रमजान मुसलमानों के लिए बहुत ही मुकद्दस महीना है। इसमें ज्यादा से ज्यादा कुरान पाक की तिलावत करें। साथ ही अपनों की खैरियत की दुआ करते रहें।


लखनऊ (ब्यूरो)। सुन्नी हेल्पलाइन-सवाल: एक शख्स ने लगभग छह सालों से हज के लिए कुछ रकम निकाल कर रख दी है और वह इस साल हज पर जाना चाहते हैं। क्या इस रकम पर तमाम पिछले सालों की जकात वाजिब है?जवाब: जब तक वह रकम खर्च न हो जाए उस वक्त तक तमाम पिछले सालों की जकात वाजिब है।सवाल: एक शख्स जिसको मिर्गी का मर्ज है, रोजे के दौरान उसको दौरा पड़ जाए तो क्या रोजा टूट जाएगा?जवाब: रोजा नहीं टूटेगा।सवाल: क्या बिना वुजू के रोजा इफ्तार कर सकते हैं?जवाब: जी हां, कर सकते हैं। लेकिन वुजू के साथ करें तो ज्यादा अच्छा है।सवाल: क्या तस्वीर वाले कपड़े पहन कर नमाज पढ़ सकते हैं?जवाब: नहीं पढ़ सकते। सवाल: क्या जकात की रकम से कब्रिस्तान की बाउंड्री वगैरह बनवा सकते हैं?जवाब: नहीं बनवा सकते। शिया हेल्पलाइन के सवाल


सवाल: अगर रोजा के कारण शिशु की खुराक पर असर पड़ रहा है तो क्या उसका रोजा सही होगा?जवाब: अगर शिशु की खुराक पर असर पड़ रहा है तो रोजा नहीं रखा जाएगा।सवाल: रमजान में कुरआने करीम पढऩे और आम दिनों में इसकी तिलावत करने का क्या सवाब होगा?

जवाब: मासूम (अ.स.) ने फरमाया है कि रमजान में एक आयत पढऩे का सवाब दूसरे महीनों में एक मुकम्मल कुरआन के बराबर है।सवाल: अगर किसी व्यक्ति को रोजा रख कर सफर करना पड़े तो क्या हुक्मे शराई है?जवाब: रोजेदार को रोजा रख कर सफर करना पड़े तो वह जवाल (12 बज कर 15 मिनट ) के बाद सफर कर सकता है, मतलब अपने शहर के होदूद को पार करे।सवाल: जकात जेवरात पर भी अदा की जाएगी?जवाब: जकात सोने पर वाजिब है, लेकिन जो जेवर महिला प्रयोग में लाती है उन पर जकात नहीं दी जाएगी। सवाल: खुम्स कैसे वाजिब होता है, उसकी क्या शर्त है? उत्तर: खुम्स फरूवे दीन में है जो कि हर एक पर वाजिब है। अगर साल भर का खर्च करने के बाद कुछ बचे तो उसमें से पांचवां हिस्सा खुम्स निकाला जाएगा।इफ्तार व सहरी का वक्तसुन्नीइफ्तार: शाम 6:24 बजेसहरी: सुबह 4:34 बजेइफ्तार: शाम 6:32 बजेसहरी: सुबह 4:43 बजेरमजान मुसलमानों के लिए बहुत ही मुकद्दस महीना है। इसमें ज्यादा से ज्यादा कुरान पाक की तिलावत करें। साथ ही अपनों की खैरियत की दुआ करते रहें।-जहूर अहमद, बालागंज

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