- संगठन ने की ट्रांसफर पॉलिसी की अनिवार्यता खत्म करने की मांग

- दो जुलाई को स्वास्थ्य महानिदेशालय का करेंगे घेराव

LUCKNOW: राज्य सरकार की स्थानांतरण नीति से नाराज संगठन के पदाधिकारियों स्थानांतरण नीति की अनिवार्यता खत्म करने की मांग की है। उनका कहना है कि सिर्फ निवेदन करने वालों का ही तबादला किया जाए। यदि सरकार ने मांग नहीं मानी तो डॉक्टर-कर्मचारी आंदोलन पर मजबूर होंगे। दो जुलाई को कैसरबाग स्थित स्वास्थ्य महानिदेशालय का घेराव करेंगे।

मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा

महानगर स्थित पीएमएस भवन में गुरुवार को चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ की बैठक हुई। इसमें प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ, लैब टेक्नीशियन, आप्ट्रोमेट्रिस्ट एसोसिएशन, राजकीय नर्सेस संघ व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ समेत अन्य संगठनों के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। यूपी लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन के प्रवक्ता सुनील कुमार ने बताया कि कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मियों का तबादला उचित नहीं है। डॉक्टर से लेकर कर्मचारी दिन रात मेहनत कर कोरोना संक्रमितों की जान बचा रहे हैं। ऐसे में तबादला ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार हमारी दिक्कतों को दूर करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है। वहीं तबादला कर मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। उपाध्यक्ष कमल श्रीवास्तव के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर की आशंका है। तबादले से स्थिति बिगड़ सकती है। नई जगह पर काम करने में भी कर्मचारियों को दिक्कत होगी। राजकीय नर्सेस संघ के महामंत्री अशोक कुमार ने कहा कि सिर्फ उन्हीं लोगों के तबादले किए जाएं जो डॉक्टर-कर्मचारी मांग कर रहे हैं।

तो सेवाएं होंगी प्रभावित

संगठन के संयोजक डॉ। सचिन वैश्य के मुताबिक स्थानांतरण नीति में प्राथमिकता के मुताबिक स्थानांतरण की बात कही गई है। यह प्राथमिकता कौन तय करेगा? इसका अता-पता नहीं है। अभी दूसरी लहर से सभी स्वास्थ्य कर्मी उबरे भी नहीं है। बहुत से स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हैं या फिर पोस्ट कोविड हो गया है। परिजन के देहांत होने से वह पहले से ही शोक में हैं। तीसरी लहर आने की भी आशंका है। इस बीच अगर स्वास्थ्य कर्मियों का स्थानांतरण किया जाता है तो सेवाएं प्रभावित होंगी।

Posted By: Inextlive