एक तरफ जहां राजधानी में रोज डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं वहीं यहां बुखार खांसी-जुकाम के मरीजों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। जिसका असर राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में होने वाली सर्जरी पर भी दिखने लगा है। मुख्यत: बच्चों के सर्जरी के केस टाले जा रहे हैं। डॉक्टर्स के अनुसार ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि बुखार या खांसी की वजह से बच्चों की सर्जरी मुश्किल हो जाती है। लोहिया संस्थान में 20 से 30 प्रतिशत तक बच्चों की सर्जरी आगे बढ़ा दी गई है।

लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में बुखार का प्रकोप किस तरह बढ़ रहा है, इसका अनुमान सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि सभी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में करीब 50 प्रतिशत फीवर की समस्या लेकर आ रहे हैं। लोहिया संस्थान की पीडियाट्रिक ओपीडी में आने वाले आधे बच्चे बुखार, जुकाम या खासी से परेशान हैं। कई बच्चों की हालत तो ऐसी होती है कि उन्हें भर्ती तक करना पड़ता है।
जिनकी होनी है सर्जरी, वो भी बीमार
लोहिया संस्थान में इस समय कई ऐसे बच्चे भर्ती हैं, जिनकी सर्जरी की जानी है लेकिन बुखार, जुकाम या खांसी की समस्या के कारण उनकी सर्जरी टालनी पड़ रही है। इसका कारण यह है कि बच्चों की सर्जरी से पहले एनस्थीसिया के डॉक्टर ही तय करते हैं कि बच्चा सर्जरी के लिए फिट है कि नहीं। बच्चों के फिट न होने के कारण ही उसकी सर्जरी की डेट तीन से चार दिन आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि वे इस बीमारी से मुक्त हो सकें।
पैरेंट्स को हो रही दिक्कत
बच्चों की सर्जरी टलने से उनके पैरेंट्स को सर्वाधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई परिवार ऐसे भी हैं जो दूसरे जिलों से यहां इलाज कराने आए हैं, ऐसे लोगों का बजट भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।


किस अस्पताल में कितने बीमार बच्चे आ रहे
अस्पताल संख्या फीवर पेशेंट
बलरामपुर 150 80
सिविल अस्पताल 225 150
लोकबंधु अस्पताल 100 45
नोट- पिछले सात दिनों से रोज आने वाले मरीजों की अनुमानित संख्या।


कोट
बुखार, खांसी और जुकाम के कारण बच्चा सर्जरी के लिए मेडिकली फिट नहीं होता है। यही कारण है कि उनकी सर्जरी की डेट आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि वे इस बीमारी से मुक्त हो सकें।
डॉ श्रीकेश, प्रवक्ता, लोहिया संस्थान

Posted By: Inextlive