चौक अमीनाबाद यहियागंज नक्खास गुरुनानक मार्केट नाजा प्रिंस मार्केट और चारबाग एरिया में बने करीब 16 हजार से अधिक होटल कामर्शियल बिल्डिंग फायर के मानकों की अनदेखी कर चल रही हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। हजरतगंज स्थित प्रिंस मार्केट में गुरुवार को लगी आग ने सैकड़ों लोगों की जान आफत में डाली दी थी। इन हादसों के बाद भले ही फायर, पुलिस व एलडीए समेत अन्य जिम्मेदार एक्शन मोड में आए लेकिन हकीकत है कि शहर की 90 फीसदी होटल, कोचिंग सेंटर व अधिकतर बिल्डिंगों में आग से निपटने की पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।हादसों से नहीं ले रहे सबकचौक, अमीनाबाद, यहियागंज, नक्खास, गुरुनानक मार्केट, नाजा, प्रिंस मार्केट और चारबाग एरिया में बने करीब 16 हजार से अधिक होटल, कामर्शियल बिल्डिंग फायर के मानकों की अनदेखी कर चल रही हैं। फायर हाइड्रेंट भी गायब


अमीनाबाद में आग से निपटने के लिए वर्ष 2005 में फायर हाइड्रेंट बनाया गया था ताकि किसी प्रकार का हादसा होने पर यहां से पानी लिया जा सके। अब ये लापता हैं। मार्केट की ज्यादातर गलियां इतनी तंग हैं कि वहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी तक नहीं पहुंच सकती।जांच ठंडे बस्ते में

आग की घटना होने पर अधिकारी जांच और कार्रवाई का दावा करते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फाइन के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है। शहर में मानकों को दरकिनार कर बने कोचिंग सेंटर, अस्पतालों से लेकर बाजारों की फायर और अन्य विभागों ने कई बार रिपोर्ट तैयार की, लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई।तैयार की गई थी रिपोर्टएक हादसे के बाद लखनऊ में कोचिंग संचालक, स्टेशन फायर अफसर, होटल मालिक, व्यापारी संगठनों और अस्पताल संचालकों के लिए साथ वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया। इसके बाद चीफ फायर अफसर विजय कुमार सिंह ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी थी। मामले में एडीजी ने 15 दिन में ऐसी सभी इमारतों को सील करने का आदेश दिया था, जिनके पास फायर की एनओसी नहीं है। इसके बाद एलडीए ने जोनवार एक्सईएन को बिना फायर एनओसी वाली इमारतों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए लेकिन इसकी दोबारा रिपोर्ट ही नहीं मांगी गई।एनओसी के मानक- 3 साल के लिए दी जाती है कामर्शियल बिल्डिंग को एनओसी- 5 साल के लिए दी जाती है रेजीडेंशियल बिल्डिंग को एनओसी नौ पार्ट में होता है मानककिसी भी बिल्डिंग की एनओसी का मानक 9 पार्ट में होता है। कामर्शियल बिल्डिंग का क्राइटेरिया अलग-अलग है। ज्यादातर कोचिंग सेंटर कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स और बिल्डिंग में चल रहे हैं। इसमें असेंबली बिल्डिंग, ग्लास बिल्डिंग, ओपन बिल्डिंग समेत अन्य मानक हैं। 500 वर्ग मीटर क्षेत्र वाली बिल्डिंग में 2 से 3 सीढिय़ां होनी जरूरी हैं।नहीं लेते फायर एनओसी

शहर में कई बिल्डिंग बिना फायर एनओसी के खड़ी हैं। बिल्डिंग ओनर दूसरे डिपार्टमेंट से एनओसी लेकर बिल्डिंग बना लेते हैं, लेकिन फायर एनओसी नहीं लेते हैं। फायर व जिला प्रशासन की तरफ से संबंधित डिपार्टमेंट को लेटर लिखा गया है कि वह पहले फायर एनओसी देखें, इसके बाद ही अन्य एनओसी जारी करें।ये विभाग हैं जिम्मेदारबिजली विभागकोचिंग काम्प्लेक्स में बिजली के तारों का जाल फैला है। बिजली विभाग की जिम्मेदारी इन्हें ठीक करने की है, लेकिन विभाग कभी निरीक्षण करने नहीं पहुंचता।नगर निगम व एलडीएकिसी भी बिल्डिंग में निर्माण कार्य व लाइसेंस चेक करना नगर निगम व एलडीए की जिम्मेदारी होती है। समय-समय पर वह चेकिंग करें तो बिल्डिंग के हालत का खुलासा हो सकता है।जिला प्रशासनजिला प्रशासन की ओवरऑल जिम्मेदारी है। कोई भी बिल्डिंग रहने लायक है या कामर्शियल बिल्डिंग में मानकों को पूरा गया है या नहीं।फायर डिपार्टमेंटकामर्शियल-रेजीडेंशियल बिल्डिंग के सुरक्षा मानकों व फायर की जिम्मेदारी फायर डिपार्टमेंट की है। हालांकि, फायर डिपार्टमेंट ने करीब 300 ऐसी बिल्डिंग संचालकों को नोटिस भेजा है।काम्प्लेक्स के लिए मानक- सैट बैक (मोटरेबल)- सैट बैक (भवन की ऊंचाई के हिसाब से वर्किंग स्पेस)- फायर एग्जिट- पलायन मार्ग की स्पष्टता
- पलायन मार्ग की डिस्टेंस
- वैकल्पिक रास्ता और जीने की व्यवस्था- आकस्मिक स्थिति में लाइट की व्यवस्था- बेसमेंट में रैंप की व्यवस्थाबिल्डिंगों में सुरक्षा के लिए- फायर एक्सटिंग्यूशर- डाउन कमर सिस्टम- यार्ड हाईडेंट सिस्टम- आटोमेटिक स्प्रिंकलर्स सिस्टम- आटोमैटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम- मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट फायर अलार्म सिस्टम- अंडरग्राउंड वाटर टैंक- ओवरहेड वाटर टैंक

Posted By: Inextlive