Meerut: भाजपा विधायक संगीत सोम की गिरफ्तारी और रासुका लगाए जाने के विरोध में सरधना के खेड़ा में आयोजित महापंचायत ने महाभारत का रूप ले लिया. पुलिस ने इकट्ठा भीड़ पर जमकर लाठियां भांजी. साथ ही पब्लिक पर फायरिंग की. लोग अपनी जान बचाकर भागने पर मजबूर हो गए. महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया. पुलिस की गोली से एक व्यक्ति की मौत और दर्जनों घायल होने की पुष्टि हुई. पब्लिक ने अधिकारियों की गाडिय़ों पर गुस्सा उतारा. जमकर तोडफ़ोड़ की और कई गाडिय़ों को आग के हवाले कर दिया.


प्रतिबंधित थी महापंचायतमुजफ्फरनगर में हुए बवाल में भड़काऊ भाषण और आईटी एक्ट के तहत सरधना के भाजपा विधायक संगीत सोम को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। शासन के आदेश पर संगीत सोम पर रासुका की कार्रवाई की गई। इसके विरोध में संगीत सोम के भाई और पत्नी ने मिलकर 29 सितंबर को सर्वदलीय महापंचायत का ऐलान किया था, जो सरधना इलाके के खेड़ा गांव स्थित जनता इंटर कॉलेज में होनी थी। पुलिस और प्रशासन इसे रोकने में लगा था। इसके लिए महापंचायत को गैरकानूनी करार दिया गया और इसमें शामिल होने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। नहीं रुक पाई महापंचायत


महापंचायत रोकने के लिए खेड़ा में आरएएफ, पीएसी और थानों की फोर्स इलाके में मौजूद थी। इसके बावजूद इलाके में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा होना शुरू हो गए। दोपहर तक दस हजार से अधिक लोग मौजूद थे, जिसमें काफी संख्या में महिलाएं भी थीं। पब्लिक में भी गुस्सा था। वे अपनी मांगों को लेकर अड़े थे।इन्होंने बिगाड़ा माहौल

पब्लिक अपनी मांगों को लेकर डीएम को ज्ञापन देना चाहती थी, लेकिन अफसर इसे स्वीकार करने को राजी न हुए। डीएम, कमिश्नर और डीआईजी एक कमरे में जाकर बैठ गए। साथ ही बाहर से कमरे का ताला भी लगवा लिया। काफी देर तक जब प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया तो पब्लिक ने नारेबाजी शुरू कर दी।पुलिस ने शुरू कर दी लाठीचार्जनारेबाजी करती पब्लिक पर अचानक पुलिस की लाठियां बरसने लगीं। नतीजा भगदड़ मच गई। पुलिस ने लाठियां भांजने के साथ ही फायरिंग भी शुरू कर दी। पब्लिक को खेतों में दौड़ाकर पीटा गया। स्कूल के अंदर जो भी दिखाई दिया, उस पर जमकर लाठियां बरसीं।आर्मी लगाईसरधना के खेड़ा में हुए बवाल के बाद इलाके में आर्मी लगा दी गई। जहां इस समय आरएएफ, पीएसी, पुलिस और आर्मी मौजूद है। इलाके में लोग सहमे और डरे हुए हैं। पुलिस की बर्बरता ने सबको डरा दिया है। खुलेआम पिस्टल और राइफल से फायरिंग की गई। मौके पर पड़े लोगों के जूते और चप्पलें पुलिस की बर्बरता की कहानी बयां कर रहे हैं। वहीं प्रशासनिक अधिकारी अपनी कमियों को छुपाने के लिए प्रेस कांफ्रेंस करते नजर आए। जिन्होंने इस महापंचायत को प्रतिबंधित होने का राग अलाप रखा है। अपनी गलती को नहीं देख रहे हैं।ये थी मांगे- एमएलए संगीत सोम के खिलाफ मुकदमें निरस्त किए जाएं।- संगीत सोम को उरई जेल से मेरठ या मुजफ्फरनगर जेल में लाया जाए।

- संगीत सोम के खिलाफ की गई एनएसए की कार्रवाई वापस ली जाए।- मुजफ्फरनगर हिंसा में निर्दोष लोगों पर की गई कार्रवाई वापस ली जाए।- एसडीएम, सीओ व कोतवाल सरधना का तबादला निरस्त किया जाए.

"पंचायत प्रतिबंधित थी इसको पहले ही रोक देना चाहिए था। इसके लिए लाठियां चलानी पड़े या फिर फायरिंग करनी पड़ती। मगर जब भीड़ बढ़ जाती है तो समस्या खड़ी हो जाती है। ऐसे में ज्ञापन लेना ही समाधान था। भीड़ उग्र हो गई और लाठीचार्ज, फायरिंग करनी पड़ी। उधर से पब्लिक भी फायर और पथराव कर रही थी। सीआरपीसी में साफ है कि कोई किसी को अपनी जान बचाने के लिए फायरिंग के लिए आदेश की जरूरत नहीं होती। आरएएफ के तेरह कर्मचारी घायल हो गए। मुझे भी पत्थर लगा है."- के। सत्यनारायण, डीआईजी रेंज

Posted By: Inextlive