बागपत पुलिस और एसटीएफ समेत कई थानों की पुलिस थी पीछे

मेरठ में भी दर्ज हैं कई मुकदमे, हत्या का केस भी शामिल

50 हजार का इनाम घोषित किया था आईजी ने

Meerut। वेस्ट यूपी के कुख्यात बदमाश 50 हजार रुपए के इनामी धमर्ेंद्र किरठल को देहरादून से नोएडा एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। कुख्यात किरठल के खिलाफ 49 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें हत्या के 15 से ज्यादा मुकदमे हैं।

मसूरी में छिपा था

किरठल के खिलाफ लूट, रंगदारी और अपहरण के भी कई मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर में उसकी जमानत हो चुकी है, जबकि कुछ मुकदमे खत्म हो चुके हैं। धमर्ेंद्र काफी दिनों से देहरादून और मसूरी में छिपकर रह रहा था।

50 हजार का इनामी

उस पर आरोप है कि उसने पिछले साल बागपत के किरठल गांव में किसान इरशाद की गोली मारकर हत्या कर दी थी, इस मामले में वह फरार चल रहा था। आईजी रेंज मेरठ प्रवीण कुमार ने 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। एसटीएफ समेत बागपत पुलिस भी उसकी तलाश में थी।

एसटीएफ की हिटलिस्ट में

पिछले पंचायत चुनाव में धमर्ेंद्र किरठल की मां सुरेश देवी जिला पंचायत सदस्य और पत्‍‌नी सुदेश देवी ग्राम प्रधान बनी थीं। इस बार भी उसके परिजन चुनाव लड़ने की फिराक में थे, लेकिन पुलिस के लगातार दबाव के चलते वे ऐसा नहीं कर पाए। पिछले दिनों चुनाव के दौरान धमर्ेंद्र किरठल के गांव के आसपास गतिविधियों की सूचना पुलिस को मिली थी। तब पुलिस ने ड्रोन कैमरों से जंगल को खंगाला था, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला था।

रेंज के फरार बदमाशों की धरपकड़ के लिए पुलिस और एसटीएफ लगातार काम कर रहे हैं। किरठल पकड़ में आ गया है, यह एसटीएफ के लिए बड़ी उपलब्धि है।

प्रवीण कुमार, आईजी

राठी की जगह लेना चाहता था

जरायम की दुनिया में कद्दावर सुनील राठी से धमर्ेंद्र किरठल की बनती नहीं थी। दोनों के बीच लंबे समय तक ठनी रही। किरठल भी राठी की जगह लेना चाहता था और राठी ने उसकी हत्या की कोशिश की थी।

दी थी सुपारी

धमर्ेंद्र किरठल को रास्ते से हटाने के लिए राठी ने हरियाणा के शूटर अंकित काला को सुपारी दी थी। इसी बीच सुनील राठी ने जुलाई 2018 में बागपत जेल में पूर्वी यूपी के सबसे बड़े माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी। इसके कुछ दिन बाद ही अंकित काला अपने दो साथियों के साथ किरठल को मारने निकला तो शामली पुलिस ने मुठभेड़ में तीनों को दबोच लिया था। अंकित काला ने ही धमर्ेंद्र की सुपारी मिलने का खुलासा किया था।

नहीं रहा वर्चस्व

जेल में मुन्ना की हत्या के बाद सुनील राठी के नाम का खौफ तो बढ़ा था लेकिन जेल में रहने की वजह से रंगदारी में वर्चस्व कायम नही हो पा रहा था, जबकि धमर्ेंद्र किरठल का नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है। कहां-कहां इसने अपनी फरारी काटी, किस-किस का संरक्षण प्राप्त था, इन सब बिंदुओं पर जांच पड़ताल करने में टीम जुटी हुई है।

Posted By: Inextlive