मरीज 90 पार, ब्लैक फंगस का खतरा बरकरार
93 मरीज जिले में शनिवार तक सामने आए ब्लैक फंगस बीमारी के
9 मरीजों की ब्लैक फंगस से हो गई मौत 63 प्रतिशत मामले अकेले मेडिकल कॉलेज में हैं 55 कुल एक्टिव केस हैं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 34 केस मेडिकल और 21 केस अलग-अलग प्राइवेट अस्पतालों में हैं 29 मरीज इस बीमारी से रिकवर हो चुके हैं स्वास्थ्य विभाग का दावा, ब्लैक फंगस से निपटने के पूरे इंतजाम Meerut। कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस का खतरा दिनों-दिन गहराता जा रहा है। जिले में अब तक 90 से ज्यादा केस मिल चुके हैं। जिसमें 9 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जिले में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए सभी इंतजाम पूरे हैं वही सíवलांस भी तेज कर दिया गया है। सबसे ज्यादा केसमेरठ में शनिवार तक कुल 93 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी थी। जिसमें सबसे ज्यादा मरीज मेडिकल कॉलेज में एडमिट हैं। यहां जिले भर में एक्टिव केस के लगभग 63 प्रतिशत मामले अकेले मेडिकल कॉलेज में हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कुल एक्टिव केस 55 हैं, जिसमें से 34 केस मेडिकल में हैं। जबकि 21 केस अलग-अलग प्राइवेट अस्पतालों में हैं। हालांकि 29 मरीज इस बीमारी से रिकवर हो चुके हैं।
मेडिकल में वार्ड तैयार मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में अलग से वार्ड तैयार किया गया है। अस्पताल में पहले 10 बेड का वार्ड बनाया गया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 50 बेड तक का कर दिया गया है। इसके अलावा अस्पताल में दवाइयां भी उपलब्ध हो गई है। मरीजों के इलाज के लिए हर सावधानी बरती जा रही है। यह है ब्लैक फंगस ब्लैक फंगस म्युकरमायकोसिस भी कहते हैं। यह फंगस या फफूंद से फैलती है। डॉक्टर्स बताते हैं की आमतौर पर इससे कोई खतरा नहीं होता लेकिन बॉडी की इम्यूनिटी कमजोर हो जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है। शुगर के मरीजों में इस बीमारी का असर काफी ज्यादा देखने को मिलता है। इस बीमारी में आंख की नसों के पास फंगल इंफेक्शन हो जाता है। जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है। जिसकी वजह से आंखों की रोशनी चली जाती है। ऐसे होता है प्रभाव ब्लैक फंगस का असर शरीर में आंख नाक के रास्ते पहुंचता है। यहीं से यह बढ़ता हुआ दिमाग तक पहुंच जाता है।इसके अलावा यह हड्डी और स्किन को भी नष्ट कर देता है।
इस बीमारी के चलते मृत्यु तक हो जाती है इसलिए डॉक्टर घातक मानते हैं। आसपास ही है फंगस डॉक्टर्स बताते हैं कि ब्लैक फंगस म्युकार मायसिटीस ग्रुप का फंगस है। यह फंगस अधिकतर नमी वाली जगह जैसे गमले, जमीन, फ्रिज की रबर, पानी के स्त्रोत, लोहे पर लगी जंग, लकड़ी आदि पर मौजूद रहता है। इससे बचाव के लिए एकमात्र तरीका मजबूत इम्यूनिटी और साफ-सफाई है। इन लोगों को हो सकता है खतरा कैंसर पेशेंट डायबिटीज पेशेंट हाइपो थायराइड पेशेंट ट्रांसप्लांट पेशेंट वायरल इंफेक्शन से पीडि़त पेशेंट एचआईवी पेशेंट टीबी पेशेंट कोविड-19 या पोस्ट कोविड-19 पेशेंट कीमोथेरेपी, स्टेरॉयड थेरेपी लेने वाले लोगों में इसका खतरा अधिक होता है। यह है लक्षण नाक बंद होना बहना या कालापन हल्का दर्द बलगम काला होना खून की उल्टी बेहोशी यह फंगस खतरनाक है। इसके लिए एक ही दवाई है। ये भी सीमित है लेकिन मरीजों को इसे उपलब्ध करवाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे किसी भी मरीज को या उसके परिजन को असुविधा का सामना न करना पड़े। डॉ। अखिलेश मोहन, सीएमओ, मेरठब्लैक फंगस बीमारी अधिकतर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में दिख रही है। शुगर लेवल जिन लोगों का बढ़ा रहता है। उनमें इस ब्लैक फंगस बीमारी का खतरा ज्यादा देखा जा रहा है।
डॉ। संदीप गर्ग, डायरेक्टर, न्यूटिमा अस्पताल