13 साल बाद खिले कलाकारों के चेहरे
- 12 को अकादमी रत्न
- 67 को अकादमी अवॉर्ड - 2003 से 2008 तक के बांटे गये अवॉर्ड - कार्यक्रम में कई नामी कलाकारों ने नहीं की शिरकत LUCKNOW : करीब तेरह साल बाद कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाले कलाकारों को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी सम्मान समारोह-2016 में अकादमी अवॉर्ड व अकादमी रत्न से सम्मानित किया गया। कलाकारों को यह सम्मान सोमवार को संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे प्रेक्षागृह में दिया गया। समारोह में वर्ष 2003 से लेकर 2008 तक विभिन्न क्षेत्रों से चयनित कलाकारों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्री अरुणा कोरी ने कलाकारों को मोमेंटो और दस हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया। इस दौरान संस्कृति सचिव हरिओम, एसएनए अध्यक्ष अच्छे लाल सोनी, सचिव जगदीश आदि उपस्थित रहे। इन्हें मिला अकादमी रत्न सम्मानअकादमी रत्न से दिल्ली की सुलोचना बृहस्पति, सविता देवी, राजन साजन मिश्र, मुंबई के हरि प्रसाद चौरसिया, एन राजन , अनूप जलोटा, गाजियाबाद के दया प्रकाश सिन्हा, वाराणसी के छन्नू लाल मिश्र, लखनऊ के सआदत हुसैन, अनिल रस्तोगी, स्वर्गीय मुद्रा राक्षस, विलायत जाफरी को मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में विलायत जाफरी की पत्नी कृष्णा जाफरी व स्वर्गीय मुद्रा राक्षस के पुत्र रोमी सिराज अवार्ड लेने पहुंचे।
इन्हें मिला अकादमी अवॉर्ड
शास्त्रीय गायन- चितरंजन ज्योतिषी, अफजाल हुसैन खां निजामी सितार- अमरनाथ मिश्र, शिवनाथ मिश्र कथक- काजल शर्मा, राम मोहन, कृष्ण मोहन मिश्रा, अर्जुन मिश्र, रेनू श्रीवास्तव, पूनम निगम,महाराज, उर्मिला शर्मा, शिखा खरे तबला- कुमार लाल मिश्र, गिरीश चंद्र श्रीवास्तव, शोभा कुदेसिया, मदन मोहन उपाध्याय, रवि नाथ मिश्र, अरुण कुमार भट्ट पखावज- रामजी लाल शर्मा, अवधेश कुमार द्विवेदी, दिनेश प्रसाद नाट्य निर्देशन- अनिल रंजन भौमिक ध्रुपद गायन- बृज भूषण गोस्वामी, विनोद कुमार द्विवेदी सारंगी- संतोष कुमार मिश्र वायलिन- वी बाला जी लोक गायन- परशुराम यादव, पद्मा गिडवानी, विमल पंत, रीना टंडन, मीनू खरे, अभिनय- आतमजीत सिंह, स्वर्गीय युगुल किशोर, आशा धस्माना, मृदुला भारद्वाज, अचला बोस, संध्या रास्तोगी, एमएन गुर्जर लेखन नाट्य- जेपी सिंह लोक नाट्य नौटंकी- अतुल यदुवंशी, संगीत लेखन- यतींद्र मिश्र लोक संगीत लेखन -मंगल यादव, कवि सुगम गायन- गुलशन भारती, इकबाल अहमद सिददीकी, राजकुमार चटर्जी लोक कला उन्नयन- हरि प्रसाद सिंह, सुगम गायन- सुधीर नारायण उपशास्त्रीय गायन- मालिनी अवस्थी नाट्य निर्देशन- अतुल तिवारी, चित्रा मोहन, ललित सिंह पोखरिया कव्वाली गायन- हैदर बक्श रंगदीपन- गोपाल सिंन्हा संगीत संयोजन- एच बसंत, केवल कुमार लोक नृत्य- विक्रम बिष्ट कठपुतली- प्रदीप नाथ त्रिपाठी रंग संगीत- कमलाकांत शास्त्रीय छायांकन- राकेश सिंन्हा बाक्सअवार्ड लेने नहीं आये कलाकार
