27 जुलाई से शुरू हो रहे लंदन ओलंपिक 2012 में 10 हजार से ज्यादा एथलीट पार्टिसिपेट कर रहे हैं. उम्मीद है कि कुल एथलीट्स में फीमेल्स की संख्या 40 परसेंट से ऊपर पहुंच जाएगी.


ओलंपिक में पहली बार सभी देशों से फीमेल पार्टिसिपेशन पक्का हो गया। इस मौके पर आज हम आपको ओलंपिक की शुरुआत से लेकर अब तक फीमेल कांप्टीटर्स के संघर्ष और उनकी सक्सेस से रूबरू करा रहे हैं। पहला पार्टिसिपेशन, पहला मेडल ओलंपिक की शुरुआत पहली बार 1896 में एथेंस से हुई। तब कोई भी फीमेल एथलीट इसमें शामिल नहीं थी। जो फीमेल यहां मौजूद थीं, उनके पास एक ही काम था विनर्स को फूलों की माला और मेडल देना। 1900 पेरिस ओलंपिक में पहली बार 11 फीमेल एथलीट्स ने हिस्सा लिया। इंग्लैंड की शैरलॉट कूपर ने सिंगल्स टेनिस चैंपियनशिप का गोल्ड भी जीता। ये ओलंपिक में किसी फीमेल एथलीट का पहला मेडल था।पहली बार लगाया गोता


1912 स्टॉकहोम ओलंपिक में पहली बार वुमेन स्विमिंग को शामिल किया गया। 1924 पेरिस ओलंपिक में अमेरिकन स्विमर इसमें शामिल हुईं और सिबिल बाउर ने 100 मीटर बैकस्ट्रोक में गोल्ड जीतकर स्विमिंग में अमेरिका को पहला मेडल दिलाया।  रेसिज्म पर कसी लगाम

ओलंपिक के शुरुआती सालों में रेसिज्म मेंटैलिटी हावी थी। हालांकि 1936 बर्लिन ओलंपिक के साथ इसमें कमी आई। इसी ओलंपिक में लुईस स्टोक्स और टिडी पिकेट पहली ओलंपियन बनीं, जिन्होंने अफ्रीकन ओरिजिन के बावजूद अमेरिका को रिप्रजेंट किया। हालांकि इस तरह की ओलंपियन को पहला मेडल 1948 के लंदन ओलंपिक में मिला, जब एफ्रो-अमेरिकी एलिस मेरी कोचमैन ने एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल हासिल किया। हॉर्स राइडिंग में दिखाए जलवे1952 में पहली बार ओलंपिक के हॉर्स राइडिंग इवेंट में फीमेल और मेल की मिक्स्ड टीमों को शामिल किया गया। सिंगल्स हॉर्स राइडिंग मुकाबलों में फीमेल्स को मेल्स के खिलाफ उतरने की आजादी थी। 1972 म्यूनिख ओलंपिक में 69 साल की उम्र में लोर्ना जांस्टोन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली सबसे ज्यादा उम्र वाली प्लेयर बनीं। उन्होंने 1956 और 1958 में भी हॉर्स राइडिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था।पहली मुस्लिम फीमेल चैंपियन

1984 लॉस एंजेलेस ओलंपिक में नवाल अल मुतवाकिल अफ्रीका में पैदा होने वाली पहली मुस्लिम वुमेन थी, जो ओलंपिक चैंपियन बनीं। उन्होंने 400 मीटर की हर्डल्स रेस जीती। मुस्लिम और अरबी वुमेन एथलीट्स के लिए इंसपिरेशन बनीं मुतवाकिल ने हमेशा ही उन मान्यताओं को तोडऩे की कोशिश की, जिसके चलते उनके जैसे बैकग्र्राउंड वाली फीमेल एथलेटिक्स में सफलता नहीं हासिल कर सकती। ओलंपिक की शुरुआत के करीब 100 साल बाद 169 देशों में से 35 ने 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में किसी भी फीमेल एथलीट को नहीं भेजा। खासकर मिड ईस्ट के मुस्लिम देशों ने फीमेल एथलीट्स को ओलंपिक में भेजने की इच्छा नहीं दिखाई, हालांकि ओलंपिक से जुड़े टॉप ऑफिशियल्स ने इसके लिए अपील जारी की थी। 1996 अटलांटा ओलंपिक में ईरान ने और 2000 सिडनी ओलंपिक में बहरीन ने अपनी वुमेन प्लेयर्स को ओलंपिक में हिस्सा लेने की मंजूरी दी। 2004 एथेंस ओलंपिक में अफगानिस्तान की रोबिना जलाली उर्फ रोबिना मुकिमयार ने उस वक्त सबका ध्यान खींचा, जब उन्होंने एथलेटिक्स इवेंट में हिजाब पहनकर हिस्सा लिया।100% हुआ पार्टिसिपेशन
बीजिंग 2008 में ज्यादातर देशों ने अपनी फीमेल एथलीट्स को ओलंपिक में भाग लेने के लिए भेजा। इनमें दो अरब देशों यूएई और ओमान भी शामिल थे, जिन्होंने पहली बार ओलंपिक्स में फीमेल प्लेयर्स को खेलने की मंजूरी दी। इससे पहले के छह ओलंपिक्स में इन देशों ने सिर्फ मेल प्लेयर्स की टीम भेजी थी। बीजिंग ओलंपिक में 96 परसेंट देशों ने अपनी फीमेल प्लेयर्स को खेलने के लिए भेजा था, जबकि 2012 लंदन ओलंपिक में यह आंकड़ा बढक़र 100 परसेंट हो गया है। ओलंपिक में कभी फीमेल प्लेयर्स को न भेजने वाले तीन मुस्लिम देशों सऊदी अरब, ब्रुनेई और कतर ने भी अपनी टीम में फीमेल प्लेयर्स को जगह दी है। आईओसी ने ऐसे किसी भी देश को ओलंपिक से बैन करने की वार्र्निंग दी थी, जो उसके सेक्सुअल सिमिलैरिटी के रूल्स का पालन नहीं करेंगे। जब क्रिस्टीन ओट्टो ने रचा इतिहास 1988 सोल ओलंपिक में ईस्ट जर्मनी की क्रिस्टीन ओट्टो छह ओलंपिक गोल्ड मेडल्स जीतने वाली पहली वुमेन प्लेयर बनी। उन्होंने इस दौरान चार वल्र्ड रिकॉर्ड भी बनाए। 3 बार वल्र्ड स्विमर ऑफ द ईयर और इतनी ही बार यूरोपियन स्विमर ऑफ द ईयर रहीं ओïट्टो ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल, 100 मीटर फ्रीस्टाइल, 100 मीटर बटरफ्लाई, 100 मीटर बैकस्ट्रोक, 4 इनटू 100 मेडले रिले और 4 इनटू 100 फ्रीस्टाइल रिले में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

Posted By: Inextlive