डुप्लीकेट वोटर्स पर आयोग की नजर टेढ़ी
- एक से अधिक विधानसभा में नहीं रह सकेगा किसी वोटर का नाम
- सॉफ्टवेयर से फिल्टर करने के बाद बीएलओ को सौंपी जाएगी लिस्ट LUCKNOW: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए इलेक्शन कमीशन पूरी तैयारी में जुट चुका है। वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का काम भी शुरू हो चुका है और डीएम से लेकर तहसीलदार तक के ट्रांसफर पर रोक लगा दी गयी है। इस बार आयोग की मंशा है कि बचे हुए सभी डुप्लीकेट वोटर को वोटर लिस्ट से बाहर किया जाए। यानी ऐसे वोटर जिनका एक से अधिक विधानसभाओं में नाम है, उनका नाम सिर्फ एक ही विधानसभा में रखा जाएगा। सॉफ्टवेयर से छांटे जाएंगे नामइलेक्शन कमीशन इसके लिए खास साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा है। इसमें वोटर के नाम के साथ पिता और वोटर की एज को सर्च किया जाएगा। एक से अधिक नाम मिलते ही उनका दोनों स्थानों पर वेरिफिकेशन कराया जाएगा। वेरिफेकशन के समय वोटर जहां रह रहा होगा वहां की वोटर लिस्ट में उसका नाम दर्ज कर दिया जाएगा और दूसरे स्थान से उसका नाम काट दिया जाएगा। पिछले चुनाव में ढाई लाख से अधिक ऐसे परिवारों की छटनी की गयी थी इस बार इसे और बारीकी से चेक किया जाएगा और इंश्योर किया जाएगा कि एक वोटर का नाम एक ही विधानसभा में दर्ज रहे।
हो सकती है FIR दर असल चुनाव आयोग की गाइडलाइन में अगर किसी वोटर का नाम एक से अधिक विधानसभा में पाया जाता है तो उसके खिलाफ फोर्जरी की एफआईआर भी दर्ज करायी जा सकती है। वजह यह है कि जब वोटरलिस्ट में नाम शामिल करने के लिए अप्लीकेंट फार्म भरता है तो उसी समय सेल्फ डिक्लेरेशन भी करता है कि उसका नाम किसी और जिले अथवा विधानसभा की वोटर लिस्ट में नहीं है। दो स्थानों पर नाम होने का मतलब है कि वोटर ने जानकारी गलत दी है। ऐसे वोटर के खिलाफ आयोग एफआईआर भी करा सकता है। य बात अलग है कि अब तक आयोग की ओर से इस तरह की कोई एफआईआर नहीं करायी गयी है। आयोग ऐसे लोगों को फिल्टर कर रहा है जिनके नाम एक से अधिक विधानसभाओं में हैं। नाम फिल्टर होने के बाद लिस्ट बीएलओ को वेरिफिकेशन के लिए भेजी जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी वोटर का नाम एक से अधिक विधानसभा में ना हो। - रमेश राय संयुक्त मुख्य राज्य निर्वाचन अधिकारी