंडे को सभी कॉलेजों के करीब 1500 इम्प्लॉइज ब्लैक रिबन बांधकर काम करेंगे। जबकि 17 जनवरी को यूनिवर्सिटी में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
एसोसिएशन का कहना है कि जब तक प्रैक्टिकल एलाउंस नहीं बढ़ेगा। ना तो प्रैक्टिकल कंडक्ट करवाए जाएंगे, ना ही फाइनल एग्जाम में नॉन-टीचिंग स्टाफ कोई मदद ही करेगा। Section-144 लागू है डिग्री कॉलेज का नॉन-टीचिंग स्टाफ मंडे को हाथ में ब्लैक रिबन बांधकर यूनिवर्सिटी वीसी गेट पर अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करेंगे। चूंकि आचार संहिता के अलावा कानपुर में धारा-144 लागू है। इसलिए वाइस चांसलर प्रो। अशोक कुमार कोई भी रिटेन या वर्बल कमिटमेंट कर पाने की स्थिति में नहीं होंगे। उधर, शासन की ओर से छूट दी गई है कि अगर यूनिवर्सिटी चाहे तो वो ग्रेड-3 और ग्रेड-4 इम्प्लाइज को मिलने वाला पर-डे प्रैक्टिकल वेजेज बढ़ा सकती है। सोर्सेज के मुताबिक यह मामला लम्बा खिंच सकता है और यह स्ट्राइक आगे बढ़ सकती है। वीसी के शहर से बाहर होने की वजह से कांटैक्ट नहीं हो पाया।