lucknow@inext.co.inLUCKNOW : मैनपुरी में शव ले जाने के लिए परिजनों को कोई वाहन न मिलने की घटना ने प्रदेश सरकार को चिंता में डाल दिया है. यही वजह है कि राज्य सरकार ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं. राज्य सरकार ने स्वीकारा है कि सारे अस्पतालों को शव वाहन उपलब्ध कराने के बावजूद कुछ अस्पताल अमानवीय रुख अपना रहे हैं. इससे परिजन अन्य साधनों से शव को अपने घर ले जाते हैं. ऐसी घटनाओं से सरकार और विभाग की छवि भी धूमिल होती है.

- अस्पताल जाते समय हुई मृत्यु तो भी सरकार मुहैया कराएगी शव वाहन

- मैनपुरी की घटना से सबक लेते हुए राज्य सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश

लावारिस लाशों को भी मिलेगा वाहन
शासन द्वारा इस बाबत जारी निर्देशों में कहा गया है कि जिलों के सीएमओ व सीएमएस जनहित में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार शव वाहन उपलब्ध कराने के लिए अपने अधीन नोडल अधिकारी को नामित करेंगे। नोडल अधिकारी का मोबाइल नंबर इत्यादि स्थानीय स्तर पर व्यापक प्रचारित-प्रसारित किया जाएगा ताकि मृतक के परिजन उससे आसानी से संपर्क साध सकें। इस बाबत जिला अस्पतालों में आपातकालीन दूरभाष संख्या को शव परिवहन सेवा के लिए उपयोग में लाया जाएगा। यदि किसी मृतक के परिजन सरकारी वाहन नहीं लेते हैं तो इस बारे में उनसे लिखित में लिया जाएगा। यदि रोगी की अस्पताल जाते समय मौत हो जाती है तो भी मृतक के परिजनों को शव वाहन उपलब्ध कराया जाएगा। इसी तरह लावारिस शवों को अस्पताल, पोस्टमार्टम हाउस, अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाने में शव वाहन का इस्तेमाल किया जाएगा।

क्या था मामला
दरअसल विगत 12 मार्च को मैनपुरी में थाना कोतवाली के हरिहरपुर में मजदूरी करने वाले युवक की पत्‌नी को सांस लेने में दिक्कत हुई जिसके बाद उसने एंबुलेंस बुलाने के लिए 108 पर फोन किया पर एंबुलेंस नहीं पहुंची। पत्‌नी की बिगड़ती हालत देख उसने पड़ोस में सब्जी बेचने वाले पड़ोसी से हाथ ठेला मांगकर उस पर अपनी बूढ़ी मां व बीमार पत्नी को पांच किमी दूर जिला अस्पताल ले गया। अस्पताल पहुंचने से पहले उसकी पत्‌नी की मौत हो गई। पीडि़त ने शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की लेकिन उसे मना कर दिया गया। मजबूरी में उसने फिर ठेले का सहारा लिया और गांव तक अपनी पत्‌नी के शव को ले कर गया।

Posted By: Inextlive