दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित की गई वेबिनार

Meerut। कोरोना संक्रमण का प्रकोप थमने के साथ ही तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है, जिसके बारे में खासकर बच्चों की सेहत को लेकर चिंता जताई जा रही है। इसी के साथ वायरस के डेल्टा प्लस वेंरिएट ने भी लोगों को परेशान कर दिया है। लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि तीसरी लहर का न तो किसी उम्र से संबंध है और न ही यह कोई अलग खतरा है।

बरतें पूरी सतर्कता

सामान्य रूप से वायरस अपना रूप बदलता रहता है। बचने का नियम वही है, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग। इसके अलावा, खाने-पीने की सावधानी रखकर शरीर में इम्युनिटी को बढ़ाया जा सकता है। ये जानकारियां रविवार को मेरठ कॉलिंग वेबिनार में फिजिशियन डॉ। तनुराज सिरोही, चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। गगन अग्रवाल और डायटिशियन ज्योति सिंह ने दीं।

रोज करें आधा घंटे एक्सरसाइज

कोरोना की दूसरी लहर में वायरस ने सबसे ज्यादा नुकसान फेफड़ों को पहुंचाया। आगे फेफड़ों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे, उसके लिए फेफड़े स्वस्थ रखने के लिए क्या सावधानी रखनी चाहिए। गंगानगर से रोहित शर्मा के इस सवाल के जवाब में डॉ। सिरोही ने कहा कि प्रतिदिन आधा घंटे की एक्सरसाइज करना पर्याप्त रहता है। इसमें बहुत साधारण व्यायाम भी पर्याप्त हैं, लेकिन सप्ताह में कम से कम पांच दिन तक नियमित रूप से करें। इनमें योग, साइकिलिंग और वॉक करना पर्याप्त है। इसके अलावा, अब कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर लंबे समय तक अपनाए रखना होगा, जिसमें मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।

2 साल से छोटे बच्चों को नहीं चाहिए मास्क

कितनी उम्र के बच्चों को मास्क पहनाना सही रहता है, छोटे बच्चों को सांस की बीमारी होने का डर तो नहीं रहता, शास्त्रीनगर से ज्योति के इस सवाल का जवाब डॉ। गगन अग्रवाल ने दिया। उन्होंने बताया कि रिकमंडेशन के अनुसार, दो साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क नहीं पहनाना चाहिए क्योंकि वह दम घुटने के बारे में नहीं समझ सकेगा और इस बारे में बता भी नहीं सकता। डॉ। गगन ने बच्चों को घर से बाहर नहीं भेजने की सलाह दी। साथ ही, कहा कि यदि किसी छोटी-मोटी गैदरिंग में जाना ही पड़े, तो बच्चों को कोविड से बचाव के नियमों के बारे में पता होना चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजर और मास्क पहनने के नियम के बारे में उन्हें खुद ही जागरूक होना पड़ेगा। यदि बच्चों को कोविड से नहीं बचाया गया, तो वे सुपर स्प्रेडर का काम करेंगे क्योंकि बच्चे बड़ों की गोदी में और उनके पास जाते हें और उनमें रोग फैला देंगे। डॉ। गगन ने बताया कि कुपोषित या कोई अन्य बीमारी झेल रहे बच्चों में संक्रमण का डर ज्यादा होता है इसलिए उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए।

इम्युनिटी के लिए खिलाएं फल

डायटिशियन ज्योति सिंह ने कहा कि बच्चों को विटामिन सी, डी और कैल्शियम और सीजनल फूड पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। जैसे आलूबुखारा, संतरा, अनानास आदि खिला सकते हैं। बच्चों को रोज छोटे आकार के नींबू की 8-9 बूंद शहद में मिलाकर भी पर्याप्त रहेगी। यानी 40 एमजी पर्याप्त रहेगा। उन्हें फल दिन में दो से तीन बार खिलाए जा सकते हैं। यदि वे सीधे फल न खाएं तो स्किम्ड मिल्क में मिलाकर दे सकते हैं। वैसे तो बच्चों की इम्युनिटी बहुत अच्छी होती है और उन्हें कोई वायरस आसानी से नहीं पकड़ता लेकिन फिर भी प्रिजर्वेटिव से बचाकर और हेल्दी डाइट देकर उनकी इम्युनिटी को और ज्यादा बेहतर किया जा सकता है। उनकी इम्युनिटी बेहतर करने के लिए उनके मिल्क में हल्दी, नट्स और उनके फेवरिट फ्रूट्स डाले जा सकते हैं। नट्स से बच्चों को अच्छी मात्रा में प्रोटीन मिल जाएगा। बच्चों की थाली में कुल वजन का 50 प्रतिशत फल और सब्जियां होनी चाहिए। शेष 50 प्रतिशत में से आधा प्रोटीन हो और बाकी आधा डेयरी प्रोडक्ट्स होने चाहिए। लिक्विड में बच्चों को हेल्दी डि्रंक्स घर में बनाकर पिलाए जाने चाहिए। बच्चों को फास्ट फूड से दूर कैसे रख सकते हैं, इस बारे में ज्योति सिंह ने बताया कि बच्चों को फास्ट फूड के नुकसान के बारे में समझाया जाना चाहिए, साथ ही, वैसी ही कुछ चीजें घर में बनाकर देनी चाहिए।

उम्र देखकर नहीं आता वायरस

डॉ। तनुराज का कहना है कि किसी भी लहर का उम्र विशेष पर हमला करने का कोई लॉजिक ही नहीं है। पहली वेव में भी बच्चे संक्रमित हुए थे, और दूसरी में भी। मेरे विचार से तीसरी लहर आई तो वह अनवैक्सीनेटिड, एडल्ट लोगों में ही आएगी। बच्चों को प्रभावित नहीं करेगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि चूंकि इस समय कोरोना संक्रमण के मामले कम हो गए हैं, तो हर बुखार के साथ कोविड की जांच कराने की जरूरत नहीं है, लेकिन डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।

वैक्सीन को कर दें अनिवार्य

कंकरखेड़ा से विकास शर्मा ने पूछा कि डेल्टा वायरस की आहट हो चुकी है और वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को इसका कितना खतरा हो सकता है और क्या मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही बचाव का सबसे अच्छा तरीका है, इस पर डॉ। तनुराज सिरोही ने बताया कि वायरस लगातार अपना प्रारूप बदलते रहते हैं, कोविड का पूरा तानाबाना बहुत जल्दी बदल रहे प्रारूप के ईर्द-गिर्द रहता है, यह बहुत सामान्य बात है। वायरस जिंदा रहने के लिए अपना स्वरूप बदलता रहता है। वैक्सीन डेल्टा पर बहुत कारगर रही, वैक्सीन लगा चुके लोगों की संख्या कोविड अस्पतालों में बहुत कम रही और उनकी मृत्यु दर तो नगण्य ही रही। उम्मीद की जानी चाहिए कि डेल्टा प्लस में भी काम करेगा। लेकिन कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर अपनाना ही है, वैक्सीनेशन तो अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए।

Posted By: Inextlive