Lucknow News: संजय गांधी पीजीआई में जल्द नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग एनजीएस लैब की स्थापना होगी। जहां जेनेटिक बीमारियों को लेकर डीएनए और आरएनए की सीक्वेंसिंग की जा सकेगी। जिसकी मदद से कम समय में पूरे जीनोम की सीक्वेंसिंग हो जाएगी।


लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई में जल्द नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) लैब की स्थापना होगी। जहां जेनेटिक बीमारियों को लेकर डीएनए और आरएनए की सीक्वेंसिंग की जा सकेगी। जिसकी मदद से कम समय में पूरे जीनोम की सीक्वेंसिंग हो जाएगी। संस्थान के निदेशक के अनुसार इस लैब का निर्माण जल्द शुरू होगा। इसके शुरू होने से संस्थान के मरीजों को जांच के लिए दूसरी जगहों पर नहीं जाना पड़ेगा।एक एडवांस तकनीकएनजीएस, डीएनए और आरएनए की सीक्वेंसिंग और वैरिंएट-म्यूटेशन का पता लगाने के लिए यह एक नई और एडवांस तकनीक है। जिसकी मदद से जेनेटिक बीमारी भी आसानी से डायग्नोसिस हो सकेगी। इससे यह आसानी से पता चलेगा कि जीन में कौन-कौन सी बीमारियां हो रही हैं। गौरतलब है कि कई बीमारियों जैसे सिकल सेल, टर्नर सिंड्रोम, हीमोफीलिया, डाउन सिंड्रोम, ट्राइसोमी 18, डायबीटिज आदि में जीन सीक्वेंसिंग करनी होती है।ट्रीटमेंट में मिलेगा
एनजीएस की मदद से जीन लाइब्रेरी भी बनाई जा सकेगी। इससे जीन की बीमारियों के बारे में पूरी डिटेल जुटाई जा सकेगी। इसका फायदा यह होगा कि आगे चलकर इन बीमारियों के उपचार की नई विधियां खोजी जाएंगी। वहीं बीमारी के इलाज के लिए सटीक दवा की जानकारी भी मिल जाएगी।12 करोड़ में बनेगी लैब


निदेशक प्रो। आरके धीमन के अनुसार करीब 12 करोड़ की लागत से लैब का निर्माण होगा। जिसके बाद कई डिपार्टमेंट्स को जीनोम सीक्वेंसिंग के अंडर में लाया जाएगा। नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग लैब एक डेडिकेटेड लैब होगी। जहां जेनेटिक्स से जुड़ी हर जांच होगी। अभी एडवांस जांच के लिए सैंपल हैदराबाद या बेंगलुरु या फिर किसी प्राइवेट लैब में भेजे जाते हैं। इस लैब में दूसरे संस्थान भी अपने यहां लिए गए सैंपल भेजकर जांच करा सकेंगे। यह लैब एक से दो माह के अंदर बनकर तैयार हो जाएगी।एनजीएस लैब बनाने में करीब 12 करोड़ का खर्च आएगा। इसके बाद जीन से जुड़ी सभी जांचे संस्थान में हो सकेंगी। इसका फायदा मरीजों को मिलेगा।-प्रो। आरके धीमन, निदेशक संजय गांधी पीजीआई

Posted By: Inextlive