ज्योतिषों व पंडितों के अनुसार चंद्र ग्रहण का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण का लगना ही अशुभ माना जाता है। इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को लगने जा रहा है। हालांकि भारत में इसका खास असर नहीं है लेकिन बिहार में ही इसका असर दिखेगा। इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान एवं गुरु पर्व का भी विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिषों व पंडितों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत के ज्यादातर हिस्सों में नहीं दिखेगा। हालांकि अरुणाचल प्रदेश व असम के कुछ ही भागों में यह कुछ समय तक दिखेगा।

मेरठ (ब्यूरो)। ज्योतिष भारत ज्ञान भूषण के अनुसार चंद्र ग्रहण पंचांग के अनुसार ग्रहण सुबह 11.34 मिनट से शुरू होकर शाम 5.59 तक रहेगा। हालांकि भारत में इसका असर अधिकतर सभी जगह देखने का नहीं मिलेगा। वहीं इस बार का चंद्र ग्रहण वृषभ राशि में लग रहा है। वृषभ राशि में राहु का गोचर बना हुआ है। इसलिए इस ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव वृषभ राशि पर दिखाई देगा। उनके अनुसार साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को पड़ेगा। इसके बाद अगला चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को पड़ेगा।

भारत में कहां दिखाई देगा
19 नवंबर को चंद्र ग्रहण भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सो में दिखाई देगा।

विदेशों में कहा दिखाई देगा
पंडित दिनेश दत्त शर्मा के अनुसार अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई पड़ेगा।

देव दीपावली भी इस दिन
ज्योतिष भारतज्ञान भूषण के अनुसार सत्यनारायण व्रत वाली गुरु नानक जयंती के साथ परिघ योग युक्त बव करण लिए हुए कृतिका नक्षत्र में देव दिवाली उस समय प्रारंभ हो रही है जब चंद्रमा, प्रथम राशि मेष पर विचरण कर रहे हैं और दिन है शुक्रवार का। यह कार्तिक पूर्णिमा तिथि दोपहर 2.28 तक रहेगी। प्रात: ब्रह्म मुहूर्त से किया गया कार्तिक स्नान परमात्मा कृष्ण को प्रसन्नता दिलाने वाला होता है और इसी के साथ समाप्त होगा कार्तिक स्नान।

क्यों मनाई जाती है
एक बार त्रिपुरासुर राक्षस ने अपने आतंक से मनुष्यों सहित देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों सभी को त्रस्त कर दिया था, उसके त्रास के कारण हर कोई त्राहि त्राहि कर रहा था। तब सभी देव गणों ने भगवान शिव से उस राक्षस का अंत करने हेतु निवेदन किया। जिसके बाद भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया। इसी खुशी में सभी इससे देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और शिव जी का आभार व्यक्त करने के उनकी नगरी काशी में पधारे। देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाकर खुशियां मनाई थीं। यह कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि थी। यही कारण है कि हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर आज भी काशी में दिवाली मनाई जाती है।

देव दिवाली का महत्व
देव दीपावली के दिन गंगा में स्नान करने का बहुत महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करते हैं। इसके साथ ही इस दिन दीपदान करने का भी विशेष महत्व होता है इससे देव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा दृष्टि करते हैं।

देव दीपावली शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ
18 नवंबर 2021 दिन गुरुवार दोपहर 12 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त
19 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार दोपहर 02 बजकर 26 मिनट पर
प्रदोष काल मुहूर्त
18 नवंबर 2021 सायं 05 बजकर 09 मिनट से 07 बजकर 47 मिनट तक
कुछ पूजा अवधि
2 घंटे 38 मिनट

Posted By: Inextlive