केजीएमयू में रोज 3 हजार से अधिक मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं। इसमें नेपाल तक के मरीज शामिल होते हैं। ऐसे में यहां मारपीट और टकराव की घटनाओं से केजीएमयू की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।


लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में आये दिन रेजिडेंट डॉक्टर व कर्मचारियों की मरीज और तीमारदारों से मारपीट और अभद्रता के मामले सामने आ रहे हैं। कई बार मामला तोडफ़ोड़ तक पहुंच जाता है और पुलिस को बुलाना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए केजीएमयू प्रशासन द्वारा साइकियाट्रिस्ट द्वारा एंगर मैनेजमेंट की क्लासेज कराई जाएगी, ताकि ऐसे मामलों को रोका जा सके।

केस 1केजीएमयू के शताब्दी वार्ड में कैंसर पीडि़त का इलाज चल रहा था। मरीज को रेफर करने को लेकर डॉक्टर्स और तीमारदार में बहस आगे चलकर मारपीट में बदल गई।केस 2लारी में दिखाने पहुंचे मरीज को इलाज नहीं मिला तो तीमारदारों ने बदहाल व्यवस्था का वीडियो बनाना शुरू किया। विरोध करने पर रेजिडेंट डॉक्टर व कर्मचारियो संग तीमारदार के बीच में हाथापाई हो गई।केस 3


ओपीडी में पर्चा बनने में देरी पर लोगों ने नाराजगी जाहिर की तो वहां तैनात संविदा कर्मचारी ने एक तीमारदार के साथ मारपीट कर दी। जिसके बाद मामला बढ़ गया। पुलिस के पहुंचने पर मामला शांत हुआ।रोज आते हैं हजारों मरीज

केजीएमयू में रोज 3 हजार से अधिक मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं। इसमें नेपाल तक के मरीज शामिल होते हैं। ऐसे में यहां मारपीट और टकराव की घटनाओं से केजीएमयू की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। जिसे केजीएमयू प्रशासन ने गंभीरता से लिया है।काम का बोझ अधिकवीसी डॉ। बिपिन पुरी का कहना है कि इस तरह की घटनाओं के पीछे कई वजहें हंै। एक तो नई जनरेशन और दूसरा काम का लोड बहुत होता है। जिससे कई बार रेजिडेंट या कर्मचारी परेशान हो जाते हैं। लेकिन, डॉक्टरों और स्टॉफ को मरीजों के प्रति गुस्सा नहीं हमदर्दी दिखानी चाहिए। मरीज और तीमारदार पहले से ही परेशान होते हैं, उनकी मानसिक स्थिति को भी समझना चाहिए।साफ्ट स्किल डवलप करना जरूरीवीसी ने बताया कि घर और अस्पताल के वर्क के चलते कर्मचारी परेशान होकर गुस्से में आ जाते हैं। ऐसे में साफ्ट स्किल कांफ्रेंस का काम किया जाता है। यह हर शनिवार होती है। जहां आपस में बात करके समस्याओं को दूर किया जाता है। इस तरह के हालात से निपटने के लिए एंगर मैनेजमेंट जरूरी है। इसके लिए जल्द साइक्रियाट्री विभाग की बैठक ली जाएगी, ताकि सभी को एंगर मैनेजमेंट की क्लास कराई जा सके।इसलिए डॉक्टर व कर्मी तनाव में- मरीजों का अधिक दबाव- परिवारिक समस्याएं- मरीजों का डॉक्टर की बात न समझना- ड्यूटी का समय अधिक होना- पढ़ाई को बोझक्या सिखाया जाएगा

- गहरी सांस लेना शुरू करें- खुद को डिस्ट्रेक्ट करने की कोशिश करें- 1-10 तक गिनती करें- ठंडा पानी पीएं- बॉडी को स्ट्रेच करेंनोट - इस क्लास के दौरान रिलेक्स करने के और भी तरीके बताए जाएंगे।इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए। इसके लिए जल्द एंगर मैनेजमेंट सिखाया जाएगा। - डॉ। बिपिन पुरी, वीसी, केजीएमयूगुस्से के आधार पर ट्रीटमेंटकेजीएमयू में साइकियाट्रिस्ट डॉ। आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक एंगर मैनेजमेंट के तहत पहले गुस्से का आधार समझना होता है। ताकि अधिक संवेदनाओं के आने के कारणों को समझा जा सके। उन परिस्थितियों के आंकलन के बाद रिलेक्स करने के तरीकों के बारे में बताया जाता है। इसके लिए हर किसी के लिए अलग तरह से ट्रीटमेंट किया जाता है।

Posted By: Inextlive