- इलाहाबाद के सिपाही आशीष की मुहिम से जुड़े सैकड़ों पुलिसकर्मी

-बनारस में भी मुहिम का हिस्सा बने 20 से अधिक पुलिसकर्मी

-जरूरतमंदों को अपना खून देकर बचा रहे लोगों की जान

'वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे, यह पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे'। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्तियां बनारस के कुछ पुलिसवालों पर सटीक बैठ रही हैं। अमूमन पुलिस वाले का जिक्र होती ही जेहन में बेहद खुर्राट और कडि़यल रुख वाला ही चेहरा उभरकर सामने आता है, आम लोग ज्यादातर इनसे दूरी ही बनाए रखना चाहते हैं। मगर शहर में कुछ खाकी वाले ऐसे भी हैं जो मनुष्यता की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। जरूरतमंदों को अपना खून देकर नया जीवन दे रहे हैं। मजे की बात यह है कि इसके पीछे कोई सरकारी आदेश, कोई संस्था या एनजीओ नहीं है। इसके पीछे सिर्फ पराई पीर को अपना मानने का एक युवा पुलिसकर्मी का जज्बा है।

मनकामेश्वर मंदिर से हुई शुरुआत

इलाहाबाद के आईजी रेंज कार्यालय में तैनात सिपाही आशीष कुमार मिश्र ने सवा साल पहले इस मुहिम की शुरुआत की। इस मुहिम से अब तक सैकड़ों आईपीएस, पीसीएस अधिकारियों के अलावा इंस्पेक्टर, दरोगा और सिपाही जुड़ चुके हैं। मिर्जापुर के रहने वाले आशीष बताते हैं कि 24 फरवरी-2017 को वह इलाहाबाद के मनकामेश्वर मंदिर में दर्शन को गए थे। वहां बैठी एक मां जार-जार रो रही थी। पूछने पर पता चला कि समय पर खून नहीं मिलने के कारण उसके बेटे की मौत हो गई थी। उन्हीं दिनों आशीष के एक साथी सिपाही ने भी खून की कमी से अपना बेटा खो दिया था। यह घटनाएं ऐसी थीं जिन्होंने इस युवा का दिल झकझोर दिया। आशीष बताते हैं कि उन्होंने अपनी पत्‍‌नी से इस बारे में बात की और रक्तदान शुरू किया।

222 तक पहुंचा व्हाट्सएप ग्रुप

आशीष ने तीन लोगों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और सूचनाओं पर रक्तदान की शुरुआत की। कुछ ही समय में पूरे प्रदेश से पुलिसकर्मी और अधिकारी इस मुहिम का हिस्सा बने और अब इनके ग्रुप में 222 पुलिसकर्मी हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर 'पुलिस मित्र' ग्रुप सक्रिय है। सभी पर मिलाकर इनके 25 हजार से ज्यादा फालोअर हैं। आशीष बताते हैं कि इन्हीं के जरिए जरूरतमंदों की सूचनाएं उन्हें मिलती हैं और उस शहर या इलाके में मौजूद पुलिसकर्मी मदद को पहुंच जाते हैं।

यह हैं बनारस के हीरो

दोस्त बनकर जीवन दे रहे इस 'पुलिस मित्र' ग्रुप में बनारस के 20 से ज्यादा पुलिस वाले भी जुड़ चुके हैं। यह बनारस के वो हीरो हैं जो अपनी ड्यूटी से समय निकालकर या अफसरों से घंटे-दो घंटे की छुट्टी लेकर चुपचाप जरूरतमंदों की मदद के लिए निकल जाते हैं। सप्ताह के सातों दिन और दिन के चौबीसों घंटे यह युवा पुलिसकर्मी जरूरतमंदों की मदद को तैयार रहते हैं। इनमें लक्सा थाने में तैनात एसआई मिथिलेश यादव, सिपाही आलोक प्रताप सिंह, नाटीइमली पुलिस चौकी के एसआई अरविंद सिंह और राजीव कुमार सिंह, एसआई आशीष चौबे, एडीजी कार्यालय में तैनात सिपाही रवि यादव, एसआई अर्जुन सिंह, एसआई राजीव तिवारी, प्रवेश उपाध्याय आदि हैं।

तो सहारे को बढ़े कई हाथ

आशीष बताते हैं कि मुहिम से जुड़ने के लिए उन्होंने पुलिस विभाग में अपने साथियों और वरिष्ठों से बातचीत शुरू की तो तमाम लोग ऐसे थे जिन्होंने उनकी टांग खींची। तमाम दोस्तों का कहना था कि पुलिस की नौकरी में हो, सस्पेंड हो जाओगे। मगर आशीष ने हार नहीं मानी। नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे आईपीएस नवनीत सिकेरा, आईजी इलाहाबाद रमित शर्मा, आईपीएस विनीत जायसवाल, डीजीपी के पीआरओ राहुल श्रीवास्तव जैसे अफसरों ने इन्हें सपोर्ट करना शुरू किया। पुलिस मित्र ग्रुप में अब जज मनीष पांडेय, डीएसपी सतीश शुक्ला, अभिषेक सिंह, इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह जैसे अधिकारी भी शामिल हैं और आशीष की सूचना पर यह भी रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं। यही नहीं, तमाम संगठन भी पुलिस की इस मुहिम से जुड़ने की तैयार हैं। 2017 में डीजीपी जावीद अहमद ने भी पुलिस की छवि सुधारने के लिए एक सिपाही की इस पहल को सराहा था और आशीष को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था।

आप भी मांग सकते हैं मदद

मोबाइल : 9415107242

फेसबुक : पुलिस मित्र ग्रुप

ट्विटर : @ड्डह्यद्बठ्ठद्बस्त्रद्धद्ब

Posted By: Inextlive