...तो जानिए देश के किस शहर में है कितना प्लास्िटक कचरा
अभी भी मेरठ काफी बेहतर है जिस तेजी से मेरठ तरक्की की सीढिय़ां चढ़ रहा है, उसी तेजी से महानगरीय रहन सहन भी बढ़ता जा रहा है। देश की राजधानी के नजदीक होने से ये बदलाव और भी तेजी से दिखाई देने लगा हैं। लेकिन महानगरीय शैली के साइड इफेक्ट्स से मेरठ शहर एक मामले में अछूता है। जी हां, मेरठ प्लास्टिक जेनरेट करने के मामले में देश के 50 शहरों के मुकाबले सबसे बेहतर है। ये हम नहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सर्वे रिपोर्ट इस सच को बयां कर रही है। यूपी के चार शहर मेरठ के मुकाबले काफी अधिक मात्रा में प्लास्टिक कचरा उगल रहे हैं। 60 शहरों में सर्वे
ये सर्वे केंद्र सरकार की संस्था केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देश में प्लास्टिक उत्सर्जन की वास्तविकता जानने के लिए किया था। इसमें शामिल 60 शहरों के महानगर, तेजी से उभरते और मझौले शहर शामिल थे। उत्तरप्रदेश से मेरठ, लखनऊ, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद शामिल किए गए। वहीं मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर आदि शहर भी शाामिल थे।15,342 टन कचरा रोजाना
यह तथ्य निश्चित रूप से चौंकाने वाले हंै कि एशिया में चीन के बाद भारत ही सबसे बड़ा प्लास्टिक कचरा उत्सर्जक देश है। सर्वे में पता लगा कि देश के चार महानगरों और बाकी 60 बड़े शहरों को मिलाकर रोजाना 15,342.46 टन प्लास्टिक कचरा रोज निकलता है। अन्य कचरे को शामिल करें तो आंकड़ा और भयावह हो सकते हैं।यूपी में अव्वलअगर प्रदेशों की बात करें तो मेरठ सिटी सर्वे में शामिल लखनऊ, आगरा, कानपुर और इलाहाबाद के मुकाबले काफी कम प्लास्टिक जेनरेट करता है। मेरठ में हर रोज 3.35 मिट्रिक टन प्लास्टिक कचरा जेनरेट होता है। वहीं मुकाबले में इलाहाबाद 18.82, आगरा 40.89, लखनऊ 70.63 और कानपुर 106.66 मिट्रिक टन प्लास्टिक कचरा जेनरेट कर रहे है।देश में दसवां स्थानबात अगर देश की हो तो मेरठ सिटी प्लास्टिक जेनरेट करने के मामले में दसवां स्थान पर हैं। सबसे ऊपर कवारत्ती (0.24), जमशेदपुर (0.90), पंजिम (1.12), दमन (1.14), द्वारका (1.49), सिलवासा (2.13), कोहिमा (2.26), गंगटोक (2.89) के शहरों के बाद मेरठ का नंबर आता है। वहीं दस सबसे बड़े शहरों की बात करें तो उनका स्थान आखिरी चार में है। मुंबई (421.01), कोलकाता (425.35), चेन्नई (429.30) और सबसे आखिर में दिल्ली (688.84) मिट्रिक टन है। यहां पूरी तरह प्रतिबंध प्लास्टिकचंडीगढ़, सिक्किम, नगालैंड, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीपयहां थोड़ी छूट के साथ प्रतिबंध
- आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, कर्नाटक, उड़ीसा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, उत्तर प्रदेशयहां कचरे से बनती है सडक़तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पुडुंचेरी, हिमाचल प्रदेश।यहां बनता है ईंधनमध्यप्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश।शहर प्लास्टिक कचराCity TPD Kavaratti 0.24 Jamshedpur 0.90 Panjim 1.12 Daman 1.14Dwaraka 1.49 Silvassa 2.13 Shimla 2.14Kohima 2.26 Gangtok 2.89 Meerut 3.35 Gandhinagar 4.23 Port Blair 4.84 Shilong 5.27 Itanagar 5.46 Agartala 5.83 Imphal 6.16 Dhanbad 7.51Chandigarh 8.18 Ranchi 8.28Aizwal 8.50 Kochin 9.43 Guwahati 10.27 Patna 12.53 Asansol 12.64Tiruvanandapuram 15.06 Dehradun 14.66 Jaipur 15.76Rajkot 15.92Allahabad 18.82 Nashik 20.38 Jabalpur 20.70 Jammu 21.68 Madurai 22.77 Bhopal 23.08 Raipur 23.76 Amritsar 24.42Varanasi 26.01 Pondicherry 26.55 Srinagar 28.14 Vadodara 28.22Vishakapattnam 30.17 Bhubaneswar 31.45Agra 40.89 Vijayawada 44.11 Nagpur 45.40 Ludhiana 50.68 Indore 63.40 Coimbatore 66.31 Lucknow 70.63 Faridabad 81.55Pune 103.62 Kanpur 106.66 Bangalore 144.21Surat 149.62 Hyderabad 198.24 Ahmedabad 241.50 Mumbai 421.01 Kolkata 425.35 Chennai 429.30 Delhi 688.84नोट : मीट्रिक टन/प्रतिदिन
'सीपीसीबी की रिपोर्ट से ये बात साफ व काफी सुकून देने वाली है, लेकिन मेरठ के एडमिनिस्ट्रेशन को अभी और काम करने की जरुरत है। एक दिन में 3.35 मिट्रिक टन प्लास्टिक कम नहीं होता है.'- डॉ। कंचन सिंह, ज्योग्राफी डिपार्टमेंट हेड, सीसीएसयू 'ये काफी अच्छी बात है कि मेरठ सिटी के लोग कम प्लास्टिक का यूज कर रहे हैं। मैं सिटी का मेयर होने के नाते मैं काफी गर्व महसूस कर रहे हूं। मैं और मेरी कोशिश करेंगे कि पूरे शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाया जाए.'- हरिकांत आहलुवालिया, मेयर, नगर निगम