आखिर कब मिलेगा फौजियों को आशियाना?
- पिछले काफी समय से रुका हुआ है मैप का काम
- सिविल ठेकेदारों के झगड़े के कारण नहीं हो पा रहा है कामMeerut : मेरठ कैंट में तैनात ऑफिसर्स व जवानों की आवास की समस्या दूर होने का नाम नहीं ले रही है। कैंट के अंदर ही मैरिड एकोमोडेशन प्रोजेक्ट (एमएपी) के तहत आवास की व्यवस्था पूरी किए जाने की प्रक्रिया लंबे अरसे से चल रही है। बार-बार लास्ट डेट तय करने के बावजूद ठेकेदार इस काम को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। काम अधूरा रहने की स्थिति में अब फौज भी सख्ती के मूड में तो है, लेकिन कुछ कर नहीं पा रही है। सब एरिया अधिकारियों की मानें तो इस झगड़े का निस्तारण दिल्ली में ही हो सकता है। उनके पास कोई पॉवर ही नहीं है। कैंट में सभी रैंकों के लिए कुल भ्म्9फ् मकान बनवाए जा रहे हैं। यह दूसरे चरण का काम है।
पड़ता है नकारात्मक असरमेरठ कैंट में आवास की समस्या से जवान हों या अफसर सभी जूझ रहे हैं। कसेरूखेड़ा, कंकरखेड़ा, कासमपुर, खटकाना, सोफीपुर जैसे क्षेत्रों में किराए पर आवास लेकर रहना पड़ता है। आर्मी ऑफिसर्स की मानें तो आवास की बेहतर व्यवस्था न होने की स्थिति में आर्मी के मनोबल पर नकारात्मक असर भी पड़ता है। ऐसे में गत दो वर्षो से मैप ने पूरी तरह से आर्मी का नक्शा ही बिगाड़ रखा है।
ख्0क्0 में दिया था ठेका मेरठ कैंट में आवास की समस्या को दूर करने के लिए वर्ष ख्0क्0 में ठेका तीन कंपनियों को दिया गया और वर्ष ख्0क्ख् तक इस प्रोजेक्ट को पूरा होना था, लेकिन ठेका लेने वाली कंपनियों ने ठेके पर ठेका की नीति चलाई और छोटे ठेकेदारों से काम कराना शुरू किया। इस बीच इनके बीच विवाद हुआ, जिसकी वजह से लंबे अर्से तक एमएपी के तहत काम ही नहीं हुआ। आर्मी के काम में इस तरह की कोताही के लिए तीन बड़ी कंपनियों में से एक कंपनी डीएससी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। शेष कंपनियां अपना काम कर रही हैं, लेकिन तय डेट पर कोई भी काम पूरा करने की स्थिति में नहीं है। दूसरे फेज का काम खत्म होने के बाद ही तीसरे फेज का काम शुरू होगा। ऐसे में अब यह अनिश्चित हो गया है कि तीसरे फेज का काम शुरू होगा। दूसरे दौर में बन रहे इतने आवास ऑफिसर्स के लिए : ख्78 जेसीओ के लिए : ब्70 अदर्स रैंक : फ्9ब्7 तीसरे दौर में बनेंगे इतने आवास जेसीओ : क्0ख्अदर्स रैंक : 89म्
(अफसरों का आवास तीन रूम सेट, जेसीओ का दो रूम और जवानों का भी दो रूम सेट होता है। अफसरों और जेसीओ के आवास की गुणवत्ता तुलनात्मक ढंग से बेहतर होती है.) यहां हो रही आवास की व्यवस्था - मिलिट्री फॉर्म - शिवाजी लाइंस - पंजाब रेजीमेंटल सेंटर के निकट - रैम कैंटीन के निकट (भूसामंडी) - कैंडेथ इनक्लेव - पीडब्ल्यू लाइंस - ग्रास फार्म इस प्रोजेक्ट का काम अभी तक सेकंड फेज का पूरा नहीं हुआ है। प्रोजेक्ट के डिले होने का कारण सिविल कांट्रेक्टर्स के झगड़े के बीच फंसा हुआ है। इस पर दिल्ली में ही कुछ हो सकता है। हमारे पास कोई पॉवर नहीं है। - कर्नल आरके शर्मा, एडम कमांडेंट, पश्चिम यूपी सब एरिया हेडक्वार्टर