मेरठ को मुक्ति दिलाइए योगी जी
इंट्रो -
वो सीएम हैं, प्रदेश के मुखिया, जाहिर है प्रदेश के हर शहर की आवाम उनसे ही अपना दुखड़ा कहेगी। वह लखनऊ में अपने जनता दरबार में फरियादियों के सामने खड़े रहकर शिकायतें सुनने के अंदाज से खासे लोकप्रिय हो चुके हैं। आज अपने शहर में हैं। मेरठ की आवाम के ये दर्द भी उन तक पहुंचें, तो शायद बात बने : 1. जाम मेरठ की सड़कों पर जाम आम है। ट्रैफिक पुलिस के सारे इंतजाम धराशायी साबित हुए हैं। खासकर स्कूलों की छुट्टी के समय सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। रही-सही कसर अतिक्रमण पूरी कर देता है। 2. सफाईस्वच्छ सर्वे की रैंकिंग आए बहुत दिन नहीं बीते। 339वीं रैंकिंग से मेरठ शर्मिदा है। लापरवाही नगर निगम की, भुगतते यहां के वाशिंदे हैं। शहर का कोई कोना, गली-मोहल्ला नहीं है, जहां नियमित सफाई होती हो। कूड़े के नियमित निस्तारण की भी कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। शहर के नाले भी बुरी तरह अटे पड़े हैं। इतने कि ये लोगों की जान तक लील रहे हैं।
3. हाई कोर्ट बेंचमेरठ समेत पश्चिमी यूपी के लोग सुगम न्याय की आस में लंबे समय से मेरठ में हाई कोर्ट बेंच की मांग कर रहे हैं। लेकिन कुछ हो नहीं सका। स्थानीय सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने पिछले दिनों सीएम से मुलाकात कर मेरठ में हाई कोर्ट बेंच की मांग भी रखी थी।
4. कानून व्यवस्था यूं बीजेपी सरकार बनने के बाद कानून व्यवस्था कंट्रोल करने के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन क्या पुलिस विभाग आज भी यह गारंटी दे सकता है कि व्यापारी और अन्य वाशिंदे सुरक्षित हैं? 5. इनर ¨रग रोड 34 किमी। लंबी यह रोड दो फेज में बनेगी। 16 किमी। के पहले फेज में हाउसिंग बोर्ड ने 2.20 व एमडीए ने अभी तक सिर्फ 1.90 किमी। के लिए जमीन अधिग्रहीत की है। 6. आईटी पार्क एमडीए ने आईटी पार्क के लिए वेदव्यासपुरी में 7.5 एकड़ जमीन सुरक्षित रखी है। इसमें 2.5 एकड़ में एसटीपीआई सेंटर बनना है। लेकिन यह प्रोजेक्ट भी अधर में लटका है। 7. मेरठ मेट्रो मेट्रो ट्रेन की डीपीआर को सितंबर-2016 में तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक रंजन ने फाइनल कर दिया था। लेकिन नई सरकार के गठन के बाद भी प्राजेक्ट को रफ्तार नहीं मिली है। मेट्रो ट्रेन के दो कॉरीडोर प्रस्तावित हैं।