बिना सवारी कैसे होगी छापेमारी?
-आबकारी विभाग के पास नहीं है अपनी गाड़ी, बिन वाहन नहीं हो पा रही अवैध खराब के खिलाफ छापेमारी
-वित्तीय वर्ष के छह माह बाद भी विभाग को नहीं मिले वाहनअवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए छापेमारी को आबकारी विभाग तैयार तो है लेकिन करे कैसे? यह सवाल बनारस रीजन के अफसरों के जेहन में पिछले छह माह से कौंध रहा है। छापेमारी के लिए विभाग को अब तक एक अदद गाड़ी तक मुहैया नहीं कराई गई है। जिस आबकारी विभाग के बूते शिक्षा, चिकित्सा, पुलिस, न्यायिक सहित तेरह विभागों का पेट भर रहा हो उसी विभाग की उपेक्षा की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2018-19 की शुरुआत हुए छह माह का दिन बीत गया लेकिन अभी तक आबकारी विभाग को गाड़ी तक नहीं मिली। जबकि हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही विभाग को गाडि़यां उपलब्ध करा दी जाती थी। इस साल क्यों लेट हो रहा यह अफसरों को भी नहीं मालूम है।
ज्वाइंट कमिश्नर भी है पैदलरेवेन्यू के टारगेट को लगभग 80 परसेंट तक पूरा करने वाले आबकारी बनारस रीजन के ज्वाइंट कमिश्नर को भी अब तक गाड़ी नहीं मिली। पर्सनल गाड़ी से ही कामकाज निपटा रहे हैं। बनारस रीजन का भार उठाने वाले ज्वाइंट कमिश्नर भी अब मौन हो चुके है गाडि़यों के वास्ते डिमांड लेटर को भेजते-भेजते।
प्रवर्तन दल को खटारा जीप जिनके कंधे पर चेकिंग का पूरा भार हो उस कंधे को मजबूत बनाने के बजाय और उसे कमजोर किया जा रहा है। सहायक आयुक्त आबकारी प्रवर्तन दल को गाड़ी के नाम पर जीप तो मिली है लेकिन उसकी स्पीड भी ऐसी कि उससे आगे साइकिल सवार निकल जाए। अब ऐसे सिचुएशन में किस इलाके में आबकारी अफसर छापेमारी करने जाए। बेतहाशा हो रही अवैध शराब बिक्री छापेमारी नहीं होने के कारण अवैध शराब कारोबारियों की बांछे खिली हुई हैं। शिवपुर, बड़ागांव, चौबेपुर, मलदहिया सहित हाइवे किनारे कुछ ढाबों पर खुलेआम शराब की बिक्री हो रही है। सूचना के बाद भी आबकारी विभाग के अफसर छापेमारी नहीं कर पा रहे है। सिटी का रेवेन्यू 57.27 करोड़ जुलाई माह में प्राप्त हुआ रेवेन्यू 86 परसेंट लक्ष्य के सापेक्ष हुई उपलब्धि 24.46 करोड़ पिछले साल का रहा रेवेन्यू रीजन का रेवेन्यू 145.55 करोड़ है रीजन का लक्ष्य 132.96 करोड़ जुलाई में प्राप्त हुआ 91.32 परसेंट लक्ष्य की हुई प्राप्ति 54 परसेंट अधिक है पिछले साल की तुलना में