डॉक्टर्स की पहल से बदलेगी तस्वीर
- 11 जनऔषधि केंद्र खुलने थे शहर में
- 3 जनऔषधि केंद्र ही फिलहाल खुल सके हैं - 160 जनऔषधि केंद्र खुलने थे पूरे प्रदेश में - 20 लाख से अधिक है मेरठ शहर की आबादी -जनसंख्या के हिसाब से नाकाफी है जन औषधि केंद्र मेरठ। जनता को जेनरिक दवा का मिलना अभी दूर की कौड़ी है। दरअसल, अभी प्राइवेट डॉक्टरों ने जेनरिक दवा को लिखना शुरू नहीं किया है। जिला अस्पताल और मेडिकल में ही डॉक्टर जेनरिक दवा को पर्चे पर लिख रहे हैं। वो भी बाजार में मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध नहीं है। शहर में खुलने में 11 जन औषधि केंद्रकेद्र सरकार द्वारा शहर में लोगों को सस्ती दवाओं को मुहैया कराने के लिए जन औषधि केंद्र खुलवाने थे। पूरे प्रदेश में 160 केंद्र खुलने थे। जिसमें से 11 जन औषधि केंद्र मेरठ में खुलने थे। इसमें महज तीन केंद्र ही मेरठ में खुल पाए।
जनसंख्या के हिसाब से नाकाफी मेरठ की आबादी तकरीबन 20 लाख से अधिक है। उसके हिसाब से शहर में 11 जन औषधि केंद्र नाकाफी हैं। 11 में से भी महज 3 ही अभी तक खुल पाएं। यदि मेडिकल स्टोर की बात करें पूरे शहर में तीन हजार से अधिक मेडिकल स्टोर हैं।दो हजार से अधिक हैं डॉक्टर
मेरठ शहर में दो हजार से अधिक डॉक्टर हैं। जिसमें महज 11 सौ डॉक्टर आईएमए से जुडे हुए हैं। 9 सौ डॉक्टर किसी भी एसोसिएशन से नहीं जुड़े हैं। प्राइवेट डॉक्टर लिखे तो बने बात जेनरिक दवा को बढ़ावा तब तक नहीं मिलने का है जब तक प्राइवेट डॉक्टर जेनरिक दवा को लिखना शुरू नहीं करते हैं। जब प्राइवेट डॉक्टर लिखेंगे तब ही बाजार में जेनरिक दवा मिलेगी। जिला अस्पताल और मेडिकल के डॉक्टरों के जेनरिक दवा लिखने से कुछ नहीं होने वाला है। 14 हजार प्रतिदिन होती है ओपीडी सरकारी अस्पतात में प्रतिदिन 6 हजार ओपीडी होती है। जबकि 8 हजार प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी होती है। ऐसे में इतनी जेनरिक दवा को बाजार में उपलब्ध फिलहाल तो मुमकिन नहीं है। जेनरिक दवा को बाजार में आने में समय लगेगा। वर्जन सभी डॉक्टरों को जेनरिक दवा लिखने के निर्देश दिए हैं। यदि दवा अस्पताल में नहीं तो बाजार के लिए भी केवल जेनरिक दवा ही लिखी जा रही है। यदि कोई ब्रांडेड दवा पर्चे पर मिलती है तो संबंधित डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -डॉ। पीके बंसल, एसआईसी जिला अस्पतालडॉक्टर्स को जेनरिक दवा लिखने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। डॉक्टर लिख भी रहे हैं। मेडिकल में दवाएं उपलब्ध हैं।
-डॉ। टीवी सिंह, विभागाध्यक्ष मेडिसन विभाग, मेडिकल दवाओ का जब तक नया प्रिंट नहीं आएगा तब तक बाजार में लोगों को दवा मिलना मुश्किल होगा। नया प्रिंट आने में अभी थोड़ा समय लगेगा। -रजनीश कौशल, महामंत्री खैरनगर दवा व्यापार एसोसिएशन