निजी प्रकाशक अपनी किताबों को लागू कराने के लिए स्कूलों को कमीशन देते हैं। स्कूल भी दुकानदारों से कमीशन वसूलते हैं। इस तरह स्कूलों को 10 से 30 फीसदी तक कमीशन मिलता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। मौजूदा समय में अभिभावकों की जेब पर फीस के बाद कॉपी किताबों का बोझ भी बढ़ रहा है। एक तरफ जहां लगातार कागजों के बढ़े दामों का असर किताबों व कॉपियों पर दिख रहा है तो दूसरी तरफ निजी स्कूलों की ओर से अपनी पसंदीदा दुकानों से कॉपी किताबें खरीदवाने से भी पेरेंट्स की मुश्किलें बढ़ रही हैं।केस 1: छवि शुक्ला, जानकीपुरममहीने की इनकम: 35 हजार रुपयेएक बच्चा है, जो 6 क्लास में गया है। इस साल नए सत्र के नाम पर उन्होंने 8 हजार रुपये की किताबें खरीदी हैं। इस सेट में किताबों के साथ स्टेशनरी का भी सामान है।केस 2: रोहित मिश्र, महानगरमहीने की इनकम: 40 हजार रुपये


दो बच्चे हैं, एक क्लास 6 और एक क्लास 9 में गया है। उन्होंने नए सत्र में दोनों बच्चों के लिए 10 हजार 437 रुपये की कॉपी किताबें खरीदी हैं। इनमें स्टेशनरी का खर्चा करीब चार हजार रुपये है। उनका कहना है कि सालाना स्टेशनरी के नाम पर हजार से दो हजार रुपये का और खर्च आता है।क्लास 1 की किताबें 3 हजार में

गोमतीनगर निवासी मंजू मिश्रा बताती हैं कि उनका बेटा इस साल 1 क्लास में गया है। उसकी किताबें लेने पहुंचे तो सिर्फ किताबें ही 2,815 रुपये में मिल रही हैं। इसके अलावा कॉपियों का सेट 677 रुपये का है, जिसमें कुछ स्टेशनरी का चार्ज अलग से देना है, जो 350 रुपये के करीब है। जब क्लास 1 की किताबें ही 3 हजार रुपये से ऊपर की मिलेंगी तो अभिभावक परेशान ही रहेंगे।एक ही दुकान से खरीदने का दबावइंदिरानगर निवासी सचिन शुक्ला ने बताया कि उनका बेटा इंदिरानगर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ता है। वह प्रेप क्लास से यहां पढ़ रहा है। यहां की जो बुकलिस्ट है उसकी किताबें किसी दूसरी दुकान में नहीं मिलती हैं। यहां जो तुलसी मार्केट है वहीं दुकान पर पूरा सेट मिलता है। पेरेंट्स को वहीं से किताबें खरीदनी पड़ती हैं। सेट भी 5 हजार से कम का नहीं होता है।प्राइवेट पब्लिकेशन पर कमीशनखोरी

सीबीएसई की गाइडलाइन के मुताबिक, सीबीएसई बोर्ड से जुड़े स्कूल एनसीईआरटी की किताबों को ही सिलेबस में शामिल कर सकते हैं, लेकिन निजी स्कूल कमीशन के लालच में निजी प्रकाशकों की किताबें लागू करते आए है। जानकीपुरम के पेरेंट्स ने बताया कि उनका बेटा सीबीएसई स्कूल में कक्षा 8 का छात्र है। यहां एनसीईआरटी की जगह कैम्ब्रिज, फुलमाक्र्स, कारडोवा, मिलेनियम, रचना सागर पब्लिकेशन की किताबें पढ़ाई जा रही हैं, जिनकी कीमत 5 हजार रुपये के आसपास है। 10 से 30 फीसदी तक कमीशननिशातगंज स्थित बुक स्टोर के ओनर बताते हैं कि एनसीईआरटी की किताबों का सेट पांच सौ रुपये के अंदर आ जाता है। वहीं, प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें चार हजार रुपये से कम की नहीं मिलतीं। निजी प्रकाशक अपनी किताबों को लागू कराने के लिए स्कूलों को कमीशन देते हैं। स्कूल भी दुकानदारों से कमीशन वसूलते हैं। इस तरह स्कूलों को 10 से 30 फीसदी तक कमीशन मिलता है। स्कूल अभिभावकों को किताबों की लिस्ट थमा कर मौखिक तौर पर बता देते हैं कि उनको किस दुकान से किताबें खरीदनी हैं। तय दुकान से किताबें लेने पर अभिभावकों को छूट नहीं मिलती, जबकि खुले बाजार में किसी भी दुकान से किताबें खरीदें तो उन्हें 20 प्रतिशत तक की छूट आराम से मिल जाती है। कई स्कूल्स अपने आस-पास की बुक शॉप्स से ही अभिभावकों को किताबें खरीदने पर जोर देता है।स्टेशनरी खरीदिए लेकिन हमारी पसंद से
शहर के कई निजी स्कूलों ने किताबों के साथ-साथ स्टेशनरी की लिस्ट भी अपनी मनपसंद कंपनियों के हिसाब से निर्धारित कर दी है। अभिभावकों को स्कूल की दी हुई कंपनियों के हिसाब से ही बच्चों के लिए कलर बॉक्स, पेंसिल और पेंट ब्रश, यहां तक कि गोंद वगैरह खरीदना पड़ रहा है। शहर के एक नामी बॉयज स्कूल में नर्सरी क्लास की बुकलिस्ट 2023-24 में डस्टलेस व्हाइट चॉक के लिए कोरस कंपनी, प्लास्टिक क्रेयॉन्स के लिए फेबर कासल, वाटर कलर के लिए कैमलिन बॉटल निर्धारित है। कुछ अभिभावकों का कहना है कि स्कूल पहले बल्क में स्टेशनरी मंगवाता है फिर उसको एक निर्धारित समय पर जाकर जमा करवा लेता है। स्टेशनरी में कुछ ऐसे आइटम भी होते हैं जिनका सालभर कोई इस्तेमाल नहीं होता।अभिभावकों के कोटमैं जिस स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ा रही हूं वहां दो सेट मिलते हैं। सेमेस्टर के हिसाब से किताबें चलती हैं। छह महीने के बाद एक सेट बर्बाद हो जाता है। छह महीने बाद दूसरा सेट चलता है। ऐसे में बुक, कवर, कॉपी वगैरह पर दो बार खर्च होता है।-रीता सिंह, महानगरएक बच्चे की किताब का सेट पांच हजार से नीचे का नहीं पड़ता है। दो बच्चों को पढ़ाने के खर्चे ही इतने अधिक हो जा रहे हैं कि पेरेंट्स के लिए मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में इन खर्चों से पेरेंट्स को राहत देनी चाहिए।-प्रदीप श्रीवास्तव, पेरेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनबोर्ड वाइज कीमतेंक्लास 6 का रेटआईसीएसई बोर्ड : 5305 रुपये
सीबीएसई बोर्ड : 4760 रुपयेयूपी बोर्ड: 2200 रुपयेक्लास 9 का रेटआईसीएसई बोर्ड: 7500 रुपयेसीबीएसई बोर्ड: 5677 रुपयेयूपी बोर्ड: 2500 से 3500 रुपये के बीचनोट: बुक सेट के रेट स्कूलों के हिसाब से हैं। इसमें मेंशन रेट शहर के स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों की बातचीत के आधार पर हैं।

Posted By: Inextlive