वर्दीधारी-खद्दरधारी, सबकी होती जेब भारी
-कबाड़ मार्केट के काले धंधे को संचालित करने में अहम भूमिका निभाते हैं पुलिसवाले और नेता
-हर गाड़ी पर मिलती है मोटी रकम, सारी जानकारी के बावजूद नहीं होती है कार्रवाई VARANASI बनारस में मौजूद कबाड़ बाजारों का काला धंधा डीजे आई नेक्स्ट स्टिंग के जरिये आपके सामने लेकर आया। इसकी अगली कड़ी में हम आपको बता रहे हैं कि लाखों-करोड़ों के कारोबार की जड़ें कितनी गहरी हैं। इसे मजबूती देते हैं वो जिनकी जिम्मेदारी समाज में उजाला फैलाना है। कबाड़ मार्केट में कटने वाली गाडि़यों की मोटी कमाई का बड़ा हिस्सा पुलिस और राजनीति में रुतबा रखने वाले संकरक्षणकर्ताओं के पास पहुंचती है। इसी वजह से सबकुछ जानते हुए कबाड़ मार्केट में पुलिस नहीं धमकती। बहुत मजबूत है गठजोड़शहर के प्रमुख जगहों पर मौजूद कबाड़ बाजारों में इतने बड़े पैमाने पर चोरी की गाडि़यों को ठिकाने लगाया जाता और पुलिस को पता नहीं चले ऐसा कैसे हो सकता है? वाकई ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। इस काले धंधे की हर गतिविधि की जानकारी पुलिस को बखूबी होती है। लेकिन मार्केट में मौजूद धंधेबाजों से इनकी साठ-गांठ बेहद मजबूत होती है। मार्केट में कटने वाली हर गाड़ी की कीमत का एक हिस्सा खाकीधारियों के जेब में जाता है। जब भी चोरी की कोई गाड़ी मार्केट में कटने के लिए आती है तो बकायदा उसकी जानकारी संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों को दी जाती है। गाड़ी के बारे में डिटेल भी शेयर किया जाता है। पूरा धंधा चलता तो भरोसे पर है लेकिन पुलिस वाले के मुखबिर मार्केट में मौजूद रहते हैं। वो हर गतिविधि की जानकारी पहुंचाते रहते हैं।
खादी का है बड़ा खेल पिशाचमोचन, नदेसर और चौकाघाट कबाड़ मार्केट में मौजूद धंधेबाजों के आका जनता की नुमाइंदगी का नकाब ओढ़े खद्दरधारी हैं। मार्केट में मौजूद हर शख्स इनकी सरपरस्ती की बदौलत ही वहां टिका होता है। बकायदा इनका दरबार लगता है जिसमें बाजार के कायदे-कानून तय होते हैं। छोटे-मोटे विवाद भी इनकी अदालत में निबटाये जाते हैं। इनकी हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि करोड़ों के काले कारोबार में हर दुकानदार के बीच गला-काट प्रतिस्पर्धा के बावजूद विवाद नहीं के बराबर होते हैं। रहती है पूरी लिस्ट -मार्केट जिन खद्दरधारियों की निगरानी में संचालित होता है उनके पास दर्जनों गुर्गो की टीम होती है। -गुर्गे मार्केट में हर वक्त मौजूद रहते हैं। कोई गाड़ी कटने के लिए आती है तो गुर्गो की निगरानी में खुलेआम उसकी बोली लगती है।-बोली लगाने वाले बिना किसी लिखा-पढ़ी के अपने हिस्से का माल लेकर जाते हैं।
-गुर्गो के पास शहर में सक्रिय वाहन चोर गिरोह की पूरी जानकारी होती है जो मार्केट में चोरी की गाडि़यों को लाते हैं। -कौन सी गाड़ी कब और किस मार्केट में आ रही है इसकी जानकारी गुर्गो तक इनके जरिये पहुंच जाती है। -इस पूरी व्यवस्था को बनाये रखने के बदले खद्दरधारियों को मोटी रकम मिलती है। तय है कीमत भ्0 हजार संरक्षणकर्ताओं तक पहुंचते हैं बड़ी गाडि़यों को काटने पर फ्0 हजार चोरी की चार पहियों गाडि़यों के बदले दिया जाता है ख्0 हजार रुपये का चढ़ावा पुलिस और खद्दरधारियों तक चढ़ता है लोन वाली गाडि़यों को डैमेज करने का भ्000 रुपये चोरी की बाइक के दिये जाते हैं -ख्000 मोपेड आदि छोटी गाडि़यों के बदले क्000 चोरी के टेम्पो काटने पर क्000 रुपये संरक्षण देने वालों को मिलता है एडीजी ने दिया जांच का आदेशकबाड़ मार्केट के करोड़ों के काले धंधे को उजागर करने वाले डीजे आई नेक्स्ट के स्टिंग ने सबकों चौंका दिया। जिसने खबर को पढ़ा सोचने पर मजबूर हो गया कि शहर के बीच मौजूद प्रमुख स्थानों पर कबाड़ मार्केट में कैसे बेखौफ चोरी की गाडि़यां काटी जा रही हैं। शनिवार की सुबह अखबार एडीजे बी महापात्रा के पास पहुंचा तो डीजे आई नेक्स्ट की खबर ने उन्हें भी सोचने पर मजबूर कर दिया। मामले की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने तत्काल जांच का आदेश दिया। आदेश में यह भी कहा कि काले धंधे में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।