एम्स के एंट्रेंस एग्जाम में चमके अर्जुन
- एम्स एंट्रेंस एग्जाम में हासिल की 47 वीं रैंक
- राजधानी के उज्जवल पाठक ने 174 वीं और आफरीन रहमान ने 545 वीं रैंक हासिल की LUCKNOW : देशभर में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) में एडमिशन के लिए हुए एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट मंडे को घोषित किया गया। इस एग्जाम में भी राजधानी के टॉपर्स ने अपना जलवा बिखेरा। इस एग्जाम में राजधानी के अर्जुन सारस्वत ने 47 वीं रैंक हासिल की। इससे पहले अर्जुन को नीट एग्जाम में 41 वीं रैंक हासिल हुई थी। इसके अलावा उज्जवल पाठक ने 174 वीं रैंक हासिल की। इनकी नीट में 184 वीं रैंक थी। इसके अलावा मुदित कश्यप 359 रैंक, आफरीन रहमान ने 545 वीं रैंक हासिल कर मान बढ़ाया। इसके अलावा जरीन अख्तर ने 2200 वीं रैंक हासिल की है। कान्सेप्ट पर दिया जोरमेरा सपना एम्स से एमबीबीएस करने का है। मैंने हमेशा कान्सेप्ट को समझने पर जोर दिया। बायोलॉजी एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ी और उसे अच्छे ढंग से तैयार किया। फिजिक्स व केमिस्ट्री में कान्सेप्ट को समझने और प्रश्न हल करके प्रैक्टिस अपनी प्रैक्टिस को मजबूत किया। यही कारण है कि मुझे नीट के साथ-साथ एम्स में भी अच्छी रैंक मिली। मेरे पिता डॉ। अबीर सारस्वत स्किन रोग विशेषज्ञ और मां डॉ। मोनिका पैथोलॉजिस्ट हैं।
- अर्जुन सारस्वत, 47 वीं रैंक सभी विषयों पर किया फोकस मैने हमेशा सभी विषयों को बराबर महत्व दिया है। शिक्षकों द्वारा दी गई टिप्स को अच्छे से समझा और उन्हें प्रयोग में लाकर अच्छी स्कोरिंग की। मेरे पिता डॉ। ओम प्रकाश पाठक बाल रोग विशेषज्ञ हैं और मां किरण पाठक टीचर हैं। भविष्य में मेरा लक्ष्य न्यूरो सर्जन बनना है। अगर आप अपना मनपसंद करियर चुनेंगे तो आसानी से सफलता मिलेगी। हमेशा टाइम टेबल का सख्ती से पालन किया। - उज्जवल पाठक, 174 वीं रैंक कार्डियोलॉजी स्पेशलिस्ट बनना है मैं एम्स जोधपुर में दाखिला लेना चाहता हूं। शुरुआत से ही मेरा बायोलॉजी में रुझान रहा है। मेरे पिता प्रशांत कश्यप सिविल इंजिनियर हैं और मां रिचा कश्यप डीपीएस में टीचर हैं। मुझे कार्डियोलॉजी स्पेशलिस्ट बनना है। मेडिकल के लिए सेल्फ स्टडी अहम है, बाकी क्लास नोट्स और एनसीईआरटी काफी मददगार हैं मुदित कश्यप, 359 वी रैंक मां के अधूरे ख्वाब को पूरा करूंगीमैंने सेल्फ स्टडी पर जोर दिया और टाइम टेबल का सख्ती से पालन किया। मेरे पिता अब्दुल रहमान इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं और मां स्व। रूही नसरुल्लाह ने केजीएमयू से एमबीबीएस किया था। वह स्त्री रोग विशेषज्ञ थीं लेकिन कुछ वर्ष पहले उनकी मृत्यु हो गई। वह चाहती थी कि मैं एक अच्छी डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करूं। मैं उनके सपने को पूरा करूंगी। मेरी सफलता के पीछे शिक्षकों का बड़ा योगदान है।
- आफरीन रहमान, 545 रैंक