Meerut : 52 घंटे के कड़े संघर्ष के बाद साढ़े दस बजे कानपुर जू और डब्ल्यूटीआई की टीम ने ज्वाइंट ऑपरेशन के बाद शक्तिशाली नर तेंदुए को पिंजरे में कैद किया. प्रात: 9:10 से शुरू हुए ऑपरेशन के दौरान तेंदुए ने कई बार रेस्क्यू टीम पर हमला किया कानपुर की टीम के एक वेटेनरी डॉक्टर इस संघर्ष में घायल हो गए.


11 बजे वन विभाग की टीम चीफ कनजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट मुकेश कुमार के नेतृत्व में तेंदुए को कानपुर स्थित चिडिय़ाघर ले जाया गया है। यहां चिकित्सीय परीक्षण के बाद फैसला होगा कि तेंदुए को जू में रखा जाए या जंगल में छोड़ दिया जाए।तीसरा दिनसमय: सुबह: नौ बजेस्थान: जेसीओ मेसरेस्क्यू ऑपरेशन में सफलता न मिलती देख, चीफ कनजरवेटर मुकेश कुमार के बुलावे पर कानपुर जू से डॉ। आरके सिंह के नेतृत्व में यहां आई पांच सदस्यीय टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन की संभाली कमान।फर्स्ट डॉटट्रैंकुलाइजर में कानपुर की टीम ने 9:10 बजे पहला फुल डोज (2 एमएल) का डॉट सटीक निशाना लेकर तेंदुए पर लगाया। इस बीच दहाड़ के साथ तेंदुए ने टीम की ओर तेज झपट्टे मारे।  सेंकेंड डॉट


करीब 9:25 पर डॉ। आरके सिंह के निर्देशन में डबल डोज (3.5 एमएल) ट्रैंकुलाइजर से दिया। इसी बीच तेंदुए ने हमला कर नेट से झांक रहे डॉ। सिंह को घायल कर दिया। उनके बायें हाथ में पंजे से गहरा घाव तेंदुए ने कर दिया। इस बीच तेंदुए की दहाड़ तेज हो गई, और अफरा-तफरी मच गई।थर्ड डॉट

10:10 पर डब्ल्यूअीआई के टीम मेंबर ने निशाना कर एक डाट निढाल हो रहे तेंदुए को दी। ये फुल डोज थी। करीब दस मिनट के ब्रेक के बाद तेंदुआ पूरी तरह बेहोश हो गया। 10:30 बजे बेहोश तेंदुए को वेयर हाउस के बरामदे से बाहर लाकर केज में रखा गया।मची अफरा-तफरीतेंदुए के केज में आते ही अफरा-तफरी मच गई। मीडिया के अलावा जिज्ञासु उस ओर टूट पड़े। बमुश्किल लोगों को काबू में करते हुए उसे मेटाडोर में रखकर 11:30 बजे मेस परिसर से बाहर ले गए। तेंदुए को पहले शिवालिक वन प्रभाग सहारनपुर ले जाना था किंतु फैसले में तब्दीली करते हुए उसे कानपुर जू ले गए हैं। इस दौरान भारी भीड़ जुट गई। आर्मी के जवान और उनके परिवार यहां विक्ट्री साइन कर खुशी मना रहे थे।

Posted By: Inextlive