मैम मेरा बेटा इंटरनेट पर अधिक टाइम स्पेंड करता है। वह सोशल मीडिया पर बिजी रहता है। उसका इंटरनेट से कैसे पीछा छुड़ाया जाए। मैम मेरा बेटा साग नहीं खाता है जबकि उसके दिमाग के लिए हरी सब्जियां बहुत अच्छी हैं। उसे कैसे समझाएं बेटे का पढ़ाई पर फोकस नहीं बन पा रहा है क्या करुं मेरी मॉम मेरी गर्लफ्रेंड को पसंद नहीं करती हैं। पूरा दिन पढऩे को कहती हैं क्या करुं मैम जी हां। ऐसे कई सवाल सीबीएसई के काउंसलर्स के पास आ रहे हैं। दरअसल सीबीएसई ने छात्रों और पेरेंट्स की समस्याओं को दूर करने के लिए हेल्पलाइन नंबर शुरू की है। अब इस पर कई फोन आ रहे हैं।

केस वन : पढ़ाई पर फोकस नहीं
शास्त्रीनगर निवासी एक पेरेंट्स फोन करते हैं कि मैम मेरा बेटा इंटरनेट पर अधिक लगा रहता है। वह हम लोगों की बात नहीं सुनता है। पढ़ाई में भी उसका कम मन लगता है। एग्जाम की तैयारियों पर भी कम फोकस कर पा रहा है। मैम उसका इंटरनेट और सोशल मीडिया से कैसे पीछा छुड़ाया जाए।
केस टू: साग नहीं खाता है बेटा

मैम, मेरा बेटा साग नहीं खाता है। वह खानपान को लेकर काफी चूजी हो गया है। वह काफी कमजोर हो गया है। जबकि उसकी हेल्थ के लिए हरी सब्जियां बहुत अच्छी हैं। आखिर बताइए, उसको कैसे समझाया जाए।

मेरठ (ब्यूरो)। सीबीएसई की काउंसलर डॉ। पूनम देवदत्त ने बताया कि बोर्ड एग्जाम के लिए बच्चों पर कम, लेकिन पेरेंट्स पर अधिक प्रेशर दिख रहा है। पेरेंट्स लगातार सवाल कर हैं, ऐसे में हम पहले परिजनों की काउंसलिंग करते हैं, उसके बाद बच्चे से बात करते हैं। गौरतलब है कि कोविड के बाद से पहली बार सीबीएसई की परीक्षाओं के लिए पहले चरण में काउंसिलिंग शुरू हो चुकी है। इसमें स्टूडेंट्स की मनोवैज्ञानिक स्तर पर सहायता की जाती है। इसके लिए स्टूडेंट्स व परिजनों के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-11-8004 पर 24 घंटे कॉल की जा सकती है। यह पूरी तरह नि:शुल्क है। स्टूडेंट्स वेबसाइट सीबीएसई। गर्वमेंट। इन पर पॉडकास्ट भी सुन सकते हैं।

सुनीं जा रहीं समस्याएं
टेली काउंसिलिंग सोमवार से शनिवार सुबह 9.30 बजे से शाम को 5.30 बजे तक कॉल की जा सकती है। मेरठ की सीबीएसई काउंसलर डॉ। पूनम देवदत्त इसपर समस्याएं सुन रही है व समाधान कर रही हैं।

सबसे ज्यादा पेरेंट्स परेशान
सीबीएसई काउंसलर डॉ। पूनम देवदत्त के अनुसार उनके पास एक दिन में करीब 20 से 25 कॉल्स आती हैं, उनमें 17 - 20 कॉल्स पेरेंट्स के ही होते हैं। स्टूडेंट्स अधिक रुचि ही नहीं ले रहे हैं। उनके अनुसार इससे जाहिर है कि पेरेंट्स में एग्जाम व स्टूडेंट्स की पढ़ाई को लेकर बच्चों से अधिक पेरेंट्स में स्ट्रेस आने लगा है। इन केसों में हम पहले परिजनों से बात करके उनकी काउंसलिंग करते हैं। उसके बाद बच्चे से बात करके उसकी समस्या के अनुसार उसका शेड्यूल बनाकर दे रहे हैं।

