शहर में आईडी यूजर्स से बढ़ रहा एड्स का खतरा
- आपके शहर में मौजूद हैं दो हजार से ज्यादा आईडी यूजर
- ये सभी गु्रप्स में सुनसान स्थानों पर करते हैं नशाखोरी - लगातार बढ़ रही आईडी यूजर की संख्या, नहीं लग रही लगाम Meerut : इन्जेक्टिवल ड्रग यूजर (आईडीयू) हमारे और आपके बीच की एक ऐसी जमात, जिनकी दुनिया हमसे बिल्कुल अलग है। हम रोजी-रोटी की तलाश में सुबह घर से निकलते हैं तो इसके लिए एक सिरिंज और नशे का इंजेक्शन ही सुबह की चाय है। 24 घंटे इंजेक्शन के नशे में रहने वाले आईडीयू की संख्या शहर में दो हजार से अधिक है। आश्चर्यजनक है कि शहर में तीन से चार प्रतिशत आईडीयू घातक बीमारी एड्स के शिकार हैं तो इनकी बड़ी आबादी को लगातार खतरा बना हुआ है। आई नेक्स्ट की एक रिपोर्ट सभी मानसिक और शारीरिक रोगीरोजमर्रा की जरूरतों से जूझ रही आबादी दो जून की रोटी बमुश्किल जुटा पा रही है तो वहीं आईडी यूजर की जरूरत महज सौ रुपये है, परिवार और बच्चों की फिक्र नहीं, भूख न लगने से खाने की फिक्र नहीं। बस फिक्र है तो अगली 'डोज' की। अद्भुत दुनिया के बाशिंदों की संख्या गत छह सालों में दस गुना बढ़ी है तो हर आने वाले दिनों में इनके 'अपनों' की संख्या बढ़ रही है। अब तो युवाओं, स्टूडेंट्स, महिलाओं, उच्च शिक्षित ने भी इनकी जमात में शामिल होना शुरू कर दिया है।
एड्स का सर्वाधिक खतरा आईडीयू में घातक बीमारी एड्स का सर्वाधिक खतरा रहता है। रोजाना 4-5 इंजेक्शन लगाने वाला ड्रग यूजर कई-कई दिन तक एक ही इंजेक्शन को यूज करता रहता है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब दो या दो से अधिक एक इंजेक्शन को शेयर करते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो शहर में 3-4 प्रतिशत आईडीयू एचआईवी पॉजिटिव हैं, जबकि बड़ी संख्या को खतरा बना हुआ है। धड़ल्ले से बिक रहे इंजेक्शन शहर के मेडिकल स्टोर्स पर प्रतिबंधित नशे के इंजेक्शन धड़ल्ले से बिक रहे हैं। पेन किलर के नाम से चर्चित इन इंजेक्शन को आईडीयू का चेहरा देखते ही स्टोर वाला दे देता है। नए यूजर की पहचान के बाद ही उसे इंजेक्शन मिलता है। पूछे जाने पर भी यूजर कभी मेडिकल स्टोर का नाम नहीं लेता। इंजेक्शन आईडीयू को ब्लैक में मिलता है। ये हैं इंजेक्शन मॉरफिन फोर्टविन फेनॉरगन डायजापॉम एविल ये हैं प्रमुख अड्डेआईडीयू गु्रप में रहते हैं और शहर के सुनसान इलाके इनके हॉट स्पॉट हैं। घंटाघर, टाउनहॉल, माल गोदाम, ओडियन सिनेमा, कंकरखेड़ा, अशोक की लॉट, महताब के सामने का मैदान, नौचंदी ग्राउंड, पीवीएस मॉल के आसपास एवं खेल के मैदान में ये दो-चार के गु्रप में मौजूद रहते हैं।
ऐसे करेंगे पहचान -आईडीयू को पानी से डर लगता है, नहाते नहीं हैं। गंदे रहते हैं, जिससे स्किन के साथ-साथ बीमारियां भी पनप जाती हैं। -भूख नहीं लगती, आमतौर पर खाना न खाने से आईडीयू शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। -मनोरोगी होते हैं, याददाश्त कमजोर हो जाती है। -बार-बार एक ही जगह पर इंजेक्शन लगाने से घाव हो जाता है, आईडीयू घाव में ही इंजेक्शन लगा लेते हैं। टीनएजर्स भी आमतौर पर आईडीयू वे होते हैं जो पहले कोई दूसरा नशा करते हैं और धीरे-धीरे नशे की आदत बढ़ने से इंजेक्शन लेने लगते हैं। मिडिल और लोअर क्लास के बीच जड़ जमाए इस बीमारी ने अब पैर पसारना शुरू कर दिया है। टीनएजर्स के साथ-साथ वूमेन और एलीट क्लास अब आईडीयू बन रहे हैं। स्कूल गोइंग गर्ल्स, हॉस्टलर्स में भी नशे के इंजेक्शन का क्रेज बढ़ा है। मैरीड कपल आईडीयूशहर में तीन मैरीड कपल आईडीयू हैं। हसबैंड-वाइफ दोनों नशे के लिए इंजेक्शन ले रहे हैं, कई केसेज ऐसे भी हैं जिनमें वूमेन आईडेन्टीफाई हुई हैं। कॉलेज गोइंग, हॉस्टलर गर्ल्स के केस भी सामने आए हैं।
