नेताजी के सामने सब बेबस
बदहाल हुआ शहर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। सिटी के किसी भी रोड की बात करें तो, जाम सबसे ऊपर रहता है। मेन रोड से लेकर गलियों तक में हर दिन जाम की स्थिति रहती है। इसके अलावा जर्जर सड़कें टै्रफिक का बोझ सहने में पहले ही दम तोड़ रही है। ऐसे में राजनीति का अखाड़ा बने मेरठ की सांस राजनीतिक आयोजन थाम रहे हैं। उधर, रोड जाम होने पर उसमें फंसी शहर की जनता को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। ताकत का प्रदर्शन है जाम
मेरठ में पिछले दिनों कई नेताओं ने अपने जुलूस निकाल कर अपनी ताकत का अहसास कराया। इसमें दर्ज प्राप्त राज्यमंत्री से लेकर केबिनेट मंत्री भी शामिल रहे। जुलूस शहर भर में निकाला गया और समर्थकों ने भी खूब हंगामा किया। उधर, जिस भी रोड से जुलूस गुजरा वहां घंटों जाम की स्थिति रही। उधर, मोदी की दो फरवरी को हो रही रैली को लेकर भी ऐसा ही माहौल इस समय सिटी में बना हुआ है। पार्टी के सभी प्रकोष्ठ अपने स्तर से रैली निकालकर माहौल बनाने में जुटे हैं. रैली का लाभ मिला या नहीं, यह अभी समय के गर्भ में है। लेकिन पब्लिक को जरुर परेशानी हो रही है।पश्चिमी यूपी की पॉलीटिक्स का केंद्र मेरठ
क्रांति धरा मेरठ इस समय पश्चिमी यूपी की पॉलीटिक्स का केंद्र बना हुआ है। पिछले एक माह पर गौर करें तो, मेरठ का राजनीतिक महत्व सामने आता है। दिसंबर माह में रालोद की रैली में अजीत सिंह के साथ जयंत चौधरी भी पहुंचे। इस दिन प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव भी मेरठ आए। सप्ताह भर पहले कांग्रेस ने कमिश्नरी पर हल्ला बोला। इसमें केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल से लेकर मधुसुदन मिस्त्री, रीता बहुगुणा, राजब्बर मेरठ पहुंचे। इसके अलावा सपा के आजम खां और शिवपाल यादव भी आए दिन मेरठ आते रहते हैं। तीन दिन पहले भाजपा की स्मृति ईरानी और लोकमंच के अमर सिंह भी मेरठ पहुंचे।पुलिस-प्रशासन भी क्या करे?वीवीआईपी और वीआईपी को सुरक्षा देने के साथ प्रोटोकॉल का पालन करने में पुलिस को भी पसीना छूट रहा है। इसका ताजा उदाहरण गणतंत्र दिवस पर देखने को मिला। जब दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री का मो। अब्बास ने पुलिस लाइन में आयाजित कार्यक्रम में प्रोटोकॉल का पालन नहीं होने पर जमकर हंगामा किया था। इससे पहले भी दर्जा प्राप्त मंत्री गनर, गाड़ी और सर्किट हाउस में कमरा लेने के लिए शोर मचा चुके हैं। ऊब चुकी है जनता
"शहर में जाम की प्रॉब्लम पब्लिक की सबसे बड़ी परेशानी है, ऐसे में आए दिन नेताओं के कार्यक्रम पब्लिक की दिक्कत अधिक बढ़ा देते हैं." - विमलेश तौमर, कैंट"नेता सिर्फ पब्लिक के सामने उनकी प्रॉब्लम को दूर करने का दिखावा करते हैं, जबकि असर परेशानी उनके कारण ही होती है." - शबाना, जैदी फार्म"आए दिन होने वाली रैली शहर ही ट्रैफिक व्यवस्था को खराब ही करते हैं। इसका सामना शहर की जनता को करना होता है." - आनंद स्वरूप, जत्तीवाडा"शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बनाने के लिए रोड पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात है। बड़ा कार्यक्रम होने पर पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ा दी जाती है." - पीके तिवारी, एसपी ट्रैफिक"भाजपा की विजय शंखनाद रैली के दौरान व्यवस्था बनाने के लिए भाजयुमो के युवा कार्यकर्ता तैनात किए गए हैं। इसके अलावा रैली के दौरान अनुशासन बनाए रखने के लिए कमेटी बनाई है." - अश्वनी त्यागी, प्रदेश मंत्री भाजपाइस व्यवस्था के नुकसान - स्कूल पहुंचने में बच्चों को हो जाती है देरी।- एंबुलेंस के जाम में फंसने से मरीज की हालत हो जाती है नाजुक। जान भी जा सकती है। - एग्जाम सेंटर में पहुंचने में हो जाती है देरी। - लोगों को ऑफिस पहुंचने में होती है देरी।
- हजारों लीटर पेट्रोल और डीजल हो जाता है धुंआ।