अजीबोगरीब सवाल भी आ रहे
सीबीएसई की काउंसिलिंग हेल्पलाइन पर बच्चों के साथ साथ अभिभावकों की भी अजीबोगरीब कॉल्स आ रही हैं। ऐसे में काउंसलर्स के पास आने वाले अटपटे फोन कॉल्स मजाक का विषय भी बन रहे हैं।बोर्ड परीक्षा के नजदीक आते ही परीक्षार्थियों के मन में सवाल भी उपजने लगे हैं, तो ऐसे में कुछ सही सवाल भी आ रहे हैं।

टोल फ्री नम्बर से मदद
स्टूडेंट को केंद्रीयकृत टोल फ्र नम्बर के जरिए टेली काउंसिलिंग की सुविधा दी गई है। इस्रके साथ बेवसाइट के माध्यम से भी सॉल्युशन प्रोवाइड कराया जा रहा है। इस हेल्पलाइन नंबर पर देश-विदेश के 76 विशेषज्ञ काउंसर उपलब्ध हैं। इनमें से 16 काउंसलर विदेशी केंद्रों से हैं। बाकी सभी देशी काउंसलर है। इनमें मेरठ शहर से भी एक काउंसलर डॉ।पूनम देवदत्त को शामिल किया गया है।
पेरेंट्स हैं अधिक परेशान
मेरठ की सीबीएसई की काउंसलर डॉ। पूनम देवदत्त ने बताया कि हेल्पलाइन पर चार-चार घंटे पर दो काउंसलर की शिफ्ट लगाई जाती है। पहले बच्चा हेल्पलाइन नम्बर पर फोन करता है, जो बिल्कुल फ्री है। इसके अलावा काउंसलर को सीधे नम्बर पर भी कॉल्स की जा रही हैं। इस बार काफी अटपटे सवाल भी आने लगे हैं। मेरे अनुसार हर 20 में से 17 कॉल्स बस पेरेंट्स की है जिससे साबित होता है बच्चा नहीं पेरेंट्स अधिक परेशान है।
इस टाइप के आ रहे सवाल
- मैम, एग्जाम के लिए टाइम टेबल कैसे बनाया जाए।

- प्री बोर्ड में कम नम्बर हैं, क्या अभी भी कर सकते हैं इम्प्रूवमेंट

- क्या बता सकते हैं किस सब्जेक्ट को पढऩे का क्या कॉन्सेप्ट है

- मैथ्स को पढऩे में मुश्किल होती है कैसे किया जाए

- मुश्किल सब्जेक्ट को कैसे आसानी से याद करें।

- डिप्रेशन न हो उसके लिए कैसे पढ़ाई करें।
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ऐसे करें तैयारी
- जिस सब्जेक्ट की कम तैयारी है उसको अपने टाइम टेबल में ज्यादा टाइम दे।

- टाइम टेबल में हर डेढ़ घंटे में आधा घंटा का रेस्ट टाइम भी जोड़े।

- मैथ्स रटने की चीज नहीं है उसके लिए केवल फार्मूला क्लीयर करना व समझना जरुरी है।
- मुश्किल सब्जेक्ट को समझकर व लिखकर ही याद किया जा सकता है।
परिजनों के लिए टिप्स

परीक्षा के समय में बच्चों को खाने में हल्का और स्वास्थ्यवद्र्धक भोजन दें।

रात को सोने से पहले बच्चों के साथ छोटे-छोटे वॉक पर जाएं।

वॉक के समय बच्चों सेे बातचीत करें। उनकी परेशानियों के बारे में जानने की कोशिश करें।

बच्चों की दूसरों से तुलना करने की बजाय उन्हें मोटिवेट करें।

बच्चों के साथ मिलकर उनका शेडयूल बनाएं और उसके अनुसार परीक्षा की तैयारी करने में मदद करें।

बच्चे ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। इसके साथ उनकी नींद का भी ध्यान रखें।

बच्चों को सुबह के समय वॉक या हल्का योगाभ्यास करवाएं।

Posted By: Inextlive