लखनऊ (ब्यूरो)। गोमती नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए योजनाएं तो कई बार बनीं लेकिन ठीक से इंप्लीमेंट नहीं हो सकीं। जिससे गोमा का आंचल लगातार मैला हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदारों की ओर से गोमा को स्वच्छ रखने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिससे हालात और खराब होते जा रहे हैंं।

कागजों में सिमट गईं योजनाएं

गोमा को स्वच्छ रखने के लिए योजनाएं तो बनती हैैं लेकिन ज्यादातर योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह जाती हैैं। गोमा में लगातार वेस्ट बढ़ रहा है, बावजूद इसके इसकी रोकथाम के लिए प्लानिंग तक बनाई जा रही है।

ये बनी योजनाएं

नालों की टैपिंग

दावा किया जाता है कि गोमा में गिरने वाले नालों को पूरी तरह से टैप कर दिया जाएगा लेकिन इस दिशा में अधिक प्रयास नहीं हुए हैैं। अभी 20 नाले ही टैप किए जा सके हैैं, जबकि 13 से अधिक बड़े नालों का वेस्ट सीधे गोमा में जा रहा है।

एसटीपी की संख्या

योजना बनती है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की क्षमता बढ़ाई जाएगी और नए सीवेज प्लांट लगाए जाएंगे। जिससे नालों से आने वाले पानी को सही से फिल्टर किया जा सके फिर गोमा में छोड़ा जाए। दो प्लांट की क्षमता तो बढ़ी लेकिन अभी तक नए प्लांट को स्थापित किए जाने का इंतजार है।

फाइटो रेमेडिएशन टेक्निक

इस टेक्निक का प्रयोग गोमा में गिरने वाले नालों पर किया जाना था। कई नालों में इसे प्रयोग में लाया गया लेकिन अभी तक शत प्रतिशत नालों में इसका यूज नहीं हो सका है।

वेस्ट फेंकने वालों पर एक्शन

यह भी योजना बनाई गई थी कि गोमती में वेस्ट फेंकने वालों के खिलाफ जुर्माना संबंधी कार्रवाई भी की जाए लेकिन अभी तक इस दिशा में एक्शन नहीं लिया गया है।

घाटों पर सफाई

कुड़ियाघाट समेत कई अन्य घाट हैैं, जहां कपड़े धुलाई का काम किया जाता है। जिससे गोमा का जल मैला होता है। अभी तक इस प्रक्रिया को रोकने की दिशा में भी कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है।

शारदा नगर से लिंक

गोमती को शारदा नहर से भी लिंक जाना था लेकिन 23 साल बाद भी इस योजना को अभी तक इंप्लीमेंट नहीं किया जा सका है।

सीवेज प्लांट की क्षमता

345 एमएलडी क्षमता भरवारा एसटीपी की

56 एमएलडी क्षमता दौलतगंज एसटीपी की

450 एमएलडी सीवरेज पानी हो रहा ट्रीट

701 एमएलडी सीवरेज हो रहा है जेनरेट

250 एमएलडी पानी अभी साफ नहीं हो पा रहा

वेस्ट एक नजर में

09 प्रमुख घाट माने जाते हैैं गोमती के

15 कुंतल वेस्ट निकलता है एक बार में

50 फीसदी वेस्ट प्लास्टिक होता है

कोई मॉनीटरिंग नहीं

योजनाएं तो बना दी जाती हैैं लेकिन वो इंप्लीमेंट हो रही हैैं कि नहीं, इसको देखने के लिए कोई मॉनीटरिंग कमेटी नहीं है। परिणामस्वरूप योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह जाती हैैं।

सोशल मीडिया पर कमेंट्स

1-जो भी योजनाएं बनें, उनको इंप्लीमेंट किया जाना बेहद जरूरी है। सरकारी सिस्टम को इस तरफ ध्यान देना होगा।

अजय, दुबग्गा

2-पब्लिक को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और गोमा को स्वच्छ बनाने के लिए आगे आना होगा।

अंकुर, आलमबाग

3-जो भी लोग गोमती में वेस्ट फेंक रहे हैैं, उनके खिलाफ ठोस एक्शन लिया जाना जरूरी है। जब तक कार्रवाई नहीं होगी, लोग नहीं सुधरेंगे।

रवि, अलीगंज

4-सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की क्षमता बढ़ाए जाने के साथ ही पब्लिक को भी जागरुक किए जाने की जरूरत है। अभी तो स्थिति बेहद खराब है।

संकेत, इंदिरानगर