पीजीआई से लगभग छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित नार्दर्न रेलवे के उतरेटिया स्टेशन पर कुल दो प्लेटफार्म हैं जिसमें रोजाना तीन यात्री ट्रेनें का आवागमन होता है। जिसमें लगभग 200 पैसेंजर्स सफर करते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। 'साहब! सुल्तानपुर अपने गांव आने-जाने के लिए उतरेटिया स्टेशन का इस्तेमाल करता हूं, क्योंकि यहां से घर नजदीक है, स्टेशन में तो कई सुविधाएं हैं, लेकिन यहां पर ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह ध्वस्त है। कई बार स्टेशन से घर जाने के लिए घंटों सवारी गाडिय़ों का इंतजार करना पड़ता है और जब मिलती भी है तो मनमाना किराया वसूला जाता है, जिससे इधर-उधर भटकना पड़ता हैÓ, यह कहना था उतरेटिया स्टेशन पर मिले सैनिक नगर के रहने वाले राजकुमार का। यह तो एक पैसेंजर की पीड़ा थी, ऐसे ही न जाने कितने पैसेंजर्स को रोजाना इस तरह से जूझना पड़ता है। इसकी सच्चाई तब सामने आई जब पाठकों की शिकायत पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने उतरेटिया रेलवे स्टेशन का रियलटी चेक किया, जहां कई खामियां दिखीं। एक तरफ जहां स्टेशन को हाईटेक बनाने का ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है, वहीं दूसरी तरफ सवारी की सुविधा अधिकारियों को टेंशन दे रही है।रोजाना 200 पैसेंजर्स करते हैं सफर


पीजीआई से लगभग छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित नार्दर्न रेलवे के उतरेटिया स्टेशन पर कुल दो प्लेटफार्म हैं, जिसमें रोजाना तीन यात्री ट्रेनें का आवागमन होता है। जिसमें लगभग 200 पैसेंजर्स सफर करते हैं। फ्राइडे दोपहर 12.45 बजे आई नेस्क्ट की टीम जब उतरेटिया रेलवे स्टेशन पहुंचती है, तो बाहर ही जलभराव मिला। चारों तरफ पानी फैला हुआ था। इतना ही नहीं, प्लेटफार्म के मेन गेट पर सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम नहीं थे। प्लेटफार्म पर आगे बढ़ते ही गंदगी भी मिली। हालांकि, पानी की व्यवस्था जरूर थी, लेकिन पानी ठंडा नहीं था।वसूला जा रहा मनचाहा किरायास्टेशन पर बैठे नितीश ने बताया कि यह स्टेशन शहर के आउटर में होने की वजह से भले ही पैसेंजर्स की संख्या कम हो, लेकिन यह पीजीआई के नजरिए से अहम स्टेशन है, क्योंकि प्रयागराज समेत अन्य रूटों से यहां का स्टेशन पीजीआई के सबसे नजदीक है। यही वजह है कि कई यात्री उतरेटिया स्टेशन ही उतरने की कोशिश करते हैं, पर हैरानी इससे होती है कि इतना महत्वपूर्ण स्टेशन होने के बावजूद व्यवस्था आधी अधूरी है। यहां सबसे ज्यादा असुविधा ट्रांसपोर्टेशन की है, अगर कोई पैसेंजर स्टेशन से तेलीबाग, पीजीआई या मेन रोड पर जाना चाहे तो उसे काफी इंतजार करना पड़ता है। साथ ही कोई व्यवस्था भी नहीं है और ई-रिक्शा या फिर बुकिंग की गाडिय़ां मनचाहा किराया वसूल करती हैं।25 करोड़ से बनाया ब्लूप्रिंट

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि उतरेटिया रेलवे स्टेशन को हाईटेक बनाने के लिए ब्लूपिं्रट तैयार किया गया है। इसके लिए वाटर वेंडिंग मशीनें, ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनें और एसी लाउंज आदि यात्री सुविधाओं के काम कराए जाएंगे। इसके लिए 25 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च फस्र्ट फेज में किया जाएगा। साथ ही स्टेशन को सेटेलाइट स्टेशन बनाकर एक्सप्रेस ट्रेनों को यहां ठहराव मिल सकता है। इन ट्रेनों को ठहराव मिलने पर वृंदावन योजना, रायबरेली रोड, आशियाना, एसजीपीजीआइ सहित कई इलाकों में रहने वाले यात्रियों को भी राहत मिलेगी। तेलीबाग चौराहा से सार्वजनिक वाहनों की व्यवस्था होने से यात्रियों को उतरेटिया स्टेशन पहुंचने तक आसानी होगी।क्या बोले पैसेंजर्सयह स्टेशन सिर्फ वही इस्तेमाल करते हैं, जिनका आसपास घर है या फिर जिन्हें पीजीआई जाना हो। ऐसे में अगर सवारी गाड़ी की व्यवस्था और रेट तय कर दिया जाए तो पैसेंजर्स को राहत मिलेगी।अंकुश श्रीवास्तवकई बार कानपुर जाना होता है तो यहां से शाम साढ़े पांच बजे ट्रेन मिलती है, लेकिन कई बार यहां के लिए सवारी ही नहीं मिलती, जिस वजह से दिक्कत बनी रहती है। इस व्यवस्था को ठीक करने की जरूरत है।रजत कुमार

सुबह लगभग साढ़े दस बजे कानपुर से ट्रेन आती है। स्टेशन के बाहर कई सारे ई-रिक्शा भी होते हैं, लेकिन वे मनचाहा किराया वसूल करते हैं। रेलवे प्रशासन की तरफ से कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।बिहारी लाल

Posted By: Inextlive