अरहर दाल 30 रुपये तो आटा छह रुपये महंगा कालाबाजारी के चलते रेट ने पकड़ी रफ्तार

वाराणसी (ब्यूरो)नगर निकाय चुनाव का रिजल्ट आते ही बाजार का माहौल गर्म हो गया है। महंगाई ने एक बार फिर बजट बिगाड़ा शुरू कर दिया है। गत 15 दिनों में आटा-बेसन, चीनी और अरहर की दाल जैसी रोजमर्रा वस्तुओं के दाम में अचानक उछाल आ गया है। अरहर दाल की कीमत में रिकार्ड 25 से 30 रुपये तक वृद्धि हो गई है। वहीं आटा का रेट भी 6 रुपये बढ़ गया है। रही सही कसर थोक व फुटकर बाजारों के बीच हावी हो चले बिचौलिया पूरी कर दे रहे हैं।

घरेलू बजट पर असर

खाद्य वस्तुओं के दाम में इस बढ़ोतरी ने लोगों के घरेलू बजट पर खास असर डाला है क्योंकि यह महीना स्कूलों में बच्चों के एडमिशन, नए सत्र के लिए फीस आदि जमा करने का है। इसके अलावा समर वोकेशन में बच्चों की डिमांड भी पूरी करनी होती है। इन झंझावत भरी जिदंगी में महंगाई ने और बिगाड़ दिया है। अलग-अलग क्वालिटी की अरहर दाल थोक में 116-125 रुपये किलो बिक रही है। जबकि गली-मोहल्लों की दुकानों पर 150 रुपये/किलो का रेट है। जानकारों का तर्क है कि पिछले दिनों की बेमौसम बारिश में गेहूं की फसल खराब होने के कारण आटे की कीमत में बढ़ोतरी हुई है.

बढ़ती महंगाई में चुनाव का कोई रोल नहीं है। यह सिर्फ बिचौलियों का खेल है। सरकार व प्रशासन को ऐसे लोगों पर शिकंजा कसना चाहिए.

संजय गुप्ता, युवा व्यापारी

पिछले पांच से दिन से दाल का रेट फिर से बढऩे लगा है। तीन महीने पहले 120 रुपये पर आकर दाल का दाम रुक गया था। अब सरकार जनता के बारे में नहीं सोचती है।

संतोष यादव, साड़ी व्यवसायी

पिछले साल साल से खाने-पीने के सामान पर सरकार का कंट्रोल नहीं है। बड़े कारोबारी जब चाहते हैं दाल, आटा समेत अन्य चीजों का दाम बढ़ा देते हैं.

संगीता विश्वकर्मा, अधिवक्ता

अब तो पब्लिक को राहत की बात पुरानी हो गई है। कभी पेट्रोल, कभी अनाज तो कभी अन्य सामान पर महंगाई की मार रहती है। सरकार की आंख भी बंद रहती है.

सौरभ राजपूत, सर्विसमैन

Posted By: Inextlive