चटकने लगा एमडीए का शीश महल
-दो करोड़ की लागत से एमडीए ने संवारा था भवन
-कांच टूटते ही छलक आई एमडीए भवन की जर्जरता Meerut: तीन माह पूर्व दो करोड़ की लागत से संवारा गया एमडीए का शीश महल एक-एक कर टूटना शुरू हो गया है। वहीं शीश महल के चटकने से पुरानी और जर्जर पड़ चुकी इमारत के कोढ़ के साथ-साथ अफसरों की कमीशन खोरी से भी परदा उठने लगा है। दो करोड़ से बनाया था शीश महललंबे से जर्जर और खस्ता हाल बनी बिल्डिंग पर कांच का लबादा ढकने के लिए जनता की गाढ़ी कमाई के दो करोड़ रुपए खर्च कर डाले थे। चौंकाने वाली बात तो यह है कि बजाय बिल्डिंग मेंटेनेंस के अफसरों ने पूरा फोकस शीशे का महल खड़ा करने में लगा दिया था। हालांकि किसी सरकारी दफ्तर को शीशे से कवर करना कोई गुनाह नहीं है, लेकिन जांच की बात यह है कि मेंटेनेंस के नाम पर हर साल पास होने वाले लाखों का बजट का पैसा आखिर सही मद में खर्च होता भी या नहीं।
50 लाख का मेंटेनेंस बजटएमडीए की बोर्ड बैठक में हर बार बकायदा बिल्डिंग मेंटीनेंस को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है, लेकिन बिल्डिंग का सूरत-ए-हाल देख कर तो ऐसा लगता है कि बिल्डिंग मेंटेनेंस केवल फाइल मेंटेनेंस करने तक ही सीमित रह जाता है। इस बार भी बिल्डिंग मेंटेनेंस के लिए पचास लाख का बजट रखा गया था। मजे की बात तो यह है कि विभागीय अफसरों ने इस भारी भरकम राशि में से पैंतीस लाख रुपए ठिकाने भी लगा दिए बावजूद इसके एमडीए की इमारत अब गिरी वाली स्थिति में खड़ी है।
भवन का एक आध शीशा टूट गया है। उसको सही करा लिया जाएगा। प्राधिकरण में इस बार मेंटेनेंस बजट पचास लाख रखा गया था। बजट में लगभग पैंतीस लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। सारे खर्चो का लेखा-जोखा रखा जाता है। -शिवकुमार, जेई मेंटेनेंस