इंदिरानगर निवासी अंकित भी चाइनीज मांझे का शिकार हो चुके हैैं। हालांकि उन्हें बहुत गहरी चोट तो नहीं लगी थी लेकिन उनके मन में चाइनीज मांझे का डर अभी बना हुआ है।


लखनऊ (ब्यूरो)। चाइनीज मांझा लोगों की जान के लिए मुसीबत बन चुका है। जो लोग इसकी चपेट में आए हैैं, वे आज भी उस खौफनाक पल को याद कर सिहर उठते हैैं। चाइनीज मांझे की वजह से किसी की आंख बुरी तरह जख्मी हो गई, तो किसी का गला कट गया। फिर ठीक होने में उन्हें महीनों लग गए। अब वे स्वस्थ तो हैैं लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं चाइनीज मांझे का खौफ बना हुआ है। जिन स्थानों पर वे चाइनीज मांझे का शिकार हुए, वहां से गुजरते वक्त उनकी नजरें चौकन्नी रहती हैैं। आइए जानते हैैं कुछ पीडि़त लोगों का दर्द उनकी जुबानी5 से 6 दिन तक अस्पताल में रहे भर्ती


मैैं 21 अगस्त 2022 को कुकरैल बंधे से गुजर रहा था। इसी दौरान चाइनीज मांझा मेरे गले में आकर फंस गया। जब तक मैैं कुछ समझ पाता, मांझे ने मेरी गर्दन को बुरी तरह से जख्मी कर दिया। जख्मों की गहराई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुझे पांच से छह दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। मांझे से मिले घाव के कारण मौके पर ही बहुत खून निकल गया था, जिसकी वजह से आंखों के सामने अंधेरा छा गया था। किसी तरह अस्पताल पहुंचा और अपना इलाज कराया। अब तो स्थिति यह है कि उस रूट से गुजरने के दौरान मेरी नजरें हर तरफ मांझे पर ही रहती हैैं। -धीरज रावत, विकास नगरमांझे ने आंखों की पलकों को काट दियामैैं भी चाइनीज मांझे का शिकार हो चुका हूं। मैैं पिछले साल पुरनिया फ्लाईओवर से गुजर रहा था, इसी दौरान मांझा मेरी आंखों के ऊपरी हिस्से में आकर फंस गया। जब तक मैैं कुछ समझ पाता, मेरी दोनों आंखों का ऊपरी हिस्सा बुरी तरह जख्मी हो चुका था। जैसे ही मांझा आकर फंसा था, मैैंने अपनी बाइक को तुरंत रोका। ऐसे में अगर पीछे से कोई भारी वाहन आ रहा होता तो कुछ भी हो सकता था। हादसे को करीब एक साल गुजर चुका है, लेकिन मेरे दिल में आज भी हादसे की यादें ताजा हैैं।-सतीश सिंह, अलीगंजचौराहे के पास गले में फंसी डोर

मैैं पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर हूं। करीब आठ माह पहले मैैं घर से ऑफिस जाने के लिए निकला था। जैसे ही मैैं सुबह करीब 9.15 बजे हुसैनगंज चौराहे के पास पहुंचा, अचानक सफेद रंग की धारदार डोर मेरे गले में आकर फंस गई। जब तक मैैं कुछ समझ पाता, डोर ने मेरे गले को जख्मी कर दिया और मेरी शर्ट खून से लाल हो गई। मैैं तुरंत अस्पताल पहुंचा और अपना इलाज कराया। उस हादसे को यादकर आज भी रूह कांप जाती है क्योंकि उस दिन कुछ भी हो सकता था।-गिरीश सिंह, ऐशबागघाव भरने में एक महीना लग गयामैैं करीब दो माह पहले अपनी वाइफ के साथ जानकीपुरम सेक्टर एच में रहने वाली अपनी दीदी के घर जा रहा था। मैैं स्कूटी पर सवार था। रास्ते में अचानक मुझे लगा कि कोई गर्म चीज मेरे चेहरे पर आकर लगी है। जब तक मैैं कुछ समझ पाता, तब तक मेरा आधा चेहरा बुरी तरह जख्मी हो चुका था। मांझा फंसने के कारण मैैंने अपनी स्कूटी तुरंत रोक दी। ऐसे में पीछे से आ रहा बाइक सवार मुझसे टकरा गया और उसे गंभीर चोटें आईं। मेरे चेहरे पर जो जख्म आए, उन्हें भरने में एक महीने से भी अधिक का समय लग गया।-विवेक शर्मा, सृष्टि अपार्टमेंट, कुर्सी रोडये भी हुए शिकार1-इंदिरानगर निवासी अंकित भी चाइनीज मांझे का शिकार हो चुके हैैं। हालांकि, उन्हें बहुत गहरी चोट तो नहीं लगी थी लेकिन उनके मन में चाइनीज मांझे का डर अभी बना हुआ है।

2-आलमबाग निवासी राजेश के गले में भी मांझा फंस चुका है। यह हादसा उनके साथ घर के पास ही हुआ था। चूंकि वो पैदल थे, इस वजह से उनका गला जख्मी नहीं हुआ लेकिन मांझे की वजह से उनका गला छिल जरूर गया। अब घर से बाहर निकलते समय वह बेहद सावधानी रखते हैैं।

Posted By: Inextlive