नहीं होते हैं काउंसलिंग को तैयार आईडी यूजर आसानी से काउंसलिंग के लिए एग्री नहीं होते हैं। समाज से दूरी बनाए ये लोग आमतौर पर परिवार में असहज स्थिति में रहते हैं। बीमारी की जांच के लिए यूजर को जांच केंद्र तक ले जाना भी मुश्किल काम है। जागरूक कर रही 'आशी' टॉरगेटिव इंटरवेंशन प्रोग्राम के तहत नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन, उप्र एड्स कंट्रोल सोसाइटी से वित्तपोषित संस्था एसोसिएशन फॉर सोशल हेल्थ इन इंडिया (आशी) मेरठ में आईडीयू को जागरुक करने का काम कर ही है। संस्था ने शहर के विभिन्न वर्गो में 500 से अधिक आईडीयू चिह्नित किए है, जिसमें से 17 एचआईवी पॉजिटिव हैं। संस्था रोजना आईडीयू में 200 नई सिरिंज बांटने का काम कर रही है। ओएसटी से जगाई आसओपिएट सब्सीट्यूट थेरेपी ने आईडी यूजर के मामले में रोशनी का काम किया है। मेरठ के जिला अस्पताल में एक माह पूर्व मई में ओएसटी सेंटर खुला है। इस सेंटर पर आईडी यूजर को नशे ओपिएट की गोली दी जाती है। ओरली यूज में आने वाली यह गोली सब्सीट्यूट के तौर पर आईडी यूजर को दी जाती है। फि लहाल आशी संस्था द्वारा 35 यूजर को सेंटर से जोड़ा गया है, जो चिकित्सकों की देखरेख में दवा ले रहे हैं। सेंटर पर काउंसलिंग के साथ-साथ हैबिट के हिसाब से यूजर को गोली की डोज दी जा रही है।
डेटाक्स सेंटर दे रहा थेरेपी आशी संस्था द्वारा संचालित डेटाक्स सेंटर आईडी यूजर को थेरेपी दे रहा है। लंबे समय से संचालित इस सेंटर में अब तक तीन हजार के करीब आईडीयू का ट्रीटमेंट किया गया है जिसमें से 50 प्रतिशत आईडीयू नशे की लत को छोड़कर सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। सेंटर पर आईडीयू का भर्ती कर एक माह तक डेटाक्सीफिकेशन किया जाता है। मरीज को किसी तरह का नशा नहीं दिया जाता। काउंसलिंग, निगरानी, बेहतर खानपान और इलाज से यूजर की लत को छुड़वाया जाता है। सेंटर पर रेगुलर आईडी यूजर का ट्रीटमेंट किया जा रहा है। दोषी हम-आप भी आईडी यूजर, सेमी कॉन्शस की जिंदगी बिताता है। चंद रुपयों के लिए मेडिकल स्टोर वाला उन्हें नशे के इंजेक्शन मुहैया कराता है तो प्रशासन सुनसान जगहों पर ठहरने के उन्हें नहीं रोकता। परिवार और बच्चों से भी यूजर को तिरस्कार ही मिलता है। समाज के लिए खतरा भी आईडी यूजर समाज के लिए खतरा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक यूजर नशे की स्थिति में बड़े से बड़ा अपराध करने में गुरेज नहीं करते हैं। आमतौर आईडी यूजर पारिवारिक अपराध की वजह बनते हैं। टाउन हाल में बड़ी संख्या में आईडी यूजर के जुटने की पूर्व में एक बार जानकारी मिली थी, अभियान चलाकर इन्हें खदेड़ा गया है। फिलहाल कहीं से आईडी यूजर के जुटने और लॉ एंड आर्डर के प्रभावित होने की शिकायत नहीं मिल रही है। शिकायत पर कार्यवाही होगी। ओमप्रकाश सिंह एसपी सिटी, मेरठ प्रतिबंध के बावजूद आईडी यूजर को आसानी से नशे के इन्जेक्शन मिल रहे हैं, ऐसा संज्ञान में आया है। विभागीय स्तर पर सभी मेडिकल स्टोर्स को नशीली दवाओं की बिक्री के संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। बाद इसके यूजर को इन्जेक्शन मिलना, कहीं न कहीं स्टोर्स का लालच दर्शाता है। ऐसे मेडिकल स्टोर्स को चिह्नित किया जाएगा और उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी। इसके अलावा आईडी यूजर अवेयनेस के लिए कैंपेन चलाया जाएगा। आईडी यूजर को एड्स खतरा अधिक होता है, इसलिए बचाव जरूरी है। डॉ। रमेश चंद्रा सीएमओ