- मनीष कभी दुर्गेश के खास दोस्तों में था शामिल

- दुर्गेश ने मनीष के 67 लाख और पलक के 22 लाख हड़प रखे थे

- फर्जी मार्कशीट व नौकरी दिलाने का झांसा देने वाले गैंग से भी जुड़े थे तार

LUCKNOW: दुर्गेश की हत्या 90 लाख रुपये के लेन देने के विवाद में हुई है। सूत्रों के मुताबिक दुर्गेश ने पलक ठाकुर से भी नौकरी लगवाने के नाम पर 22 लाख रुपए ले रखे थे, जिसे वह वापस नहीं कर रहा था और न ही नौकरी लगवा रहा था। इसको लेकर काफी समय से दोनों में विवाद चल रहा था। वहीं मनीष से भी उसने 67 लाख रुपये ले रखे थे। बताया जा रहा है कि पलक ठाकुर समेत कई पीडि़त हर रोज सचिवालय के गेट पर खड़े रहते थे। उनका कहना है कि वह इस इंतजार में रहते हैं कि जैसे ही दुर्गेश बाहर आए तो उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दें।

भ्रम का फैला रखा था मायाजाल

दुर्गेश खुद को सचिवालय कर्मी बता कर लोगों को नौकरी दिलाने का झांसा देता था और उनकी रकम ऐंठ लेता था। वह लोगों को बताता था कि उसका सचिवालय में ऑफिस है जबकि वह एक अफसर के ऑफिस में उनकी कुर्सी पर बैठ कर फोटो खिंचवाता था और उस फोटो को अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर अपलोड कर देता था, जिससे लोग उसकी बात पर झांसे में आ जाएं।

सचिवालय के बैडमिंटन कोर्ट में करता था डीलिंग

दुर्गेश नौकरी के लिए आए लोगों को अपने पास पर सचिवालय के गेट नंबर चार से अंदर लेकर जाता था और परिसर में स्थित बैडमिंटन कोर्ट में पैसों की डीलिंग करता था। वहां दुर्गेश के कई परिचित भी थे, जो उसे सर कहकर बुलाते थे। इससे लोग और भी ज्यादा उसके झांसे में आ जाते थे और नौकरी के नाम पर बताई गई रकम उसे दे देते थे।

किराए पर लेकर हड़प ली थी डिजायर कार

कुछ दिनों पहले दुर्गेश ने कृष्णानगर के मधुवन के एक युवक से 8 माह पहले डिजायर कार 25 हजार रुपये महीने पर किराए पर ली थी। एक माह पैसा देने के बाद उसकी कार हड़प ली। कार मालिक ने कई बार उससे गाड़ी मांगने का प्रयास किया, लेकिन कार लापता हो गई।

कभी दोस्त था अब बन गया कातिल

दुर्गेश का कालित मनीष यादव कभी उसका खास दोस्त था। हालांकि पैसों के लेन देन के विवाद में मनीष ने दुर्गेश का साथ छोड़ दिया और पलक ठाकुर के साथ हो लिया। दोनों गुट एक दूसरे से पहले से परिचित थे। इसका खुलासा फर्जी मार्कशीट का गैंग चलाने व नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के मामले की जांच में सामने आया है।

Posted By: Inextlive