प्रदेश में जीका का पहला मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार सर्तकता बरती जा रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि जीका को लेकर डरने से ज्यादा सर्तक रहने की जरूरत है। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को अपने एंटी-नेटल चेकअप समय-समय पर करवाते रहना चाहिए। साथ ही जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी लैब को केस सामने आने पर सूचना देने के निर्देश दिए गए हैं।

लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ। शीतल वर्मा के अनुसार जीका वायरस को देखते हुए डॉक्टरों को खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को लेकर काम करना चाहिए। जिसमें महिलाओं को अपना एंटी-नेटल चेकअप जरूर करवाना चाहिए। ताकि अगर संक्रमण कम्यूनिटी हो तो समय रहते उसका पता चल सके। क्योंकि इसके माइल्ड लक्षण डेंगू की तरह ही होते हैं। संक्रमण अगर गर्भवती को हो जाये तो उसका विपरीत असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है क्योंकि जीका की कोई दवा या वैक्सीन नहीं है। ऐसे में लक्षणों के आधार पर ही इसका इलाज किया जाता है। ऐसे में महिलाओं को चाहिए कि खुद का मच्छरों से बचाव करें और पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहनें।

हाई रिस्क का पता चल सके
क्वीन मैरी अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग की डॉ। सुजाता के मुताबिक गर्भाधारण के समय को एंटी-नेटल पीरियड कहते हैं। इस दौरान 9 माह के दौरान तीन चेकअप और डिलीवरी से पहले एक चेकअप समेत कुल चार चेकअप कराया जाता है, जिसमें ब्लड टेस्ट से लेकर अल्ट्रासाउंड आदि तक कराया जाता है। अगर कोई हाई रिस्क है तो उसका समय पर पता चल सके और डॉक्टर उसी अनुसार मैनेज कर सकें। जिस तरह जीका का खतरा है, ऐसे में सभी महिलाओं को सलाह दी जाती है कि अपना चेकअप समय-समय पर जरूर कराते रहें। अगर कोई भी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।


सीएमओ ऑफिस को दें सूचना
जीका को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग भी सर्तकता बरत रहा है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ। मिलिंदवर्धन के मुताबिक जीका संक्रमण को देखते हुए सभी लैब को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। अगर कोई जांच होती है और रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसकी जानकारी तत्काल सीएमओ ऑफिस को दी जाये। ताकि समय रहते आगे की कार्यवाही की जा सके।

Posted By: Inextlive