ट्रैफिक जाम की राजधानी बना लखनऊ
- यूपी 100 में बीते एक साल में ट्रैफिक जाम की शिकायतों में लखनऊ अव्वल
- गाजियाबाद दूसरे व नोएडा तीसरे नंबर पर - राजधानी में जाम की हर रोज मिलती हैं औसतन 45 शिकायतें pankaj.awasthi@inext.co.inLUCKNOW : अगर आप सोचते हैं कि लखनऊ सिर्फ प्रदेश की राजधानी है तो आप गलत हैं। ट्रैफिक जाम की समस्या के मामले में भी यह प्रदेश की राजधानी है। सड़कों पर रेंगता ट्रैफिक और मामूली दूरी तय करने में लंबे वक्त का जाया होना राजधानी में आम बात हो चुकी है। यूपी 100 के बीते एक साल के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि पूरे साल सबसे ज्यादा ट्रैफिक जाम की शिकायतें राजधानी लखनऊ के बाशिंदों ने की। इस समस्या से ग्रस्त गाजियाबाद ने दूसरे और नोएडा ने तीसरे नंबर पर अपनी जगह बनाई है। हालांकि, वहां की शिकायतों की संख्या राजधानी से काफी कम हैं। बावजूद इसके लखनऊ ट्रैफिक पुलिस न तो इसे लेकर कोई वर्कप्लान बना रही है और न ही इस सूरत को बदलने में उसकी कोई दिलचस्पी है।
हालात बयां कर रहे आंकड़ेयूपी 100 को पहुंची शिकायतों के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि बीते एक साल में राजधानी के बाशिंदों ने ट्रैफिक जाम की 16 हजार 391 शिकायतें दर्ज कराई। वहीं, गाजियाबाद से मिलने वाली शिकायतों की संख्या 10 हजार 89 रही। शिकायतों की संख्या में मामले में नोएडा तीसरे नंबर पर रहा। यहां से ट्रैफिक जाम की कुल 7 हजार 275 शिकायतें प्राप्त हुई। राजधानी में प्राप्त शिकायतों को अगर प्रतिदिन के लिहाज से औसत निकालें तो राजधानी में जाम की हर रोज 45 शिकायतें मिलती हैं। जाम की इस विकराल समस्या के बावजूद न तो राजधानी की ट्रैफिक पुलिस ने कोई वर्कप्लान तैयार किया और न ही सरकार का कोई अन्य जिम्मेदार विभाग ही आगे आया।
अधूरी फौज से लड़ रहे लड़ाईजहां एक तरफ राजधानीवासी ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं लखनऊ ट्रैफिक पुलिस आधी-अधूरी फौज के साथ मैदान में है। लखनऊ ट्रैफिक पुलिस में स्वीकृत पद और मौजूद स्टाफ में भारी अंतर है। ट्रैफिक पुलिस में ट्रैफिक इंस्पेक्टर के आठ पद स्वीकृत हैं जबकि, वर्तमान में पांच ट्रैफिक इंस्पेक्टर ही मौजूद हैं। इसी तरह सब इंस्पेक्टर के 36 स्वीकृत पदों के मुकाबले सिर्फ 20 सब इंस्पेक्टर ही वर्तमान में ट्रैफिक संभालने का जिम्मा उठा रहे हैं। एचसीपी व हेडकॉन्सटेबल का आंकड़ा तो ठीक है लेकिन, असल में ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के जिम्मेदार ट्रैफिक कॉन्सटेबल के 600 स्वीकृत पदों के सापेक्ष सिर्फ 382 कॉन्सटेबल ही वर्तमान में कार्यरत हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि ट्रैफिक पुलिस में मौजूद आधी-अधूरी फौज में से आधे यानि 50 परसेंट स्टाफ राजधानी में वीआईपी मूवमेंट या धरना-प्रदर्शन में ड्यूटी करता है। यानि चौथाई फौज ही ट्रैफिक संभालने के लिये उपलब्ध है। ऐसे में हालात सुधरने की उम्मीद करना ही बेमानी है।
ट्रैफिक जाम वाले टॉप 10 शहर शहर शिकायतें लखनऊ 16,391 गाजियाबाद 10,089 गौतमबुद्धनगर 7,275 कानपुर सिटी 6,764 इलाहाबाद 5,712वाराणसी 4,555
मेरठ 3,995 आगरा 3,659 मथुरा 1,988 गोरखपुर 1,913 लखनऊ ट्रैफिक पुलिस में स्टाफ पद स्वीकृत मौजूद ट्रैफिक इंस्पेक्टर 8 5ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर 36 20
एचसीपी/हेड कॉन्स। 128 130 कॉन्सटेबल 600 382 ट्रैफिक जाम की समस्या की उच्च स्तर पर मॉनीटरिंग की जा रही है। अलग-अलग सड़कों पर लगने वाले जाम की असल वजह का पता लगाकर उसके मुताबिक कार्ययोजना बनाई जाएगी। - रविशंकर निम, एसपी ट्रैफिक