मॉडिफाई साइलेंसर पर अब मुकदमा
लखनऊ (ब्यूरो) । हाईकोर्ट के आदेश पर अब ऐसे वाहन स्वामी जो मॉडिफाई साइलेंसर का यूज कर रहे हैं या फिर वह शोरूम, वर्कशॉप, मैकेनिक जो मॉडिफाई साइलेंसर बना रहे हैं, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 290 (लोक बाधा उत्पन्न करना) के तहत कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक पीआईएल को संज्ञान में लेकर जारी किया हैै।
इन गाडिय़ों पर विशेष निगाह
बुलेट, हार्ले डेविडसन, यूएन कमाडो, सुजुकी इंट्ूडर, बिग डाग, नदर्न कमाडो व चार पहिया वाहन
मॉडिफाई साइलेंसर पर मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 182 ए(4) (वाहन के स्वरुप में परिवर्तन), धारा 190 (2) (ध्वनि प्रदूषण के अंतर्गत कार्रवाई), धारा 53 (वाहन के पंजीकरण का निस्तीकरण) धारा 19 एफ (चालान अनुज्ञप्ति निस्तीकरण) के तहत विधिक कार्रवाई की जाएगी।
ट्रैफिक विभाग चला रहा अभियान
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ट्रैफिक विभाग लगातार मॉडिफाई साइलेंसर के खिलाफ चेकिंग अभियान चला रहा है। मामले में ट्रैफिक विभाग हर दिन 20 से 25 चालान कर रहा है। खासतौर पर बुलेट बाइक को रोक कर उसे चेक किया जा रहा हैै।
सुनने की क्षमता कम कर सकता
ध्वनि प्रदूषण को मापने का पैमाना डेसिबल होता है। एक सामान्य व्यक्ति 0 डेसिबल तक की आवाज सुन सकता है। यह पेड़ के पत्तों की सरसराहट के बराबर होती है। सामान्य तौर पर आप और हम जो बातचीत करते हैं वो 60 डेसिबल के आस-पास होती है। 100 डेसिबल की आवाज को 15 मिनट तक लगातार सुनने से कान हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं। बिजली कड़कने की आवाज 120 डेसिबल और बंदूक चलाने पर निकलने वाली आवाज का लेवल 140 से 190 डेसिबल हो सकता है।