3. वर्ष 2005 में अकादमी अवार्ड के विनर में मेरा नाम था। मुझे नाट्य निर्देशन के लिए अवार्ड दिया गया है। अगर ये अवार्ड उसी समय दे दिया जाता तो ज्यादा खुशी होती । चित्रा मोहन, लखनऊ 4. कव्वाली गायन के लिए वर्ष 2006 में अकादमी की घोषणा में मेरा नाम था, मिल रहा है दस साल बाद। ऐसे में अवार्ड की वो खुशी नहीं है जो घोषणा के समय थी। हैदर बक्श, लखनऊ 5. यश भारती सम्मान से नवाजे जा चुके व सुगम गायन के लिए अकादमी अवार्ड 2003 में दिए जाने की घोषणा हुई थी। मुझे उस वक्त भी उतनी ही खुशी थी आज भी उतनी ही खुशी हो रही है। इकबाल सिद्दीकी 6. अवार्ड मिलना बहुत ही खुशी की बात है मगर समय से अवार्ड मिलता तो उसकी और ज्यादा खुशी होती है। केवल कुमार 7. सम्मान समय से मिलना चाहिए। समय से मिलने वाले सम्मान की बात ही अलग होती है। ललित सिंह पोखरिया 8. अवार्ड को हमेशा समय से दिया जाना चाहिए। समय पर सम्मान मिलने से कलाकारों को हौसला मिलता है। जिससे कलाकार लगन व मेहनत से काम करता है। मृदुला भारद्वाज 9. अवार्ड मिलना एक गर्व की बात है। कोई भी अवार्ड कलाकार के लिए छोटा या बड़ा नहीं होता। सम्मान सम्मान होता है। अगर यही सम्मान समय से कलाकार को मिल जाये तो उसकी कला और निखर जाती है। रवि नाथ मिश्र 10. अवार्ड दिया गया जिसकी खुशी है मगर इतनी लेट समय के बाद अवार्डों का वितरण एक निराशा पैदा करता है। आगे से उम्मीद करता हूं कि कलाकारों को समय पर सम्मान दिया जायेगा। विक्रम बिष्ट 11. एक दिन पहले यश भारती सम्मान पाने वालों की लिस्ट में मेरा नाम आया आज अकादमी रत्न सम्मान मिला। मेरे लिए दोना ही अवार्ड बहुत ही मायने रखते है। डॉ। अनिल रस्तोगी।समारोह में विदुषी सुलोचना बृहस्पति, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया, एन राजन, दया प्रकाश सिंह, पंडित चितरंजन ज्योतिषी, मालिनी अवस्थी, काजल शर्मा, रामजी लाल शर्मा, सविता देवी, पंडित राजन साजन मिश्र, अनूप जलोटा, मुनीश सप्पल अवार्ड लेने नहीं पहुंचे।
इनका हो चुका देहांत कलाकार मुद्रा राक्षस, जुगल किशोर, पंडित अर्जुन मिश्र, पंडित अमरनाथ मिश्र आदि का देहांत हो चुका है। अव्यवस्था रही हावी तेरह साल बाद बांटे गये अकादमी अवार्ड में अव्यवस्था का बोल बाला रहा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्री लेट से पहुंची। उसके तुरंत बाद अवार्ड दिए जाने लगे। इस दौरान कई सम्मानित कलाकारों को स्टेज पर बुलाकर रोक दिया गया। साथ ही कई बुजुर्ग कलाकार जो चलने में असमर्थ थे उनको भी स्टेज पर ही बुलाया गया। कई बार फोटो खिंचवाने की होड़ में अधिकारियों और मंत्रियों ने कलाकारों को ही पीछे धकेल दिया। सबके बस की बात नहींअकादमी अवार्ड सम्मान समारोह में बोलते हुए संस्कृति सचिव डॉ। हरि ओम ने कहा कि कलाकार सम्मान या यश के लिए काम नहीं करता। कला को समझना सबके बस की बात नही होती। कलाकारों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कला से जो समाज को मिलना है उसको देना मत भूलें। जब तक लोक में कला नहीं पहुंचेगी उसका मकसद नहीं हल होगा।
आगे आये नए कलाकार सम्मान समारोह में अपने संबोधन में संस्कृति मंत्री अरुणा कोरी ने कहा कि सभी के प्रयासों से इतने सालों से लटके अवार्डो को बांटा जा सका है। प्रदेश के कई घरानों के लोगों ने अपने जीवन को कला के लिए समर्पित कर रखा है। उन लोगों का सम्मान कर बहुत हर्ष हो रहा है। सरकार की ओर से भी कलाकारों को अवसर व सम्मान दिया जा रहा है। जिससे कला का विस्तार हो सके। अकादमी अवार्ड मिला, इसके लिए मैं अकादमी का बहुत शुक्रगुजार हूं। सम्मान मिलना हमेशा सुखद ही रहता है। कलाकारों के लिए सम्मान बहुत ही मायने रखता है। सम्मान छोटा हो या बड़ा सम्मान सम्मान होता है। अतुल तिवारी, अवार्डी, लखनऊ 2. वर्ष 2003 में मुझे लोक गायन के लिए ये अकादमी अवार्ड दिया गया है। इतने लंबे समय बाद अवार्ड मिलना सुखद है। अकादमी को चाहिए आगे से समय पर अवार्ड दिए जाये इसका भी ध्यान रखे। पद्मा गिडवानी, अवार्डी, लखनऊ